वर्ष 2016 के मार्च में चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा का पूर्णांधिवेशन पेइचिंग में बुलाया जा रहा है। देश के विभिन्न क्षेत्रों से आये प्रतिनिधियों में अनेक तिब्बती भी हैं, उनमें कुछ कार्यकर्ता, किसान, कलाकार और चिकित्सक सभी वर्गों के लोग शामिल हैं।
छींगहाई-तिब्बत पठार से आये तिब्बती डाक्टर न्यांग माऔ श्यांग ने संवाददाताओं से बातचीत में तिब्बती लोगों की स्वास्थ्य स्थितियों की चर्चा करते हुए कहा,"तिब्बतियों की स्वास्थ्य स्थितियों में उल्लेखनीय सुधार किया गया है।"
डॉक्टर न्यांग माऔ श्यांग ने वर्ष 1975 में छींगहाई प्रांत के ह्वांग नान तिब्बती स्वायत्त प्रांत के जन अस्पताल में काम करना शुरू किया था। तभी उनकी नज़र में आने वाले अव्यवस्थित शर्तों से उनपर गहरी छाप लगी थी। क्योंकि छींगहाई प्रांत देश के भीतरी इलाके में स्थित है, जहां की स्थितियां दूसरे क्षेत्रों की तुलना में और अधिक खराब थीं और ह्वांग नान तिब्बती स्वायत्त प्रांत छींगहाई प्रांत में सबसे पिछड़े हुए क्षेत्रों में से एक था। छींगहाई प्रांत के अस्पताल के प्रसूति और स्त्री रोग विभाग में चालीस से अधिक वर्षों के लिए काम करने के बाद डाक्टर न्यांग माऔ श्यांग ने
उस समय छींगहाई प्रांत की स्थितियों की याद करते हुए बताया, "चालीस बरस पहले जब मैंने अस्पताल में काम करना शुरू किया था, तब इस क्षेत्र में महिलाओं का विचार भी आपेक्षाकृत पुराना था। बहुत सी महिलाएं स्त्री रोग होने पर भी शर्मिले स्वभाव के कारण अस्पताल में डाक्टर को दिखाने से इन्कार करती थीं, इसी कारण से अनेक महिलाओं की मौत भी हो गई। यह बात भी सही है कि उस समय अस्पताल की स्थितियां भी खराब थीं, बहुत सी प्रसूता महिलाएं अपने घर ही में बच्चे पैदा करती थीं। इसी कारण से बहुत सी महिलाओं की मौत भी हो गई।"
चालीस बरस पहले छींगहाई प्रांत के तिब्बती क्षेत्रों की आर्थिक स्थिति पिछड़ी हुई थी, लोगों का विचारधारा भी उन्नतशील नहीं थी। इसी कारण से अनेक महिला रोगियों की या तो समय पर अस्पताल में इलाज न होने से या गलत इलाज के कारण मौत हो गई। डॉक्टर न्यांग माऔ श्यांग ने अपनी आपबीती की याद करते हुए यह बताया, " यह चालीस बरस पहले की बात थी। एक महिला को अपने परिवार के सदस्यों से हमारे अस्पताल में भर्ती कराया गया। महिला एक लकड़ी के ठेले पर लेटी थी, उसका शरीर रज़ाई से ढंका हुआ था। उस दिन मैं भी ड्यूटी पर रही थीं। नर्स की बातें सुनते ही मैं रोगी के पास दौड़ी चली आई, लेकिन तबतक महिला मर चुकी थी। बाद में मुझे पता लगा कि इस क्षेत्र की तिब्बती महिलाएं अंधेरे में ही बच्चों को जन्म दे रही थीं। लेकिन इस महिला की बच्चे के जन्म देने के समय रक्तस्राव की गंभीर स्थिति होने लगी, पर परिजनों ने इसका समय पर पता नहीं लगाया। परिणामस्वरूप यह महिला मर गयी। उस समय ऐसी स्थिति बार बार होने लगी थी।"
