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    आप की पसंद 160730
    2016-08-08 15:08:24 cri

    30 जुलाई आपकी पसंद

    पंकज - नमस्कार मित्रों आपके पसंदीदा कार्यक्रम आपकी पसंद में मैं पंकज श्रीवास्तव आप सभी का स्वागत करता हूं, आज के कार्यक्रम में भी हम आपको देने जा रहे हैं कुछ रोचक आश्चर्यजनक और ज्ञानवर्धक जानकारियां, तो आज के आपकी पसंद कार्यक्रम की शुरुआत करते हैं।

    अंजली – श्रोताओं को अंजली का भी प्यार भरा नमस्कार, श्रोताओं हम आपसे हर सप्ताह मिलते हैं आपसे बातें करते हैं आपको ढेर सारी जानकारियां देते हैं साथ ही हम आपको सुनवाते हैं आपके मन पसंद फिल्मी गाने तो आज का कार्यक्रम शुरु करते हैं और सुनवाते हैं आपको ये गाना जिसके लिये हमें फरमाईश पत्र लिख भेजा है .... धर्मेन्द्र सिंह और इनके साथियों ने मल्थोने, ज़िला सागर मध्यप्रदेश से आप सभी ने सुनना चाहा है तोहफ़ा (1984) फिल्म का गाना जिसे गाया है किशोर कुमार और लता मंगेशकर ने गीतकार हैं इंदेवर और संगीत दिया है बप्पी लाहिरी ने और गीत के बोल हैं ------

    सांग नंबर 1. अलबेला मौसम कहता है स्वागतम .....

    पंकज – मित्रों आज हम आपको स्वास्थ्य से जुड़ी कुछ जानकारी देने जा रहे हैं जिससे आप सिर्फ खाने पीने में थोड़ी सी फेरबदल करके ही एक अच्छी सेहत पा सकते हैं। दूध में मिलाकर पिएं ये 10 चीजें, देखिए बॉडी पर क्या होता है असर

    वैसे तो दूध में पर्याप्त न्यूट्रिएंट्स होते हैं जो हेल्थ के लिए बेहद फायदेमंद हैं। लेकिन दूध को दूसरे फूड के साथ मिलाकर पीने से इसके न्यूट्रिएंट्स और बढ़ जाते हैं। दूध के साथ खजूर, बादाम या कुछ फलों को मिक्स करके पीने से बॉडी को एनर्जी मिलती है और एनीमिया और आर्थराइटिस जैसी कई बीमारियां दूर होती हैं। हम बता रहे हैं दूध के साथ अन्य हेल्दी कांबिनेशन के फायदे।

    दूध में खजूर - इस ड्रिंक में फाइबर होता है जो कब्ज दूर करता है पाचन तंत्र को सही रखता है। इसमें आयरन यानी लौह तत्व हैं जो एनिमिया से बचाते हैं।

    दूध में डार्क चॉकलेट – इसमें कैल्शियम और फ्लेवोनाइड्स होते हैं जो आर्थराईटिस और कैंसर से बचाने में मददगार होते हैं। इसे पीने से त्वचा मुलायम होती है और उसमें दमक आती है।

    दूध में हल्दी – इसमें अमीनो एसिड है जिससे नींद अच्छी आती है, ये रक्त साफ करता है और त्वचा में कोई परेशानी नहीं होने देता। इसमें मौजूद कैल्शियम जोड़ों के दर्द से बचाता है।

    अंजली – मित्रों अगर हम स्वस्थ खाना खाएं तो ढेरों बीमारियों से तो ऐसे ही हम दूर रहेंगे क्योंकि खाने पीने से हमारे शरीर में जो कमियां होती हैं वो पूरी हो जाती हैं, हमें कई बीमारियां लगती ही इसलिये हैं क्योंकि हमारे शरीर में कुछ न कुछ कमियां होती हैं। उन्हें दवाईयों से पूरा करने के बजाय क्यों न हम इन कमियों को स्वस्थ खाने पीने से ही पूरा करें... चलिये इसी के साथ मैं कार्यक्रम का अगला पत्र उठा रही हूं जिसे हमें लिखा है शिवाजी चौक कटनी, मध्यप्रदेश से अनिल ताम्रकार, अमर ताम्रकार, संतोष शर्मा, रज्जन रजक, राजू ताम्रकार, दिलीप वर्मा, रविकांत नामदेव, इनके साथ ही हमें पत्र लिखा है पवन यादव, सत्तू सोनी, अरुण कनौजिया, संजय सोनी, लालू, सोना, मोना, हनी, यश, सौम्या और उनके मम्मी पापा ने आप सभी ने सुनना चाहा है शालीमार (1978) फिल्म का गाना जिसे गाया है लता मंगेशकर ने गीतकार हैं आनंद बख्शी और संगीत दिया है राहुल देव बर्मन ने और गीत के बोल हैं -----

    सांग नंबर 3. आईना वही रहता है चेहरे बदल जाते हैं ......

