वर्ष 2014 में तिब्बत ने क्रमशः हिमालय गुजरने का पर्वतारोहण कैम्पिंग, युवाओं का आउटडोर ग्रीष्म शिविर, पर्वतारोहण ग्रीष्मकालीन शिविर और येम्द्रोकत्सो झील के चारों ओर साइकिलिंग आदि सिलविलेवार आउटडोर कार्यक्रमों का आयोजन किया, जिसने तमाम देशी-विदेशी खेल प्रेमियों को आकर्षित किया।
न्यीमा त्सेरिंग ने कहा कि आउटडोर उद्योग का विकास तिब्बत की वस्तुगत स्थिति के अनुरूप है, जो प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर रहते हैं। इसलिए विकास के दौरान पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान देना चाहिए। न्यीमा त्सेरिंग का कहना हैः
"पर्वतारोहण उद्योग के विकास में स्थानीय किसानों और चरवाहों को भी ज्ञान मिला है। पर्वतारोहियों और हमारे कर्मचारियों के माध्यम से उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के महत्व को समझा और इसमें शामिल किया है। इसके अलावा, हमारा एक बचाव दल भी है। यह दल न केवल राहत करता है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण भी करता है। दल के सदस्य खाली ऑक्सीजन के सिलेंडर जैसे कचरे को पहाड़ से नीचे लाते हैं। हम हमेशा इस काम में लगे रहते हैं।"
तिब्बत के ढेरों व्यापारी भी आउटडोर स्पोर्ट बाजार के विकास को लेकर आश्वस्त हैं। ल्हासा और शिकाज़े में हर जगह आउटडोर स्पोर्ट वस्तुओं की दुकानें देखने को मिलती हैं। विश्वास है कि बर्फ़ीले पहाड़, आदिम जंगल, नदी, झील, मैदान और रेगिस्तान आदि पारिस्थितिकी संसाधन संपन्न तिब्बत में आउटडोर स्पोर्ट की विशाल संभावना जरूर होगी।
(ललिता)