कई वर्षों के आर्थिक विकास के बाद छींगहाई प्रांत के ह्वांग नान तिब्बती स्वायत्त प्रांत का स्वरूप भी बदल गया है। आज ह्वांग नान प्रांत और बाहर क्षेत्रों के बीच संपर्क काफी खुला है , इस क्षेत्र की तिब्बती महिलाओं की विचारधारा भी काफी बदली है। आज तिब्बती महिलाएं रोग होते ही जल्द अस्पताल में जाने लगी हैं और प्रसुता होने से पहले वे अस्पताल में जांच-पड़ताल करने की सेवा लेती रहती हैं। इन सबकी चर्चा करते हुए डॉक्टर न्यांग माऔ श्यांग ने बताया, " आज की स्थिति बिल्कुल अलग है। देहातों की तिब्बती महिलाएं प्रसुता करने से पहले जरूर अस्पताल में पूरी जांच करवाने आती हैं, वे अपने स्वास्थ्य को बहुत महत्व देती हैं और हमारे स्वास्थ्य विभागों का प्रसारण कार्य भी अच्छी तरह चल रहा है। यहां तक कि पहाड़ों में रहने वाली महिलाएं भी अक्सर अस्पताल में इलाज लेने आती रही हैं। वे कभी कभी अपनी प्रसुता अवधि से दो तीन महीने पहले ही अस्पताल आ गयी हैं और प्रसुता का समय पूरा करने के बाद वापस जाती हैं। "
पिछले कुछ वर्षों में चीन सरकार ने पूरे देश के देहातों में चिकित्सीय सहयोग व्यवस्था और गंभीर बीमारियों के लिए चिकित्सा बीमा का विस्तार करने की भी कोशिश की है। महिलाओं को स्वास्थ्य के संदर्भ में अधिक अनुकूल बनवाया जा रहा है। डॉक्टर न्यांग माऔ श्यांग ने अपने क्षेत्र में महिलाओं के लिए प्रस्तुत चिकित्सा नीतियों का परिचय देते हुए कहा, "अब महिलाओं को प्रसुता के लिए पाँच सौ युवान की सब्सिडी मिल पाती है और अगर कठिन प्रसव, गंभीर रक्त स्राव या ऑपरेशन करने की स्थिति पैदा होती है तो रोगियों का अधिकांश खर्च बीमा कंपनियां उठाती हैं। तिब्बती महिलाएं पार्टी और सरकार की अधिमान्य नीति के प्रति बहुत आभारी हैं। उन्होंने कहा कि कम्युनिस्ट पार्टी की नीति सही है, जिससे उन्हें संतोष है।"
वर्ष 2015 के सितंबर में चीनी राज्य परिषद ने "चीन में लैंगिक समानता और महिलाओं का विकास " श्वेतपत्र जारी कर कहा कि चीनी महिलाओं की स्वास्थ्य स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। वर्ष 2014 के अंत तक देशभर में 3131 महिला और बाल स्वास्थ्य केंद्र स्थापित किये गये हैं, 90 प्रतिशत प्रसूता महिलाओं को बुनियादी स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराया गया है। शहरों और देहातों में प्रसूता महिलाओं की अस्पताल में भर्ती दर 99 प्रतिशत तक जा पहुंची है। प्रसूता महिलाओं की मृत्यु दर भी वर्ष 1990 की 88.8 प्रति लाख से घटकर वर्ष 2014 की 21.7 प्रति लाख तक कम हुई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चीन को महिला स्वास्थ्य के संदर्भ में सबसे सफल दस देशों में शामिल किया है। इसके अलावा सभी प्रसूता महिलाओं की भर्ती करवाने और महिलाओं के स्वास्थ्य स्तर को उन्नत करने का लक्ष्य भी देश की 13वीं पंचवर्षीय योजना के मसौदे में निर्धारित किया गया है। इससे यह ज़ाहिर होता है कि चीन में महिलाओं के स्वास्थ्य कार्य को महत्व दिया जा रहा है और महिलाओं का सामाजिक स्थान भी निरंतर उन्नत किया जा रहा है।
डॉक्टर न्यांग माऔ श्यांग आज छींगहाई प्रांत में मशहूर प्रसूता डॉक्टर बनी है। उन्हें दिखाने वाले रोगी लम्बी लम्बी लाइनों में खड़े रहते हैं। पिछले डेढ़ दशक में डॉक्टर न्यांग माऔ श्यांग जन प्रतिनिधि का पद संभालने लगी हैं। उन्होंने बुनियादी इकाईयों की जांच-पड़ताल करने और प्रस्ताव के मसौदे की तैयारियों में बहुत से दिन बिताये। प्रति वर्ष के मार्च में डॉक्टर न्यांग माऔ श्यांग राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा के अधिवेशन में भाग लेती रही हैं। उन्हें अपने पद और काम पर गर्व है।
उन्होंने कहा,"हम जन प्रतिनिधि हैं, हमें अपना पवित्र मिशन निभाना चाहिये। हमारे कंधों पर जनता का विश्वास है। हमें जनता की ओर से बोलना चाहिये।"
( हूमिन )