दक्षिण पश्चिमी चीन के सछ्वान प्रांत के गार्ज़े (Garze) स्टेट के अधीन लीथांग काउटी चार हजार मीटर ऊंच्चे पठार पर स्थित है । इसे विश्व में पहला उच्च शहर भी माना जाता है । लेकिन खराब मौसम से पीड़ित लीथांग काउटी में विशाल रेगिस्तान क्षेत्र फैले हुए हैं । यहां रहने वाले किसानों व चरवाहों को बेहत्तर जीवन दिलाने के लिए स्थानीय सरकारों ने सात सालों के लिए रेगिस्तान को नियंत्रित करने का भरसक प्रयास किया ।
लीथांग काउटी की ऊँचाई चार हजार मीटर होती है और यहां का मौसम सर्दी व सूखा भी है । इतने सूखे क्षेत्र में बहुत कम पौधे उग सकते हैं । लेकिन यहां के जीवनियों के लिए दूसरा भयानक दुश्मन भी है वह है रेगिस्तान । बारंबार हुए बालू के तूफान से लीथांग काउटी को रेत के नीचे छिपाने का खतरा मौजूद है । रेगिस्तान का विस्तार खेती और घासमैदान के लिए सबसे बड़ा दुश्मन है । इस के विरूद्ध लीथांग के लोगों ने अपना सिर झुकाने के बजाये रेगिस्तान के विस्तार को रोकने के लिए अथक प्रयास किया ।
लीथांग काउटी के वातावरण संरक्षण विभाग के प्रधान वानदंग ने कहा,"पहले हमारे यहां भूमि बंजर होने की स्थिति बहुत गंभीर थी । गर्मियों के दिन काउटी में रेत से भरा हुआ था । बाद में सरकार ने यहां पारिस्थितिकी संरक्षण की परियोजना शुरू की थी और रेगिस्तान को नियंत्रित करने के लिए अनेक परियोजनाओं को पूरा किया । अब रेगिस्तान के विस्तार को काबू में रख दिया है । आज तेज़ हवा के दिनों में भी इतना सेंडी महसूस नहीं है ।"
लीथांग काउटी पश्चिमी चीन के सूखे क्षेत्रों में स्थित है । यहां का ज़मीन मुख्य तौर पर रेत या रेगिस्तानी मिट्टी से गठित है । जभी तूफान, सूखा और भारी बरसात आये तो यहां के लोग रेत हवा से ग्रस्त होते रहे हैं । वास्तव में रेतीली भूमि पानी के अभाव का परीणाम है । लेकिन लीथांग काउटी में जब भारी बरसात हुई थी , तब मिट्टी में मौजूद पोषक तत्व पानी के साथ बह जाते थे । इससे लीथांग काउटी में रेतीलीकरण दिन ब दिन गंभीर होता रहा । इस के अलावा घासमैदान में अत्यधिक चराई करना रेतीलीकरण का एक कारण भी है । सन 1980 के दशक में लीथांग के चरवाहों ने अधिक पालतू पशुओं का पालन शुरू किया था । लेकिन घासमैदानों का सही प्रबंध नहीं हुआ । इस तरह घासमैदानों का दुरुपयोग से यहां के वातावरण बिगड़ने लगे और विशाल घासमैदान बंजर बन गये ।
अपने घासमैदानों का बचाव करने के लिए लीथांग वासियों ने संघर्ष शुरू किया । रेतिलीकरण का मुकाबला करने में लोगों के हाथ में औज़ार यही है --- घास उगाना । लोगों ने विशाल क्षेत्रों में दीवार खड़ी ताकि तेज हवा को रोका जाए । फिर दीवारों से घेरे हुए ज़मीन पर गोबर या प्राकृतिक उर्वरक रखा ताकि उपजाऊ भूमि बनाये जाए । इसके बाद ज़मीन पर घास और झाड़ी उगाने लगे । कदम ब कदम विशाल गोबी रेगिस्तान को घासमैदान बनाया गया है । आज जब लोग लीथांग काउटी में आये , तब उन की आंखों में चारों ओर घास उगने की सुन्दर छवि दिखाई देती है ।
