गीत गाते हुए रेल यात्री
तिब्बती पुरुष नोसांग राजधानी ल्हासा में स्थित तिब्बत विश्वविद्यालय के अध्यापक हैं। उनका जन्मस्थान शिकाज़े में है। आम तौर पर वह कार चलाकर ल्हासा और शिकाज़े की यात्रा करते हैं। यह उनके लिए ला-शि रेलगाड़ी पर सवार होने का पहला अनुभव है। अध्यापक नोसांग ने कहा:
"यह मेरा पहला अनुभव है। आम तौर पर मैं कार चलाकर घर वापस लौटता हूँ। कार चलाने के वक्त कई परिसीमन लगाया जाता है। जैसा कि कार चलाने की गति पर सीमित है। रेलवे यात्रा करने का एक अच्छा माध्यम है। इस पर सवार होना आरामदायक लगता है। ल्हासा से शिकाज़े तक कार से जाने में पूरे 5 घंटे लगते हैं। लेकिन रेलगाड़ी से मात्र 3 घंटे में आप अपने गंतव्य स्थल तक पहुंच सकते हैं। यह कार चलाने से तेज़ है। रेलवे और राजमार्ग पर अलग-अलग दृश्य देखा जा सकता है। लेकिन रेलगाड़ी में सवार होकर ज्यादा घनिष्ठ रूप से सुन्दर प्राकृतिक दृश्य का आनंद लिया जा सकता है।"
रेल के सफ़र के दौरान रेल-चालक दल के सदस्यों द्वारा प्रदत्त अच्छी गुणवत्ता वाली सेवा पर्यटकों को अच्छी लगती है। रेल कंडक्टर लेई लीफिंग ने जानकारी देते हुए कहा:
"हम रेल-पर्यटकों केलिए अच्छी सेवा प्रदान करते हैं। शुरु में रेल-गाड़ी पर अंदर जाने के वक्त, हम द्वार पर टिकट जांच के दौरान पर्यटकों से स्नेहपूर्ण तौर पर कहते है:नमस्कार, कृपया टिकट दिखाइए, कृपया लाइन में खड़े रहें, कृपया रेल-गाड़ी के अंदर आइए। ये हमारे चालक दल का मानकीकृत वाक्य हैं। इसके साथ ही हमने विशेष तौर पर एक अभिनय टीम की स्थापना की है। रास्ते में हम पर्यटकों के लिए कार्यक्रम पेश करते हैं। इसके माध्यम से पर्यटकों को सफ़र के दौरान थकान महसूस नहीं होती। उन्हें बड़ा मज़ा आता है।"
मधुर गीत और हंसने की आवाज़ के बीच पर्यटक शिकाज़े तक पहुंच गए। सभी लोगों को यात्रा बहुत आनंदमय लगती है। लेकिन पठार में इस रेल मार्ग का निर्माण आसान बात नहीं थी।