"न्येन"के आने जाने का नियम जानने के बाद लोग इस डरावनी रात को"न्येन क्वेन"यानी न्येन से बचाने का नाजुक वक्त समझते थे और इस रात को सही सलामत गुजारने के लिए तरह तरह के तरीकों की खोज की। हर बार जब वह रात आयी, तो रात्रि भोजन की तैयारी करने के बाद सभी परिवार चूल्हे की आग बुझा कर स्टोव को साफ़ करते थे, मुर्गों के दरबों व भेड़ों के बाड़ाओं को मजबूत बन्द करते थे, आंगन के आगे पीछे के द्वारों को बंद करके कमरे में छिपकर वर्ष का अंतिम रात्रि भोज खाते थे। चूंकि इस रात्रि भोज के बाद सभी चीजें अनिश्चित बन सकती थीं, इसलिए भोज बहुत प्रचुर व स्वादिष्ट बनाया जाता था। पारिवारिक मिलन के रूप में बड़े व छोटे मिलकर खाना खाते थे। शांतिपूर्ण रूप से इस रात्रि को गुजारने के लिए खाने से पहले लोग पूर्वजों से पनाह की प्रार्थना भी करते थे। रात्रि भोज के बाद कोई भी शख्स नहीं सो पाता था। लोग एक साथ बैठे हुए गपशप करते थे। लोग मोमबत्ती या तेल के दीपे जला करके पूरी रात्रि में जागते रहते थे। यह इस का द्योतक है कि सभी बुराइयों और महामारियों को भगाया जाएगा और नये साल में शुभमंगल उपलब्ध होगा। यह प्रथा अभी तक प्रचलित रही है।
शो स्विई
2017-01-24 09:35:28 cri