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    तिब्बती गायिका च्यांगयांग च्वोमा की कहानी
    2015-01-02 19:00:18 cri

     घास के मैदान में हवा

    घास के मैदान में वर्षा

    घास के मैदान में भेड़ों के झुंड

    घास के मैदान में खिलते फूल

    घास के मैदान में रहने वाली लड़की

    पेईचिंग स्थित छिंगह्वा विश्वविद्यालय के मङमिनवेई संगीत हॉल में घास के मैदान से आए《च्वोमा》नाम के गीत की आई मधुर घुन गूंज़ रही है। च्वोमा का अर्थ तिब्बती भाषा में दुर्गा है, तिब्बती लोगों की नज़र में दुर्गा एक खूबसूरत देवी है, जो आज भी तिब्बत में पूजनीय है। लेकिन आजकल तिब्बत में ढेर सारे लड़कियों के नाम च्वोमा रखा जाता है। लोग तिब्बती लड़कियों को प्यार से च्वोमा के नाम से पुकारते हैं।

    तिब्बती गायिका च्यांगयांग च्वोमा अपनी विशेष मध्यम आवाज़ से गहरी भावना के साथ गा रही है। उनकी मधुर आवाज़ में दर्शक मानो छिंगहाई तिब्बत पठार के विशाल घास के मैदान में आ पहुंचे हों, वहां वे एक प्राकृतिक सौंदर्य और रहस्य, तिब्बती लड़कियों की शुद्धता और भलाई महसूस करते हैं।

    "दुनिया में सबसे मधुर मध्यम सुर गायिका"के नाम से मशहूर च्यांगयांग च्वोमा चीन के तिब्बती बहुल क्षेत्र में ही नहीं, देश के भीतरी इलाके के दूसरे स्थलों में भी सुप्रसिद्ध हैं। उनके बेशुमार दीवाने हैं। च्यांगयांग च्वोमा की आवाज़ स्वच्छ है, जो वायलनचेलो (Violoncello) की आवाज़ की तरह सुरीली है। उनके द्वारा गाए गए गीत सुनते समय लोग"विश्व में सबसे अद्भुत संगीत दुनिया में"प्रवेश करते लग रहे होते हैं। पठार में घास के मैदान से आई आवाज़ के साथ-साथ तिब्बतियों के सुख और आनंद महसूस कर सकते हैं।

    गायिका च्यांगयांग च्वोमा का जन्म वर्ष 1984 में उत्तर-पश्चिमी चीन के सछ्वान प्रांत के कानची तिब्बती स्वायत्त प्रिफेक्चर की दगे कांउटी में एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। खुले मन वाली गायिका के रूप में च्यांगयांग च्वोमा को बचपन से ही नाचना गाना बहुत पसंद था। उन्होंने कहा:

    "लोग कहते हैं कि तिब्बती जाति के लोग नाचना और गाना पसंद करते हैं। मुझे लगता है कि यह हमारी हड्डियों के अंदर तक बसा है। मेरी मां खास कर गाना नाचना पसंद करती थी। मुझ पर उनका बड़ा असर हुआ है। बचपन में मैं मां के गाने की आवाज़ सुनती थी। वे कभी कभार गाती थीं'दूर की ओर उड़ रहे जंगली हंस......'और'एक बार फिर गा रही हूं चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के लिए'जैसे गीत। मैं मां के गाने की आवाज़ में पली-बढ़ी हूं।"

    प्रौढ़ होने के बाद च्यांगयांग च्वोमा शीघ्र ही गायन के रास्ते पर नहीं चले। पहले वह जन्मस्थान दगे कांउटी के एक होटल में नौकरी करते रहे। संयोग की बात है कि एक बार दगे कांउटी के एक नेता उनके विशेष मध्यम स्वर से प्रभावित हुए। इस नेता से परिचय के बाद च्यांगयांग च्वोमा ने दगे कांउटी स्तरीय कला मंडली में प्रवेश लिया। अपने परीश्रम और प्रयास से उन्होंने परीक्षा पास कर कानची तिब्बती प्रिफेक्चर के नाच-गान मंडली में दाखिला लिया। फिर उन्हें बिना परीक्षा सछ्वान प्रांत के संगीत कॉलेज में भेजा गया। संगीत कॉलेज में च्यांगयांग च्वोमा ने तीन वर्षों तक गीत-संगीत से जुड़ा पेशेवर ज्ञान सीखा। स्नातक होने के बाद वे विभिन्न प्रकार के अभिनय गतिविधियों में भाग लेती रही। उनका विशेष मध्यम स्वर लोगों को बहुत पसंद आया। धीरे-धीरे च्यांगयांग च्वोमा गीत गाने के जगत में मशहूर होने लगी। बाद में वे एक बार फिर बिना परीक्षा चीनी जन मुक्ति सेना की तिब्बत स्वायत्त प्रदेश शाखा के अधीनस्थ नाच-गान मंडली में भर्ती हुई। इसके बाद उन्होंने चीनी जन मुक्ति सेना के अधीन कलात्मक कॉलेज में दो सालों तक सीखा।

