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    05 शराब का दीवाना वन मानुष
    2016-12-05 13:51:08 cri

    शराब का दीवाना वन मानुष 馋酒猩猩

    "शराब का दीवाना वन मानुष"कहानी को चीनी भाषा में"छान च्यु शिंग-शिंग"(Chán jiǔ xīng xing) कहते हैं। इसमें"छान"का अर्थ है"खाने से बेहद प्यार होना", जबकि"च्यु"का अर्थ है शराब और"शिंग-शिंग"है वन मानुष।

    जंगल में वन मानुषों का एक दल रहता था। वे सब के सब शराब के दीवाने थे। वे मनुष्य की भांति फूस के जुते पहन कर चलने के भी शौकीन थे।

    एक दिन, शिकारी ने जंगल की एक खाली जगह पर शराब के कई ब़ड़े बड़े मग रखें और पास कुछ छोटा बड़ा प्याले भी रखें। उसने फूस से कुछ जुते भी बुन कर बनाए और उन्हें घास से बनी रस्सी से एक दूसरे को गुंथ कर रखा। वन मानुष शिकारी की यह हरकत देख कर तुरंत समझ गए कि यह उन्हें फंसाने के लिए शिकारी की चाल है। वन मानुषों ने पेड़ के ऊपर बैठे ऊंची आवाज में शिकारी को गाली देते हुए कहा:"तुम बड़ा तुष्ट मानव हो, शराब और जूता दिखा कर हमें फंसाना चाहते हो, क्या समझते हो, हुऊं, बस शराब और फूस के जूते है, कोई खास चीजें तो नहीं हैं, क्या समझते हो, हमें शराबी समझते हो, हुऊं हुऊं, तुम्हारी आंखें हो या बटन।"

    गाली देते देते वन मानुषों को लगा कि मुंह सूखा पड़ गया और बहुत प्यास आई। नाक में शराब का सुगंध रह रह कर घुस आया। एक वन मानुष सहन से बाहर हो गया, उसने कहा:"हेलो, भाइयो, इन बेवकूफ शिकारियों ने हमारे लिए इतना ज्यादा शराब तैयार कर रखे है, हम एक प्याले का ले लें, तो क्या हरज हो सकता है। नहीं पीएंगे, वह बुद्धू हो, जो निःशुल्क शराब से कतराता है। हम थोड़ा सा ले लें, तो चूर नहीं हो सकेंगे और उनके धोखे में भी नहीं आ सकेंगे।"

    सभी वन मानुषों को इस वन मानुष का सुझाव पसंद आया। वे तुरंत पेड़ से नीचे उतरे, शुरू शुरू में वे छोटे प्याले से शराब पीते थे, शराब का आनंद लेने के साथ साथ शिकारियों को लगातार गाली भी देते रहे कि खराब कहीं की तुम शिकारी, हमें धोखा देते है, क्या हम तुम्हारी चाल में फंसने वाले हों। लेकिन पीते पीते उन्हें लगा कि छोटे प्याले में शराब पीने से मजा कम आता है, तो वे बड़े प्याले से पीने लगे।

    शराब बहुत मिट्ठा और सुगंधित था, मुंह में महक लहरा रहा था, अन्त में वे सभी बड़े-बड़े मग से मुंह में शराब उडेलना मजेदार समझे। बड़ी देर भी नहीं लगी कि वे सब के सब शराब में चूर हो गए, आंखें मटकी हुई, मुख पर सुर्खी आई, कदम लखलखाते रहे। सभी नियंत्रण से बाहर हो गए, वे आपस में झगड़ने खेलने लगे, मार पीट पर आ गए, उन्होंने फूस के जुतों को अपने पांवों में पहने, मानव की नकल करते हुए राह चलने लगे। तभी जंगल में घात लगे शिकारी बाहर लपट कर वन मानुषों पर टूट पड़े, भयभीत हो कर वन मानुषों को शराब के आमाद से होश आया, वे घनी जंगल में भागना चाहा, लेकिन पांव में फूस के जूते लपेट थे, उसके अड़चन के कारण वे एक के बाद एक जमीन पर गिर पड़े और शिकारियों का शिकार बन गए।

    "शराब का दीवाना वन मानुष"यानी"छान च्यु शिंग-शिंग"(Chán jiǔ xīng xing) यह कहता है कि जीवन में लाख लोभ है, लाख आकर्षण है। इन लोभ माया से दूर रहना हितकर सिद्ध होता है। वनमानुष शराब के लोभी है, तो उनका शिकारी की चाल में फंसना कोई आश्चर्य की बात नहीं है। मानुष को अपने इंद्रिक चाह पर नियंत्रण रखना चाहिए।

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