सोनाम धूनद्रप दक्षिणी चीन के यूननान प्रांत के पालागाजूंन पर्यटन कंपनी के निदेशक हैं । पचास वर्षीय सोनम ने अपने तिब्बती गांवासियों को मार्ग का निर्माण करने और गांवासियों को अमर बनाने का सपना साकार करने के लिए कई सालों का प्रयास किया है ।
सोनाम चीन के यूननान प्रांत की शांगरीला काउटी के पाला गांव में जन्म हुआ था । पाला गांव इस काउटी के सुनसान पहाड़ों में स्थित है । पहले बहुत सालों के लिए पाला गांव को बाहर के दुनिया के साथ जुड़ने का सिर्फ एक छोटा पहाड़ी मार्ग था । गांव से काउटी नगर जाने के लिए तीन दिन का रास्ता नापना पड़ा । मार्ग और बिजली की आपूर्ति न होने की वजह से गांवासियों का जीवन बहुत मुश्किल था और गांवासियों को भी दूसरे यहां जाना पड़ा था । गांव में पहले 60 परिवार रहे थे और बाद में सिर्फ 14 परिवार बाकी रहे ।
सोनाम ने बता दिया, " जब मैं छोटा था , तब मुझे दुकान और सड़क जैसे कभी नहीं देखा । गांव में रहने वालों में अगर कोई बीमार हुए , तो अस्पताल में जाना भी असंभव था । "
सोनाम ने अपनी नौ साल होने की उम्र तक प्रथम बार शांगरी-ला काउटी के नगर में गया और वहां उन्हों ने प्रथम बार मोटर गाड़ी देखा । तब उन के मन में ऐसा विचार आने लगा कि एक दिन अपने गांव के लोगों के लिए भी बाहर जाने का एक रास्ता निर्मित किया जाएगा ।
सोनाम ने कहा कि मैं ने बचपन से ही यह सोचा था कि मेरे गांव में कब तक मोटर गाड़ी हो और गांवासियों को भी बाहर की दुनिया को देखने का अवसर मिले । इसी लक्ष्य को साकार करने के लिए मैं ने जिंदगी भर कोशिश की है ।
जब सोनाम 13 साल बड़ा था तब उन्हों ने पहाड़ों के बाहर जाकर काम करना शुरू किया । उस के बाद कई सालों के लिए उन्हों ने बड़े या छोटे शहरों में असंख्य बार हार खाने और जीत पाने के बाद कई करोड़ युआन की पूंजी जमा की है । अब सोनाम एक अमीर और सफल व्यवसायी बने हैं, पर वह हमेशा अपनी जन्मभूमि के गांवासियों की मुश्किलों पर ध्यान दिया करते हैं । वर्ष 1999 में सोनाम ने अपने धन के साथ जन्मभूमि वापस जाकर पहाड़ों में मार्ग बनाने का काम शुरू किया । 35 किलोमीटर लम्बे इस पहाड़ी मार्ग से पाला गांव के लोगों को इतिहास में प्रथम बार बाहर की दुनिया तक जाने का द्वार खोला गया । यही नहीं , पाला गांव के आसपास स्थित पालागाजूंन घाटी भी अपनी अद्भुत दृश्य से राष्ट्रीय पार्क बना , पाला गांव एक बंद व पिछड़ा हुआ पहाड़ी गांव से मशहूर तीर्थस्थल बनाया गया है ।
सोनाम ने कहा , " पाला गांव मेरी जन्मभूमि है। जब मैं बाहर व्यापार करता था , चाहे हार या जीत प्राप्त किया, मेरे मन में हमेशा मेरी जन्मभूमि रही थी । चाहे खुशी या दुःख लगती थी , मेरे दिमाग में जन्मभूमि की छवि चल रही थी । जन्मभूमि के पहाड़ों ने मेरे दिमाग में गहरी छाप लगायी है जो दूसरे लोगों को महसूस नहीं हो सकता है । "
सोनाम की जन्मभूमि पालागाजूंन घाटी यूननान प्रांत की शांगरी-ला कांउटी के नेसी प्रिफेक्चर में स्थित है जहां घाटी, नदी, बर्फीले पर्वत, घासमैदान, झील और रंगबिरंगी संस्कृति से प्राकृति और संस्कृति का शानदार रत्न बनाया गया है । सोनाम की आशा है कि अधिक परदेशी लोग मार्ग से यहां आएंगे और पालागाजूंन की सुन्दरता देख पाएंगे । पर यह भी समझते हैं कि पर्यटन के जरिये जन्मभूमि का विकास करते समय प्राकृतिक वातावरण का अच्छी तरह संरक्षण किया जाना ही चाहिये ।