    पंकज - दूध में शहद – दूध में प्रोटीन और शहद में कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं जो शरीर का मेटाबॉलिज्म बढ़ाते हैं जिससे वज़न कम होता है।

    दूध में केला – इसमें पोटैशियम, मैगनीशियम होता है जो दिल की समस्या से बचाता है साथ ही रक्तचाप भी कम रखता है। इसमें विटामिन B12 होता है जो डिप्रेशन यानी अवसाद दूर रखने में मदद करता है।

    दूध में बादाम – बादाम ड्रिंक पीने से हड्डियां मज़बूत होती हैं क्योंकि बादाम में कैल्शियम होता है, साथ ही इसमें आयरन होता है जो खून की कमी दूर करता है।

    दूध में केसर – इसमें पोटैशियम होता है, ये रक्तचाप को काबू में रखता है, मूड सही रखता है साथ ही महिलाओँ के लिये गर्भावस्था में लाभप्रद है।

    दूध में अदरक – इसमें बहुत ज्यादा कैल्शियम और प्रोटीन होता है, ये जोड़ों का दर्द दूर करता है साथ ही इससे रंग भी साफ़ होता है।

    दूध में दालचीनी – इसमें फाइबर की मात्रा अधिक होती है जो कब्ज़ियत को दूर करती है। इसे पीने से गले की खराश दूर होती है और सर्दी ज़ुकाम दूर होता है।

    दूध में आम – इसमें प्रोटीन होता है, ये वज़न बढ़ाता है जो लोग अपना वजन बढ़ाना चाहते हैं वो इसे पीयें ।

    पंकज - श्मशान में लड़कों ने डाल रखा है डेरा, हनुमान चालीसा पढ़कर गुजारते हैं रात

    अंजली – ये खबर सुनकर मुझे डर लग रहा है कि ये सभी लड़के शमशान घाट में डेरा क्यों डाले बैठे हैं। साथ ही वो हनुमान चालीसा भी पढ़ रहे हैं जिससे उनके अंदर का डर बाहर भागे, लेकिन ऐसी क्या मजबूरी या कौन सा कोतूहल है जिसके चलते इन युवाओं को इतनी विपरीत परिस्थिति में रहना पड़ रहा है। ये बात तो पंकज आपको बताएंगे लेकिन उससे पहले मैं आपको कार्यक्रम का अगला गाना सुनवा देती हूं जिससे हमारा मन थोड़ा हल्का हो जाए। हमें अगला पत्र भेजा है मालवा रेडियो श्रोता संघ प्रमिलागंज, आलोट से बलवंत कुमार वर्मा, राजुबाई माया वर्मा, शोभा वर्मा, राहुल, ज्योति, अतुल और इनके ढेर सारे मित्रों ने आप सभी ने सुनना चाहा है मैं तुलसी तेरे आंगन की (1978) फिल्म का गाना जिसे गाया है लता मंगेशकर ने गीतकार हैं आनंद बख्शी और संगीत दिया है लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने और गीत के बोल हैं -----

    सांग नंबर 4. मैं तुलसी तेरे आंगन की ....

    पंकज - जैतसर(राजस्थान).श्रीगंगानगर जिले का जैतसर कस्बा। करीब दो हजार घरों की आबादी। बाहर से आकर रहने वाले कम ही होते थे लेकिन अचानक यहां युवाओं की चहल-पहल बढ़ गई है। इस चहल पहल का कारण हैं यहां पहुंचे लड़के-लड़कियां। इनकी संख्या इतनी ज्यादा है कि इनके रहने के लिए जगह भी कम पड़ गई है। इसी बीच कुछ लड़कों ने श्मशान को ही अपना घर बना लिया है। जानें क्यों श्मशान में रह रहे ये बच्चे...

    - राजस्थान की अलग-अलग जगहों से करीब 200 युवक-युवतियां यहां सेना भर्ती की तैयारी के लिए आए हुए हैं।

    - यहां एक कोच हैं कुलवंत सिंह, जो यहां निशुल्क तैयारी करवाते हैं। गांव में कमरे किराए देने का रिवाज कभी नहीं रहा।

    अंजली – अच्छा तो ये लोग सेना में तैयारी के लिये यहां पर आए हैं और इस जगह पर इन्हें कोई मकान किराए पर नहीं मिल रहा है इसलिये ये लोग शमशान में रहने को मजबूर हैं। लेकिन इतनी कठिन परिस्थिति में रहने के बाद इनका मन अंदर से बहुत मज़बूत हो जाता होगा फिर तो इन्हें किसी तरह का कोई डर नहीं रहेगा, ऐसे में ये कोई भी परीक्षा आसानी से पास कर लेंगे। इसके साथ ही मैं कार्यक्रम का अगला पत्र उठाती हूं जिसे हमें लिख भेजा है कलेर बिहार से आसिफ़ ख़ान, बेगम निकहत परवीन, सदफ़ आरज़ू, बाबू अरमान आसिफ़, इनके साथ ही मदरसा रोड कोआथ से हाशिम आज़ाद, दुर्गेश दीवाना, डॉक्टर हेमन्त कुमार, पिंटू यादव और बाबू साजिद ने आप सभी ने सुनना चाहा है हीरालाल पन्नालाल (1978) फिल्म का गाना जिसे गाया है किशोर कुमार और आशा भोंसले ने गीतकार हैं आनंद बख्शी और संगीत दिया है राहुल देव बर्मन ने और गीत के बोल हैं -----

    सांग नंबर 5. मैं ढल गई रंग में तेरे .....

