लूमा गांव में भेजे गए सरकारी कर्मचारी लोसांग इन्टरव्यू देते हुए
डॉक्टर आंग्च्वो ने बताया कि हर महीने उन्हें सरकार से 1 हज़ार युआन का भत्ता मिलता है। यह राशि घर के खर्च के लिए काफ़ी नहीं है। आंग्च्वो खेती का काम करने के साथ-साथ घर में 120 भेड़ों और 18 याकों का पालन भी करती हैं। पारिवारिक कार्य करने के साथ-साथ आंग्च्वो जिले में चानपा कारखाने के प्रचालन का काम भी संभालती हैं। चानपा एक प्रकार का तिब्बती खाना है, यह जौ के आटे से बना हुआ पकवान है। रोज़ सुबह 6 बजे आंग्च्वो उठती हैं, और इसके साथ ही उनका एक व्यस्त दिन शुरु होता है।
कम आय और कठोर स्थिति के कारण आली प्रिफेक्चर में लूमा गांव समेत सभी गांवों में दूसरे स्थलों से व्यावसायिक चिकित्सकों को आकृष्ट करना मुश्किल काम है। स्थानीय नागरिकों को आशा है कि घर के आसपास चिकित्सा कॉलेज से स्नातक हुए व्यावसायिक डॉक्टर उपलब्ध चिकित्सा केंद्र स्थापित किया जाएगा, ताकि बीमारी के दौरान उन्हें इलाज में सुविधा मिल सके। आली प्रिफेक्चर की काअर कांउटी द्वारा लूमा गांव में भेजे गए कर्मचारी लोसांग के विचार में गांव में चिकित्सा स्थिति उन्नत किया जाना जरूरी है। उन्होंने कहा:"वर्ष 2012 से ही तिब्बत में विभिन्न स्तरीय सरकार ने कुल 2 लाख युआन की राशि लगाई। जिसका प्रयोग गाव वासियों की जीवन स्थिति को सुधारने में किया जाता है। लूमा गांव में कुछ परियोजनाओं के साथ अनुसंधन किया जा रहा है। उदाहरण के तौर पर दुग्ध-गाय का पालन करना और मार्ग का निर्माण करना आदि। चिकित्सा के क्षेत्र में इस गांव की स्थिति कमज़ोर है। वर्तमान में सरकार द्वारा ग्राम स्तरीय चिकित्सा मापदंड स्थापित किया गया है। लूमा गांव में चिकित्सा सेवा केन्द्र इस वर्ष ही स्थापित किया गया है। जिसमें चिकित्सीय उपकरण अब भीतरी इलाकों से पहुंचाए जा रहे हैं।"