28 मार्च को तिब्बत में दस लाख भू-दास मुक्ति दिवस है। इसे मनाने के लिए तिब्बत में सिलसिलेवार गतिविधियां आयोजित की गयीं।
वर्ष 1959 के मार्च माह में तिब्बत में लोकतांत्रिक सुधारों का दौर शुरू हुआ और भू-दास व्यवस्था खत्म कर दी गई। इसके बाद 57 वर्षों से तिब्बत में बहुत से परिवर्तन हुए। पिछले वर्ष तिब्बत का कुल उत्पादन मूल्य एक खरब चीनी युआन से भी अधिक रहा। तिब्बत में 15 वर्षों तक निःशुल्क शिक्षा की व्यवस्था की गई, जो पूरे देश में पहला प्रांत है।
28 मार्च को सुबह ल्हासा शहर के तिब्बती लोगों ने रंग-बिरंगे कपड़े पहने पोताला महल के सामने के मैदान पर राष्ट्र-ध्वज फहराने और राष्ट्रीय-गीत गाने के समारोह में भाग लिया। नींगछी शहर से आये सेवानिवृत्त कार्यकर्ता ज़ापो ने कहा कि वे हर वर्ष भू-दास मुक्ति दिवस पर पोताला महल आते हैं।
ज़ापो ने कहा , "कम्युनिस्ट पार्टी अच्छी है , हमारी महान मातृभूमि अच्छी है। मेरा जन्म पुराने समाज में हुआ था पर मैं नये समाज में जीता हूं। आज का सुखमय जीवन मूल्यवान है। अब तिब्बत में सभी गांवों में राजमार्ग प्रशस्त किया गया है। हमारे जीवन का लगातार सुधार होता जा रहा है।"
भू-दास मुक्ति का दिवस मनाने के लिए कई सांस्कृतिक गतिविधियां भी आयोजित हुई हैं। चीनी केंद्रीय रिकॉर्ड फिल्म स्टूडियो द्वारा बनाई गई फिल्म "दासत्व का खात्मा" चीन के केंद्रीय टीवी चैनल में प्रसारित किया जा रहा है। जिससे समाज का ध्यान आकर्षित किया गया है । जनवादी रूपांतर आन्दोलन ने आदमी का भाग्य बदला । इसी रूपांतर ने मानवाधिकार की दृढ़ता से संरक्षित किया। फिल्म " दासत्व का खात्मा " में मुख्य पात्र त्सेरेन राम पुराने तिब्बत में एक जन्म दास थी। बचपन में वह गुलामी और भेदभाव से पीड़ित रहती थी। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व वाले जनवादी रूपांतर ने दासत्व की हथकड़ी को तोड़ दिया और त्सेरेन राम और दूसरे दास भी "बात करने वाले जानवर" से देश के मालिक बन गये।
28 मार्च को सुबह दस बजे पोताला महल के सामने मैदान में राष्ट्रीय-गीत सुनाना शुरू हुआ और राष्ट्रीय-ध्वज नीले आकाश में फहराते नज़र आ रहे हैं। ल्हासा शहर की 65 वर्षीया महिला लोसांग ने कहा कि आज जन जीवन में भारी सुधार होने के साथ साथ सभी लोगों को शिक्षा के अवसर भी मिले हैं।
उन्होंने कहा, "मुक्ति से पहले तिब्बती लोगों की स्वतंत्रता नहीं थी। मुक्ति के बाद हमने जो कोशिश की है, उसका फल प्राप्त कर सकते हैं। पुराने समाज में लोगों को शिक्षा लेने का अवसर नहीं मिलता था, अब हम अपनी मर्ज़ी से अध्ययन कर सकते हैं। इसलिए हम शिक्षा को महत्व देते हैं।"
सन 1959 की 28 मार्च को तिब्बत के इतिहास में एक नयी शुरुआत मानी जाती है। उस दिन तिब्बत में जनवादी रूपांतर, जिसका केंद्र था भू-दास मुक्ति, धूमधाम से शुरू किया गया था। चीनी केंद्र सरकार के नेतृत्व में तिब्बती जनता ने जनवादी रूपांतर का आन्दोलन शुरू कर सामंती दासत्व का खात्मा किया था। तिब्बत में दस लाख भू-दास और दासों ने अपने जीवन का मालिक बनने का सपना साकार किया।
जनवादी रूपांतर करना तिब्बती जनता और इतिहास का अपरिहार्य विकल्प है, और वह भी तिब्बत में आर्थिक और सामाजिक उत्थान की गारंटी है। जनवादी रूपांतर से अभी तक के पचास वर्षों, खास तौर पर आर्थिक रूपांतर और खुलेपन के तीसेक वर्षों के तथ्यों को देखकर तिब्बती जनता को इस बात पर और अधिक समझ प्राप्त है। तिब्बत में जनवादी रूपांतर ने अंधेरे से प्रकाश, पिछड़ेपन से प्रगति और गरीबी से समृद्धि का नया युग स्थापित किया था।
तिब्बती स्वायत्त प्रदेश के अध्यक्ष लोसांग जामकन ने कहा,"आज के तिब्बत में वैज्ञानिक विकास, सामंजस्यता और स्थिरता, सांस्कृतिक समृद्धि, वातावरण में सुधार और सीमांत शांति की अच्छी स्थितियां पूरी की गई हैं। हम अवश्य ही तिब्बत को संपूर्ण खुशहाल समाज बनाने का लक्ष्य साकार करेंगे।"
तिब्बत में हुए भारी परिवर्तन का श्रेय कई पीढ़ियों के केंद्रीय नेताओं के ध्यान और प्रयासों तक आता है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की 18वीं राष्ट्रीय कांग्रेस की समाप्ति से महासचिव शी चिनफिंग के नेतृत्व वाली केंद्रीय कमेटी ने तिब्बत के आर्थिक और सामाजिक विकास और दीर्घकालिक सुस्थिरता के लिए भावी विकास की शानदार रूपरेखा बनायी है। अब तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में अर्थव्यवस्था का शीघ्र विकास, सामाजिक कार्यों की परिपूर्ण प्रगति, जन जीवन की उल्लेखनीय वृद्धि और समाज की सुस्थिरता कायम की गई है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के सुदृढ़ नेतृत्व में तिब्बती जनता अपनी नई यात्रा में और अधिक शानदार और गौरवशाली भविष्य साकार कर सकेगी।
( हूमिन )