सूखे कीचड़ में छटपटाती मछली 涸辙之鱼
"सूखे कीचड़ में छटपटाती मछली"कहानी को चीनी भाषा में"हअ ज़अ ज़ी य्वू"(hé zhé zhī yú) कहा जाता है। इसमें"हअ"का अर्थ है सूखा, जबकि"ज़अ"का अर्थ है गाड़ी के पहियों के दबाव से सड़क पर पड़े कीचड़,"ज़ी"का अर्थ है का, और"य्वू"का अर्थ मछली है। कुल मिलाकर कहा जाए, तो"हअ ज़अ ज़ी य्वू"का अर्थ निकलता है"सूखे कीचड़ में छटपटाती मछली"। इसे"मुसिबतों में फंसे हुए सहायता की आवश्यकता वाला"भी समझ सकता है।
लगभग दो हजार वर्ष पहले की बात होगी। प्रसिद्ध चीनी दार्शनिक च्वांग ची (Zhuang zi) बहुत गरीब था। एक बार घर में दो वक्त का अनाज भी मौजूद नहीं था। मजबूरन उसे संबंधित अधिकारी से खाने-पीने का सामान उधार लेने जाना पड़ा।
वह अधिकारी न केवल बहुत बड़ा कंजूस था, बल्कि बहुत चालाक भी। उसने च्वांग ची से कहा:" इसमें कोई खास बात नहीं है। बस तुम्हें तब तक इंतजार करना होगा, जब तक कि मैं लोगों से कर न वसूल लूं। तब मैं तुम्हें तीन सौ ओंस सोना उधार दूंगा। आप परेशान न हों।"
अधिकारी की बातों पर च्वांग ची को बड़ा गुस्सा आया और उसके मुंह का रंग भी बदल गया। वह बोला:
"जब मैं आपके यहां आ रहा था, तो रास्ते में कहीं से मदद मांगने की आवाज सुनाई पड़ी। काफी ढूंढने पर पता चला कि गाड़ी के पहियों के दबाव से सड़क पर कीचड़ का एक गड्ढा बन गया है। उसमें एक बड़ी मछली पड़ी हुई थी, जो पानी की कमी की वजह से हांफ रही थी।
मैंने उससे पूछा:'मछली रानी, क्या तुमने आवाज़ लगाई?'
मछली ने कहा:'मैं पूर्वी समुद्र के देवता का पुत्र हूं, दुर्भाग्य से आज मैं इस गड्ढे में गिर पड़ा हूं। यदि आप मुझे एक-दो बाल्टी पानी दे दें, तो मेरी जान बच सकती है'।
मैंने कहा:'घबराने की कोई जरूरत नहीं है, अभी मैं देश के दक्षिण क्षेत्र में वेई और युए राजवंशों के सम्राटों से मिलने जा रहा हूं, वहां जाकर मैं उनसे देश के पश्चिमी क्षेत्र में बहने वाली सी-च्यांग नदी का पानी यहां लाने को कहूंगा, तब तुम्हारी जान बच जाएगी।'
मछली ने मेरी बात पर गुस्सा होकर कहा:'इस समय जान बचाने के लिए मेरे पास कुछ नहीं है। और मैं मौत के करीब हूं। आप एक बाल्टी पानी दे दें, तो मेरी जान बच जाएगी। लेकिन आप तो बेमतलब फालतू बातें कर रहे हैं, आप बकवास बन्द करें, और चाहे तो मुझे मछली बेचने वाले बाजार में छोड़ दें।'"
"सूखे कीचड़ में छटपटाती मछली"यानी चीनी भाषा में"हअ ज़अ ज़ी य्वू"(hé zhé zhī yú) शीर्षक कहानी चीन में बहुत लोकप्रिय प्राचीन नीति कथा है, इससे हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें जरूरतमंद व्यक्ति को सार्थक मदद करनी चाहिए। बेकार की बात करने से जहां मदद मांगने वाले को कोई फायदा नहीं होता, वहीं बात टालने वाले की बदनीयती भी जाहिर होती है।