अनिलः वहीं एक अन्य खबर अमेरिका से है। एक अमेरिकी कोर्ट ने पिछले साल इंटरनेट पर वायरल हुई बंदरों की सेल्फी के अनोखे मामले में फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि मैकेक बंदरों की दांत दिखाकर मुस्कराते हुए खींची गई सेल्फी जो पिछले साल वायरल हो गई थीं, उन तस्वीरों पर बंदरों का कॉपीराइट नहीं है।
एक्टिविस्ट ग्रुप 'पीपल फॉर एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल' इस मामले को इंडोनेशियाई 'साइमन नैरुटो' की तरफ से सैन फ्रैंसिस्को लेकर आए थे। जिन्होंने पिछले साल एक फोटोग्राफर के नाम से बंदरों के हाथों कैमरे से खींची गई उनकी ही तस्वीरों को प्रकाशित करने के बाद प्रसिद्धि पाई थी।
पेटा ने कोर्ट में मैकेक बंदर को 'अपनी तस्वीर का मालिक और लेखक' घोषित करने के लिए पिटीशन दायर की। लेकिन प्रारंभिक आदेश में जज विलियम ऑरिक ने कहा कि जबकि कांग्रेस और प्रेसीडेंट इंसानों की तरह ही जानवरों के लिए भी कानून की सुरक्षा का विस्तार कर सकते हैं, लेकिन ऐसा कोई भी संकेत नहीं है, कि उन्होंने यह कॉपीराइट एक्ट में भी किया हो।
ये तस्वीरें साल 2011 में इंडोनेशियाई आइसलैंड सुलावेसी में ब्रिटिश नेचर फोटोग्राफर डेविड स्लेटर ने ली थीं। डेविड ने बाद में अपनी तस्वीरों की एक किताब भी प्रकाशित की। जिसमें दो तस्वीरें 6 साल के नैरुटो की ली हुई भी थीं। सैन फ्रैंसिस्को की एक कंपनी ने यह किताब 'ब्लर्ब' नाम से प्रकाशित की थीं। जो कि मुकदमे में सह-प्रतिवादी पक्ष थे।