सोनाम ने कहा कि मेरे दिल में एक ऐसा विचार हमेशा के साथ मौजूद है कि जन्मभूमि का पुराना रुख जरूर ही सुरक्षित किया जाएगा । हमारे यहां पहाड़ों में रजत और स्वर्ण का खान भी है , पर इन की खुदाई करने से वातावरण को नष्ट किया जाएगा । कुछ क्षेत्रों में पन बिजली घर और खानन का हद से ज्यादा विकास करने से प्राकृतिक दृश्य को बरबाद किया गया है , इसमें जो सबक है हमें जरूर सीखना ही पड़ेगा । इसलिए गांवासियों को अमीर बनाने के लिए सबसे अच्छा रास्ता है पर्यटन का चयन करना । क्योंकि पर्यटक प्राकृतिक दृश्य का दर्शन करने आते हैं , पर इन्हें वापस नहीं ले सकते । प्राकृतिक दृश्य हमारे संतानों के लिए सुरक्षित रहेगा ।
जब सोनाम ने पहाड़ों पर एक मार्ग प्रश्स्त बनाने को कहा , तब गांवासियों को विश्वास नहीं हुआ और कुछ लोगों ने उन्हें ऐसा करने को रोक भी किया था । लेकिन सोनाम हट नहीं गये । उन्हें पक्का विश्वास था कि मार्ग का निर्माण करने के बाद गांवासियों को सुखमय जीवन दिलाने का रास्ता भी प्रश्स्त होगा । वर्ष 2004 में मार्ग का निर्माण होने के बाद पालागाजूंग घाटी में पर्यटन का विकास करने का वसंत भी गांवासियों के सामने नजर आया । पाला गांव के 14 परिवारों को पहाड़ों में से मैदान के नये नये मकानों में दखल करवाया गया । पहले वे काउटी के नगर में जाने के लिए तीन दिन चाहिये , अब सिर्फ डेढ़ घंटा ।
पाला गांव में लोगों को लाभ दिलाने के लिए सोनाम ने गांव की खेती को किराये पर लेकर जैविक कृषि का विकास करना शुरू किया । गांवासियों को प्रति परिवार प्रति साल दस हजार युआव की भत्ता मिलता है । पहाड़ों पर जो पुराने वाले मकान हैं , उन्हें पुनःनिर्मित कर पर्यटकों को रहने वाले होटल बनाया गया । गांवासियों को इसी से भी प्रति साल तीन पाँच हजार युआन की आय मिलती है । साथ ही गांवासी तीर्थस्थल में काम करते प्रति वर्ष कई हजार युआन का तनख्वाह भी प्राप्त कर सकते हैं ।
82 वर्षीय बुजुर्ग बाईमा पहले पाला गांव के मुखिया थे । पहाड़ों में से मैदान पर बस जाने के बाद उन्हों ने भी तीन मंजीले वाली इमारत का नया मकान निर्मित किया । नये मकान बनाने के डेढ़ लाख युआन के खर्च में पचास हजार युआन सोनाम की कंपनी की तरफ से आया है । बाईमा के लिए मैदान में रहने का अर्थ न केवल यातायात और बिजली या पेयजल आदी की सुविधाएं मिलना हैं , बल्कि यहां उन्हें बुढ़ापा बीतने की उम्मीद भी साकार हो सकेगी ।
सोनाम ने बताया कि अगर गांवासी लोग पहाड़ में रहे , तो उन्हें निधन होने के बाद पहाड़ में ही दफनाया जाता है । पर अब मैदान में रहने से बूढ़ों के अंतिम संस्कार में जीवित बौद्ध भी आकर प्रार्थना कर सकते हैं जो तिब्बती श्रद्धालुओं के लिए अति महत्वपूर्ण है । बाईमा जैसे बूढ़े लोग यहां आराम से अपना बुढापा बीत सकते हैं ।