    पंकज - अचानक से युवा आने लगे तो बड़ी समस्या खड़ी हो गई।

    - यहां आई 25 युवतियों को जैसे-तैसे कमरे मिल गए लेकिन लड़कों को कोई रखने को तैयार नहीं। फिर एक सहारा बना बिश्नोई धर्मशाला। लेकिन यहां भी जगह की सीमा थी।

    - जो बच गए, उन्हें किसी ने मजाक में कहा- श्मशान पड़ा है खाली, कमरे भी हैं, वहां रह लो। लड़कों को बात जम गई।

    - श्मशान घाट स्वर्ग आश्रम से जुड़े बलदेव किशन के पास पहुंचे। श्मशान में रहने की इजाजत मांगी तो वे भी चौंक गए।

    - फिर कमेटी में बात की तो बात मान ली गई। अब 20 से ज्यादा लड़के यहीं रहकर तैयारी कर रहे हैं।

    रोज रात को पढ़ते हैं हनुमान चालीसा

    - श्मशान में डेरा डाले इन सभी की उम्र 18 से 20 के बीच है। यहीं रहते हैं तो यहीं खाना भी बनाते हैं और यहीं खाते हैं।

    - श्मशान में रोज तो शव नहीं आते लेकिन जिस दिन यहां चिता जलती है, रात को आसानी से नींद नहीं आती।

    - यहां आने के बाद हनुमान चालीसा का पाठ सभी सामूहिक रूप से करके सोते हैं।

    - लड़कों ने बताया कि रात को जब कभी आंधी-बारिश आ जाती है तो जरूर डर लगता है। बाकी तो हमने यहां रहना सीख लिया है।

    - सुखजीत बताता है- दो माह पहले यहां आया था। कमरा ढूंढ़ते-ढूंढ़ते सप्ताह गुजर गया।

    - घर लौटना मंजूर नहीं था। तैयारी करनी ही थी। श्मशान में रहने का फैसला कर लिया।

    - कोच कुलवंत सिंह कहते हैं- इस उम्र के बच्चे श्मशान के नाम से ही डर जाते हैं।

    - ऐसे में इनका यहां रहकर फौज में भर्ती की तैयारी करना दिखाता है कि इनके संकल्प कितने मजबूत हैं।

    बेचैन कर देते हैं दीवारों पर लिखे मोह-माया वाले दोहे

    - श्मशान में रह रहे इन लड़कों को जो चीज सबसे ज्यादा बेचैन करती है, वो है दीवारों पर चारों ओर लिखे दोहे।- सभी मोह-माया और संसार से दूर रहने की सीख देने वाले। किताब से जैसे ही नजर हटती है, सीधे इन्हीं दोहों पर जाती है।

    - हालांकि करीब समय के साथ यह सब भी रुटीन का हिस्सा लगने लगा है।

    अंजली - मित्रों हमारे अगले श्रोता हैं बाबू रेडियो श्रोता संघ आबगिला गया बिहार से मोहम्मद जावेद खान, ज़रीना खानम, मोहम्मद जामिल खान, रजिया खानम, शाहिना परवीन, खाकशान जाबीन, बाबू टिंकू, जेके खान, बाबू, लड्डू, तौफीक उमर खान इनके साथ ही के पी रोड गया से हमें पत्र लिखा है मोहम्मद जमाल खान मिस्त्री, शाबिना खातून, तूफ़ानी साहेब, मोकिनाम खातून, मोहम्मद सैफ उल खान, ज़रीना खातून आप सभी ने सुनना चाहा है इल्ज़ाम (1986) फिल्म का गाना जिसे गाया है अमित कुमार और आशा भोंसले ने गीतकार हैं आनंद बख्शी और संगीत दिया है बप्पी लाहिरी ने और गीत के बोल हैं -----

    सांग नंबर 6. ये तुझे क्या हुआ .....

    पंकज – तो मित्रों इसी के साथ हमें आज का कार्यक्रम समाप्त करने की आज्ञा दीजिये अगले सप्ताह आज ही के दिन और समय पर हम एक बार फिर आपके सामने लेकर आएंगे कुछ नई और रोचक जानकारियां साथ में आपको सुनवाएँगे आपकी पसंद के फिल्मी गीत तबतक के लिये नमस्कार।

    अंजली - नमस्कार।

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