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    अल्पसंख्यक जातीय संस्कृति को पूरे विश्व में पहुंचाएं, निमा त्सेरिंग
    2015-03-20 20:09:43 cri

    सीपीपीसीसी के पूर्णाधिवेशन में तिब्बती सदस्यों की बैठक

    पंचन के चित्रकार बनने के बाद निमा त्सेरिंग ने आगे बढ़ने का सिलसिला चलता ही रहा। वे मानव जाति की समान भाषा के रूप में चित्र का प्रयोग करते हुए तिब्बत के विशेष इतिहास, संस्कृति और धर्म को दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचने में प्रायसरत हैं। वर्ष 1998 में निमा त्सेरिंग पहली बार अपने चित्रों को लेकर विदेश गए थे, इस दौरान वो सबसे पहले अमेरिका पहुंचे। उन्होंने कहा कि उस समय अमेरिका जाने के लिए हवाई टिकट की कीमत बहुत अधिक थी और उन्हें अंग्रेज़ी भी नहीं आती थी। वे अपने खर्चे पर अमेरिका गए और उन्होंने अमेरिकी नागरिकों को तिब्बती जाति की चित्रण कला से परिचय कराया। अमेरिकी लोगों ने उनकी रचनाओं के माध्यम से वास्तविक तिब्बती समाज की जानकारी ली। इसे याद करते हुए चित्रकार निमा त्सेरिंग ने कहा:

    " लोगों की तालियों की गड़गड़ाहट से और उनकी वाहवाही से मुझे पूर्व की संस्कृति के प्रति उनकी बड़ी रूचि महसूस हुई। अमेरिकी दर्शकों ने चित्रों के माध्यम से एक नई तिब्बती संस्कृति की जानकारी ली, और तिब्बत के बारे में ये सही जानकारी थी न कि उनकी कल्पना में चीन सरकार द्वारा तिब्बती संस्कृति को नष्ट करने की। मेरी रचनाओं में उन्हें लगा कि चीन में अल्पसंख्यक जातीय संस्कृति का वास्तविक रूप से विकास हो रहा है।"

    निमा त्सेरिंग ने कहा कि अब तक की उनकी रचनाओं को अमेरिका, भारत, ब्रिटेन और जापान जैसे दसेक देशों में प्रदर्शित किया जा चुका है, जिन्हें स्थानीय दर्शकों ने पसंद भी किया है। निमा त्सेरिंग अधिक से अधिक चीनी अल्पसंख्यक जातीय कलाकालों का विदेशों से परिचय कराना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि आर्थिक विकास धीमा होने के बावजूद चीन में अल्पसंख्यक जातीय क्षेत्रों में सांस्कृतिक विकास की गति धीमी नहीं है। लेकिन आर्थिक शक्ति से प्रभावित होकर कुछ श्रेष्ठ अल्पसंख्यक जातीय सांस्कृतिक रचनाओं का दूसरे देशों में प्रदर्शन करना आसान काम नहीं है। चीनी अल्पसंख्यक जातीय ललितकला संवर्धन संघ के अध्यक्ष के रूप में निमा त्सेरिंग ने इस क्षेत्र में कई कार्य किए हैं। उन्होंने कहा कि बड़ी मात्रा में स्थाई राशि नहीं मिलने के कारण अपनी शक्ति पर निर्भर रहकर युवा पीढ़ी की रचनाओं को अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनियों तक पहुंचाना असंभव है। इस तरह उन्होंने युवा चित्रकारों की रचनाओं को पेइचिंग से परिचय कराया, फिर कदम दर कदम अंतरराष्ट्रीय समुदाय तक। निमा त्सरिंग का कहना है:

    "मैंने कई ललित कलाकारों और मित्रों के समर्थन और कुछ गैर सरकारी उद्यमियों की सहायता से अल्पसंख्यक जातीय ललितकला संवर्धन संघ में जातीय फूल पुरस्कार शीर्षक वाली आठ गतिविधियों का आयोजन किया है। इनके माध्यम से पिछले 20 से अधिक वर्षों में मैं बार-बार युवा चित्रकारों को पेइचिंग में लेकर आया, ताकि उन्हें अपनी जातीय संस्कृति दिखाने का अवसर मिल सके।"

    निमा त्सेरिंग ने कहा कि विश्व चीन को समझना चाहता है। लेकिन खुद कलाकार के व्यक्तिगत प्रयासों से चीनी अल्पसंख्यक जातीय संस्कृति को अंतरराष्ट्रीय समुदाय में पहुंचाना मुश्किल है। इस वर्ष अभी-अभी समाप्त चीनी जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन(सीपीपीसीसी) की 12वीं राष्ट्रीय समिति के तीसरे पूर्णाधिवेशन के दौरान सीपीपीसीसी सदस्य के रूप में उन्होंने प्रस्ताव पेश किया कि सरकार की सहायता से चीनी अल्पसंख्यक जातीय कलाकारों की रचनाओं का लौवर संग्रहालय और ब्रिटिश संग्रहालय जैसे विश्व में पहली श्रेणी के सांस्कृतिक स्थलों में प्रदर्शित किया जाएगा। इसकी चर्चा में तिब्बती चित्रकार निमा त्सेरिंग ने कहा:

    "इस लक्ष्य को खुद हमारे प्रयासों के माध्यम से साकार नहीं किया जा सकता। कलाकार श्रेष्ठ रचनाएं रचने में निपुण होते हैं, तो सरकार को बेहतर सांस्कृतिक माहौल और सहायता राशि देनी चाहिए। यह सांस्कृतिक रूप से शक्तिशाली देश बनाने का अपरिहार्य रास्ता है।"

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