हाथ में पकड़े हुए सूत्र चक्र को घुमाती हुईं बुढ़ी मां
उस समय श्याओ रेअतंग का सरकारी वेतन अधिक नहीं था। लेकिन उन्होंने बुढ़े छन के खाने और पहनने समेत सभी रोज़मर्रा जीवन की जिम्मेदारी उठायी। वे बुढ़े छन को अपने पिता की तरह देखभाल करने लगे। पिछले 19 सालों में तिब्बती युवा और हान जाति के बुढ़े के बीच पिता और पुत्र का संबंध बन गया। श्याओ रेअतंग ने कहा:
"वह हान जाति के हैं और मैं तिब्बती जाति का हूँ। मुझे लगता है कि हमारे दोनों का मिलन जिंदगी में सौभाग्य का अवसर जैसा है। हान जातियों के लोगों के समर्थन के बिना हम तिब्बती लोगों का आज का जीवन इतना समृद्ध नहीं हो पाता। मुझे लगता है कि हम तिब्बती और हान जाति को परिवार के सदस्यों के रूप में मेल मिलाप के साथ रहना चाहिए। दादा छन हान जाति के हैं। 80 से अधिक उम्र के और बिना परिजन के बुढ़े के प्रति मेरी दया भावना है।"