कई सालों की अथक कोशिशों से लीथांग की छवि बिल्कुल बदली है । अब काउटी के घासमैदानों पर रक्षा वन पंक्तियां खड़ी हुई हैं , खेतों का तूफान से बचाव करने के लिए उन के चारों ओर पेड़ लगाये गये हैं । जमीन हरियाली से ढ़का होने से लोग सुहावने मौसम का आनन्द उठाने लगे हैं ।
लीथांग काउटी के वृक्षारोपण कार्यालय के प्रधान जू शी छ्यांग ने कहा,"अब तक हम रेतीली भूमि के विस्तार को नियंत्रित करने में समर्थ हैं, और बाद में हम ने इस ज़मीन पर जड़ी बूटियां बोने की योजना भी बनायी है । इसतरह वनस्पतियों के पुनःनिर्माण से जन जीवन का सुधार भी मिल पाएगा । लीथांग में विशाल आर्द्रभूमि भी फैलती है । आर्द्रभूमियों के संरक्षण से पानी का स्रोत संरक्षित हो सकेगा । इससे रेतीली भूमि के विस्तार को रोकने में भी मददगार होगा ।"
रेतीली भूमि की निगरानी करना भी बहुत महत्वपूर्ण है । लीथांग काउटी में ऐसी संस्था भी कायम हो चुकी है । सरकार ने कुछ व्यक्तियों को रेतीली भूमि के निरीक्षक के रूप में नियुक्त किया । क्योंकि अभी सुधारित भूमियों पर खेती व पशुपालन करना मना है , तो लोगों को निगरानी खर्च सौंपा जाता है और इससे चरवाहों की आय में बढ़ोत्तरी नज़र आयी है ।
सुधारित भूमियों पर घास और झाड़ियां अच्छी तरह उग रही हैं, इसे देखकर चरवाहों को बहुत खुशी हुई है । लीथांग काउटी में कुछ सुधारित भूमियों को एक बार फिर चरागाह बनाया जाएगा । यह खबर सुनने के बाद तिब्बती चरवाहा राओ-च्ये के दिल में फूला न समाया । उन्हों ने कहा कि सरकार ने वातावरण संरक्षण को प्राथमिकता दे दी है यह बहुत सही है , क्योंकि इससे लीथांग काउटी का शानदार भविष्य सुनिश्चित होगा ।
उन्हों ने बताया,"कुछ साल पहले हमारे यहां घासमैदान और चरागाह बहुत गंभीरता से बिगड़ने लगे थे । घर के नजदीक में पशुओं की चराई करने की जगह भी नहीं थी । हमें अपने पशुओं को 20 किलोमीटर दूर तक भगा देना पड़ा था । रास्ते पर जब हम चाय पीते थे तो रेत भी चाय में गिर पड़े थे । अब स्थितियां बहुत सुधर गयी हैं । वातावरण और चराई की स्थिति का काफी सुधार किया गया है ।"
मरुस्थलीय भूमि के विस्तार का मुकाबला करते हुए लीथांग काउटी के निवासी सब वातावरण संरक्षण के विशेषज्ञ बने हैं । लोगों को मालूम है कि घास मैदान चरवाहों के अस्तित्व की जड़ ही है । घास स्थल के बिना चरवाहों का जीवन भी नहीं रहेगा । वातावरण की रक्षा करना अनवरत विकास का आधार ही है ।
बीते सात सालों के अथक प्रयास के जरिये अब लीथांग काउटी में तीन हजार हैक्टर मरुस्थलीय भूमि का सुधार किया गया है । अब लीथांग के पहाड़ों में चारों ओर मनोहर प्राकृतिक दृश्यों से घिरा हुआ है । काउटी नगर में वक्ष, झाड़ियां और घास उगे ही दिखाई देते हैं । मार्ग के दोनों तटों पर पेड़ों की कतारें दूर तक बढ़ जाती हैं और मौसम भी सुहावना बना हुआ है ।
लीथांग काउटी के वातावरण संरक्षण विभाग के प्रधान वानदंग ने कहा,"हमारे यहां औद्योगिक धुन्ध नहीं है । पानी में पेयजल का अनुपात 96 प्रतिशत तक रहा है । 98 प्रतिशत के दिन सुहावने बने रहते हैं । यहां कोई प्रदूषण मौजूद नहीं है ।"