इसी बीच में सोनाम ने पहाड़ियों में पशुपालन भी शुरू किया और इस तरह भी कुछ गांवासियों को नौकरी का मौका दिया । दूसरे गांवासियों को भी पर्यटन के विकास में नौकरी मिली । अब सोनाम की पालागाजूंन पर्यटन कंपनी में कुल 160 गांवासी लोग कार्यरत हैं , वे अपने गांव के नजदीक ही नौकरी करते हैं । 30 वर्षीय ग-सांग त्साईशी वर्ष 2008 से ही पालागाजूंन पर्यटन क्षेत्र में टूरिज़्म गाइड का पद संभाला था । उन का तनख्वाह चार हजार युवान होता है और इस से अतिरिक्त वे मकान और खेती किराये पर देने से कुछ और आमदनी प्राप्त कर सकते है । उन्हों ने बताया कि पहले कुछ गांवासी घर छोड़कर बाहर नौकरी करने गये थे , पर आजकल उन में बहुत से लोग वापस आये हैं । पाला गांव में परिवारों की मात्रा 14 से बढ़कर 32 तक पहुंची है । और गांव में जवान भी दूसरे क्षेत्रों में काम करने नहीं जाते हैं ।
ग-सांग त्साईशी ने कहा कि अगर पर्यटन का विकास नहीं हुआ , तो मैं कालेज से स्नातक होने के बाद गांव में वापस नहीं आया क्योंकि यहाँ का जीवन बहुत कठिन था । पर्यटन के विकास से सब कुछ बदल गया है । अब हमारे गांव के जवान बाहर के स्कूल में पढ़ने के बाद सब वापस आये हैं । उन के लिए बाहर जाकर अपरिचित वातावरण में काम करने की जरूरत नहीं है ।
पाला गांव के नूंग-बू ने बताया कि पहले इस गांव में रहने वालों का जीवन आदिम था । मिसाल है कि उन के घर में फर्नीचर भी नहीं था । अब नूंग-बू ने पहाड़ के बाहर अपना नया मकान निर्मित किया है । मकान के सामने मार्ग भी है । वर्ष 2012 में नूंग-बू ने एक नया मोटर-गाड़ी भी खरीदा । आज वे अक्सर मोटर गाड़ी से काउटी के नगर में शोपिंग करने जाते हैं । वर्ष 2013 में सोनाम की आर्थिक सहायता के जरिये गांव के 14 लोगों ने तिब्बत की राजधानी ल्हासा की तीर्थयात्रा की , जिन में नूंग-बू भी शामिल हुए ।
नूंग-बू ने बताया कि ल्हासा में तीर्थयात्रा करना सभी तिब्बती जातियों का स्वप्न होता है । लेकिन ल्हासा जाने के लिए बहुत काफी खर्च की जरूरत है । सोनाम भाई की सहायता से मैं ल्हासा गया और मेरा सपना साकार हो गया है ।
पाला गांव के लोग सोनाम के प्रति बहुत आभारी हैं क्योंकि सोनाम ने अपनी कोशिश से उन्हें अमीर बनाया । लेकिन अपनी पत्नी और भाइयों की आंखों में सोनाम ने अपने परिवार के लिए बहुत कम किया है । पर सोनाम ने कहा कि एक ही आदमी को अमीर बनाना आसान है , उन की आशा गांव में सभी लोगों का जीवन बदलना है । इसीलिए उन्हों ने यथासंभव प्रयत्न किया है । आज गांव तक जाने वाला मार्ग प्रशस्त है , पर सोनाम के मन में एक नया स्वप्न उभर आया है यानी वह पालागाजूंन पर्यटन क्षेत्र में और अधिक यात्रियों को आकर्षित करेंगे और इसे राष्ट्रीय स्तर का पाँच सितारा तीर्थस्थल बनाया जाएगा ।
मार्ग के निर्माण में सोनाम ने बैंक से कर्ज़ लिया था, वर्ष 2013 में आये भूकंप से आर्थिक नुकसान हुआ और पर्यटन क्षेत्र के संचालन में कठिनाइयों का सामना भी करना था । इन की वजह से सोनाम को पूंजी का अभाव पड़ने लगा । उन की मदद करने के लिए यूननान प्रांत के संस्कृति उद्योग पूंजीनिवेश ग्रुप ने डेढ़ अरब यवान की पूंजी लगाकर सोनाम के साथ पर्यटन संसाधन का संयुक्त विकास शुरू किया । अब पालागाजूंन पर्यटन क्षेत्र में एक नया पांच सितारा होटल का निर्माण किया जा रहा है । सोनाम को विश्वस्त है कि पालागाजूंन पर्यटन क्षेत्र का अधिक विकास होने के बाद अपने गांवासियों का नया सपना भी साकार हो जाएगा ।