तिब्बती चिकित्सक आंगच्वो
वास्तव में लूमा गांव में चिकित्सीय स्थिति बहुत कमज़ोर है। गांव के चिकित्सा सेवा हाउस में सिर्फ़ पेनिसिलिन जैसी सरल दवाईयां मुहैया करवाई जाती हैं। गांव में गंभीर बीमारी के मामले या संक्रामक रोग के मामले के वक्त आंग्च्वो को उच्च स्तर की चिकित्सा संस्थाओं को सूचना देना पड़ता है। ऐसी स्थिति में आंग्च्वो अपने 42 वर्षों के अनुभवों के आधार पर गांववासियों के उपचार में राय देती हैं और दवाईयां भी देती हैं। आंग्च्वो ने कहा:"हमारे यहां प्रदत्त दवाईयां सरकारी वितरण की हैं। उदाहरण के लिये मेरे गांव में 105 परिवारों के 367 लोग रहते हैं। हर व्यक्ति को 200 युआन का चिकित्सा भत्ता मिलता है। जो लोग बीमार हो, वह इलाज के लिए मेरे यहां आता है, तो मैं उनकी संबंधित सूचना मेरे नोटबुक में रिकॉर्ड करती हूँ। साल के अंत में गांववासियों का कितना घन दवाईयां खरीदने में कितना खर्च होता है, नोटबुक में रिकॉर्ड किया गया है। सरकारी भत्ते के अतिरिक्त खर्च गांववासी खुद ही उठाते हैं। देखिए, इस गांववासी को मैंने एमोक्सिसिलिन दिया है, इसका खर्च क्या है। मैंने नोटबुक पर साइन किया। साल के अंत में हम साथ मिलकर समाशोधन करते हैं।"
आंगच्वो के पास इस प्रकार की कई नोटबुक हैं। तिब्बती भाषा में स्पष्ट रूप से गांववासी का नाम और उस द्वारा खरीदी दवाइयों का खर्च लिखा गया है। प्रति व्यय की नोट के पीछे आंग्च्वो साइन करती हैं। अगर गांव में संक्रामक रोग पैदा हुआ, आंग्च्वो 2 घंटे के भीतर संबंधित सूचना कस्बे स्तर के चिकित्सा विभाग को देती हैं, और 4 घंटे के भीतर संबंधित सूचना कांउटी स्तरीय चिकित्सा संस्था को पहुंचाई जाती है। प्लेग, पैर और मुंह की बीमारी (यानी एफ़एमडी) जैसे गंभीर संक्रामक रोग की स्थिति का पता लगाने की एक ही घंटे में संबंधित सूचना ऊपरी विभाग को देना जरूरी होता है। डॉक्टर आंग्च्वो को याद है कि पहले लुमा गांव के आसपास एक गांव में प्लेग से मिलता जुलता रोग पैदा हुआ था, उन्होंने शीघ्र ही उच्च स्तर के चिकित्सा विभाग को सूचना दी थी। ऊपरी विभाग ने जल्द ही विशेषज्ञ दल भेजा। स्थिति काबू में आ गई। आंग्च्वो ने कहा:"चिकित्सीय स्थिति सीमित होने की वजह से मैं अपने अनुभव के अनुसार रोगियों का इलाज करती हूँ। कभी कभार स्थानीय सरकार हमारा चिकित्सीय ज्ञान बढ़ाने और प्रशिक्षण देने के लिए राजधानी पेइचिंग के डॉक्टरों को आमंत्रित करती है। गांव में गांववासियों के घर एक दूसरे से दूर हैं। यहां मेरी तरह कुल 4 डॉक्टर हैं। इस वर्ष मैं 57 वर्ष की हो गई हूँ। दूसरे डॉक्टरों में एक की उम्र 70 से अधिक है और बाकी दो युवा हैं। उनकी उम्र 22 और 33 है। उन दोनों ने हाई स्कूल में दाखिला नहीं लिया। गाव वासियों के मतदान के बाद वे चुने गए और आली प्रिफेक्चर के शहर में प्रशिक्षण के लिए भेजे गए हैं। इसके बाद वे गांव में वापस लौटे और इस चिकित्सा सेवा हाउस में कार्यरत रहे हैं।"