लिली- दोस्तों, पृथ्वी के भविष्य को जानने की चाह, जलवायु और जैविक प्रणालियों में संभावित परिवर्तनों की गणना के लिए चीन की 1.4 करोड़ अमेरिकी डॉलर की लागत से करीब दो मंजिला इमारत की ऊंचाई वाले 'मैजिक क्यूब' सुपर कंप्यूटर को इस काम में लाने की योजना है।
चीन के वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि बादलों के निर्माण से लेकर सैकड़ों या हजारों साल बाद जलवायु परिवर्तन तक पृथ्वी की प्राकृतिक व्यवस्था में वे लगभग सबकुछ की गणना कर सकेंगे। चीनी विज्ञान अकादमी (सीएएस) के अंतर्गत आने वाले कई अनुसंधान संस्थानों ने संयुक्त रूप से विशेष सुपर कंप्यूटर का अनावरण किया जिसे अर्थ सिस्टम न्यूमेरिकल सिमुलेटर नाम दिया गया है और यह कंप्यूटर 'सीएएस अर्थ सिस्टम मॉडल 1.0' सॉफ्टवेयर पर काम करता है।
'मैजिक क्यूब' सुपर कंप्यूटर को उत्तरी बीजिंग के होंगग्युआनकून सॉफ्टवेयर पॉर्क में रखा गया है। इसको बनाने में करीब 9 करोड़ यूआन (करीब 1.4 करोड़ अमेरिकी डॉलर) की लागत आयी। इस कंप्यूटर की गणना करने की क्षमता कम से कम एक पेटाफ्लॉप तक है जिस कारण यह चीन के 10 सबसे शक्तिशाली कंप्यूटरों में शुमार है। इसमें पांच पीबी (करीब 50 लाख गीगाबाइट) की डेटा संचयन क्षमता है।
सरकारी समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार 'मैजिक क्यूब' आकार में भविष्य के पृथ्वी सिम्युलेटर की तुलना में दसवां हिस्सा है जिसके डिजाइन पर अब भी काम चल रहा है और वैज्ञानिक इसका उपयोग अंतिम तौर पर उपयोग में लाये जाने वाले सिम्युलेटर के रूप में करेंगे।
अखिल- चलिए दोस्तों, मैं आपको बताता हूं कि चीन के युद्धपोत के हिस्से से सदी पुराने मानव अवशेष मिले हैं।
जी हां, दोस्तों, चीन और जापान के बीच 121 वर्ष पहले हुए युद्ध के दौरान जापानी नौसेना द्वारा डुबोए गए एक युद्धपोत से शवों के कम से कम सात अवशेष मिले हैं। माना जा रहा है कि ये अवशेष चीनी नौसेना कर्मियों के हैं। सांस्कृतिक धरोहर राज्य प्रशासन की ओर से संचालित खोज अभियान के प्रमुख झोउ चुनशुई ने कहा, ''हमारा मानना है कि अवशेष युद्धपोत पर सवार अधिकारियों और सैन्यकर्मियों के है।''
झियुआन युद्धपोत का पेटा करीब 50 मीटर लंबा है। इसका पता पूर्वोत्तर चीन में डानडोंग बंदरगाह से 10 समुद्री मील दक्षिणपश्चिम दिशा में चला है। झोउ ने कहा कि पोत के 100 से अधिक हिस्से और नौसैनिकों के सामान भी मिले हैं। हम उन चीजों का अध्ययन करेंगे और यह पता लगाने का प्रयास करेंगे कि एक सदी से अधिक समय पहले समुद्र में जीवन कैसा था।'' युद्धपोत पर कुल 252 अधिकारी एवं नौसैनिक तैनात थे। उसमें से मात्र सात जीवित बचे थे।
लिली- चलिए.. आगे के क्रम में मैं आपको बताती हूं कि चीन के पहले आधुनिक विश्वविद्यालय के 120 साल पूरे हो गये हैं।
दोस्तों, आधुनिक चीन के प्रथम विश्वविद्यालय तिआनजिन विश्वविद्यालय की स्थापना को शुक्रवार को 120 साल पूरे हो गए। इस अवसर पर कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इस अवसर पर तिआनजिन में विश्वविद्यालय के परिसर में शुक्रवार को कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जिसमें विश्वविद्यालयों के अध्यक्षों की गोलमेज वार्ता, रंगारंग कार्यक्रम, विश्वविद्यालय के संस्थापक शेंग शुआनहुई की प्रतिमा का अनावरण शामिल है।
शिक्षा मंत्रालय के अधीन आने वाले इस विश्वविद्यालय से पिछले 120 साल में 2,50,000 छात्र स्नातक हुए हैं, जिन्होंने चीन की आधुनिक औद्योगिक प्रणाली के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। विश्वविद्यालय के अध्यक्ष ली जिआजून ने कहा कि तिआनजिन विश्वविद्यालय चीन के आधुनिकीकरण की प्रक्रिया के समक्ष उभर रही समस्याओं से निपटने के लिए दुनियाभर के सर्वश्रेष्ठ और विज्ञान एवं अनुसंधान टीमों के साथ मिलकर काम करेगा।
गौरतलब है कि तिआनजिन विश्वविद्यालय को पहले पेयांग विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाता था। इसकी स्थापना 1895 में तिआनजिन के तत्कालीन सीमा शुल्क विभाग के गवर्नर शेंग शुआनहुई ने की थी। यह पहला विश्वविद्यालय था, जिसने पूरी तरह से चीन में पश्चिमी विश्वविद्यालय प्रणाली को आत्मसात किया।
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