विदेशों में बिना किसी की सहायता के व्यापार करना आसान नहीं है। चीन में जीवन का और अच्छी तरह अनुकूलन करने के लिए हारून ने बहुत प्रयास किया।
"मैं वर्ष 2003 में यीवू आया था। उस समय यहां का व्यापार और बाज़ार धीरे धीरे शुरू होने लगा था। अंग्रेज़ी जानने वाले लोग भी बहुत कम होते थे। मुझे चीनी भाषा नहीं आती थी और अंग्रेज़ी भी नहीं, तो बातचीत करने, विशेषकर स्थानीय व्यापारियों के साथ संपर्क करने में बहुत बड़ी समस्याओं का सामना पड़ा।"
हारून के लिए खाना भी एक मुश्किल है। उन्होंने कहाः
"चीन में आने के पहले चार वर्षों में मैंने चीनी खाना कभी नहीं खाया, क्योंकि आदत नहीं थी। उस समय मैं ख़ुद सब्ज़ी ख़रीदता था और अपने आप तुर्की के अंदाज़ में खाना पकाता था। यीवू के स्थानीय खाने का अनुकूल ढलना सचमुच मुश्किल है।"
पर अब हारून चीन में अपने जीवन का बड़ा आनंद उठा रहे हैं। वे स्थानीय लोगों की ही तरह यीवू में रहते हैं।
"शुरू में मुझे अनुवादक की ज़रूरत होती थी, बाद में मैं स्वयं चीनी भाषा सीखने लगा। हालांकि मैंने भाषा कक्षा में शामिल नहीं किया था, लेकिन स्थानीय लोगों के साथ बातचीत करने से मैं धीरे धीरे चीनी बोल सकता हूं। बाद में मैंने चीनी लोगों के साथ अंग्रेज़ी भी सीखी। ऐसे में भाषा में मेरी कठिनाई दूर हो गई। धीरे धीरे चीनी खाने की मेरी आदत भी बनने लगी, अब मैं चीनी खाना बहुत पसंद करता हूं। मैं आधा चीनी बन चुका हूं।"
जीवन में मुश्किल की तुलना में काम में चुनौती और कठिन है, लेकिन हमेशा से ईमानदारी के साथ व्यापार करने के चलते हारून को अधिकाधिक ग्राहकों का विश्वास मिला है। उनका व्यापार भी लगातार बढ़ता रहता है। हारून के साथ दस वर्षों तक काम करने वाले चीनी लड़के चिन च्येनतोंग हारून की मेहनत से बहुत प्रभावित हैं। चिन च्येनतोंग ने कहाः
"हारून व्यापार के बारे में बहुत सोचते हैं और साहस के साथ व्यापार का विस्तार करते हैं। जो भी मौका आए, वे ज़रूर कोशिश करते हैं। हम सब उनकी प्रशंसा करते हैं।"