ल्हासा तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की राजधानी है। यह एक बहुत आकर्षित पठारीय शहर है। इस शहर का इतिहास 1300 से अधिक साल पुराना है। लम्बे समय के विकास में यह शहर आज तक छिंगहाई-तिब्बत पठार में"मोती"के रूप में चमकदार रहा है।
आज के ल्हासा में देश के दूसरे स्थानों को जोड़ने वाला रेल मार्ग यानी छिंगहाई-तिब्बत रेल सेवा उपलब्ध है। इसके साथ ही विमानन सेवा भी बहुत सुविधापूर्ण है। यातायात और जीवन स्थिति बहुत संपूर्ण होने के कारण ल्हासा ने दुनिया के विभिन्न जगहों के साथ घनिष्ठ संबंध कायम किया। लोग यहां आकर पठार की सुन्दरता का मज़ा ले सकते है। चीनी केंद्रीय टीवी यानी सीसीटीवी के जीवन चैनल द्वारा किए गए एक जनमत संर्वेक्षण से पता चला है कि ल्हासा शहर लगातार सात वर्षों में"नागरिकों के मन में सबसे आनंदमय शहर"की नामसूची में पहले स्थान पर कायम रहा। हाल में हमारे संवाददाता की मुलाकात ल्हासा शहर के शीर्ष नेता छी जाला से हुई।
ल्हासा के लोग इतने सुखी कैसे हैं?इसकी चर्चा में छी चाला ने कहा कि ल्हासा के लोगों की सुखमय का अहसास भू-दासों की मुक्त के आधार पर है। पहले ल्हासा वासियों को राजनीतिक अत्याचार और शोषण का शिकार थे। उनके पास बुनियादी मानवाधिकार भी नहीं था। आर्थिक क्षेत्र में बहुत गरीब थे। उनके पास न तो पेट भरने के लिये खाना था और न ही पहने के लिए पर्याप्त कपड़े। तिब्बत में मुक्ति पाने, लोकतांत्रिक सुधार किए जाने और तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की स्थापना के बाद ल्हासा में बहुत बड़ा विकास हुआ। 50 से 60 वर्षों के भीतर ल्हासा सामंती भू-दास व्यवस्था से छलांग लगाकर विकास की राह पर चलकर समाजवादी समाज में प्रवेश कर चुका है। ल्हासा के शीर्ष नेता छी जाला ने कहा:
"चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने तिब्बतियों को अपने आप का मालिक बनवाया। ल्हासा वासी चुनाव अधिकार और चुनाव किए जाने के अधिकार का उपभोग करते हैं। वे शहर के मालिक के रुप में जीवन व्यतित करते हैं। तिब्बत की स्थिति दूसरे स्थलों से कहीं अलग है। पुराने जमाने की तुलना में लोगों के जीवन में इतना भारी परिवर्तन आया है कि पहले वे इस प्रकार के जीवन के बारे में कल्पना नहीं करते थे। साल-ब-साल के विकास से उनकी जिज्ञासा पूरा हो रही है।"