लीथांग काउटी में वातावरण संरक्षण की सफलता से चीन के सारे यांग्त्ज़ी नदी क्षेत्र पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ा है । क्योंकि लीथांग क्षेत्र यांग्त्ज़ी नदी के ऊपर क्षेत्र में स्थित है । यहां मरुस्थलीय भूमि के सुधार करने से मिट्टी के कटाव को रोका गया है और इस तरह यांग्त्ज़ी नदी के लिए पारिस्थितिक संरक्षित क्षेत्र बने हुए हैं । लीथांग काउटी के वृक्षारोपण कार्यालय के प्रधान जू शी छ्यांग ने कहा,"लीथांग काउटी और इस के आसपास क्षेत्रों में यालूंग नदी और चिनशा नदी भी बहती हैं जो सब यांग्त्ज़ी नदी की शाखाएं हैं । अगर लीथांग क्षेत्र में वातावरण संरक्षण की स्थिति बिगड़ी हुई है , तो इससे यांग्त्ज़ी नदी के मध्यम और निचले क्षेत्रों पर भी बुरा प्रभाव पड़ेगा ।"
लीथांग काउटी में मरुस्थलीय भूमि के मुकाबले में किये गये संघर्षों से फलदायी परिणाम निकल गया है । अब अगर आप लीथांग काउटी में खड़ें , तो आप के चारों ओर पेड़ों और फूलों की क्यारियां हैं । काउटी नगर में रास्ते पेड़ों से सज़े हरे गलियारे बने हुए हैं और सुहावने मौसम से अधिकाधिक पर्यटकों को आकर्षित किया गया है । लीथांग काउटी को विश्व का सर्वोच्च नगर का नाम प्राप्त है , इस का और उज्ज्वल भविष्य उपलब्ध हो जाएगा ।
लीथांग काउटी के बारे में कुछ और जानकारियां
लीथांग काउटी पश्चिमी चीन के सछ्वान प्रांत के गार्ज़े स्टेट के अधीन होती है जहां की औसत ऊँचाई 4014 मीटर है । लीथांग काउटी 14 हजार वर्ग किलोमीटर विशाल है और उस की जनसंख्या 70 हजार 420 तक पहुंची है । लीथांग के निवासियों में तिब्बती के सिवा मंगोलियाई, हान, ह्वेई और ई आदि कई जातियां भी शामिल हैं ।
लीथांग क्षेत्र में मौसम खराब है । यहां सूखा होने के अतिरिक्त तेज़ हवा भी अक्सर चलती रही है । पर लीथांग काउटी में जल संसाधनों का पर्याप्त भंडार है । जल विद्युत की क्षमता 8 लाख किलोवाट तक जा पहुंचती है । इधर के वर्षों में लीथांग काउटी में औसत आर्थिक वृद्धि दर 8 प्रतिशत तक रहती है । रेतीली भूमियों के सुधार से आर्थिक विकास के लिए बेहत्तर वातावरण तैयार किया गया है ।
जातीय शिक्षा के सुधार में सरकार ने इधर के वर्षों में लीथांग को कई करोड़ युवान की पूंजी लगायी है । अब सभी छात्रों को अनिवार्य शिक्षा की सेवाएं उपलब्ध है । निवासियों को स्वास्थ्य सेवा तैयार करने के लिए लीथांग सरकार ने जन अस्पताल, तिब्बती अस्पताल, रोग निवारण स्टेशन, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य स्टेशन समेत स्वास्थ्य सेवा नेटवर्क स्थापित किया है ।
लीथांग काउटी में 24 सांस्कृतिक स्टेशन रखे होने के अतिरिक्त 209 किसानी पुस्तकालय भी स्थापित हैं । इस के सिवा किसानों व चरवाहों के लिए कई स्वास्थ्य सुविधाएं भी उपलब्ध हो चुकी हैं । लीथांग में सभी सांस्कृतिक अवशेषों का अच्छी तरह संरक्षण किया जा रहा है ।
( हूमिन )