    च्यांगयांग च्वोमा को लगता है कि वह बहुत सौभाग्यशाली है। गीत गाने के रास्ते में वे बेरोकटोक रूप से आगे चल रही हैं। इसी दौरान उन्हें कई व्यक्तियों से मदद मिली और धीरे-धीरे वो सफलता की पायदान चढ़ती गईं। च्यांगयांग च्वोमा ने कहा कि वे खासकर अपने साउंड इंजीनियर की बहुत आभारी है। च्यांगयांग च्वोमा का कहना है:

    "मुझे लगता है कि मेरे जीवन में मेरे साउंड इंजीनियर ने मुझपर बड़ा असर डाला है। उन्होंने मुझे वस्त्र पहनना, एक अच्छा व्यक्ति बनना, संगीत को समझना और गीत के तरीके जैसे क्षेत्रों में बहुत सी चीज़ें सीखाईं। वे मेरे पिता की तरह मेरी देखभाल करते हैं। कभी कभार वे मेरी गलतियां भी बताते हैं। आम तौर पर मैं कभी कभार इधर उधर जाकर अभिनय भी करती हूँ। इस तरह मुझे खुद गर्व होता है। लेकिन उनके पास आते ही मैं खुद को कुछ भी नहीं समझती। साउंड इंजीनियर अक्सर मुझसे गलतियां ठीक करने को कहते हैं। वो मेरी जिंदगी में सबसे अच्छे व्यक्ति हैं।"

    च्यांगयांग च्वोमा को तिब्बती जाति का आदिम संगीत पसंद है। उन्हें लगता है कि रिकॉर्डिंग स्टूडियो में वे साउंड इंजीनियर से अधिक वास्तविक ज्ञान प्राप्त कर सकती हैं। रिकॉर्डिंग स्टूडियो में वे च्यांगयांग च्वोमा के लिए अनुकूल गीत चुनते हैं और उन्हें पढ़ाते हैं कि सबसे अच्छी स्थिति में गीत गाने का तरीका क्या है। च्यांगयांग च्वोमा को याद है कि करीब दो वर्षों तक वो जब अभिनय में व्यस्त नहीं रहती थी तब वो रिकॉर्डिंग रूम में जाकर साउंड इंजीनियर से रिकॉर्डिंग की बारिकीयां सीखती थी। इसी दौरान उन्होंने बहुत उपयोगी चीज़ें सीखीं।

    वर्ष 2009 से ही च्यांगयांग च्वोमा क्रमशः《पश्चिमी सागर का प्रेम गीत》,《स्वर्ण घास का मैदान》,《चीन की आवाज़》और《दुनिया में सबसे मधुर महिला मध्यम स्वर》समेत 8 संगीत एलबम जारी किए। उन्होंने बहुत से गीत गाए। लेकिन इन गीतों में उनका गाया गया पहला गीत बहुत अविस्मर्णिय है। इसकी चर्चा करते हुए च्यांगयांग च्वोमा ने कहा:

    "मेरे पहले गीत का नाम है《सौभाग्य से भरा घी का दीपक》। उस समय मेरी मां का देहांत हुआ था। मुझे मां की बहुत याद सताती थी। इस तरह मैं एक मित्र, जो《एक ही मां की बेटियां》गीत के लेखक हैं, से《सौभाग्य से भरा घी का दीपक》गीत रचने की मांग की। मैंने उन्हें अपना जीवन अनुभव और मां के प्रति गहरा प्यार बताया। उन्होंने मेरी बात सुनकर मेरे लिए गीत रचना की मंजूरी दी। रिकॉर्डिंग स्टूडियो में मेरा पहला गीत यही गाना था। इस गीत को गाते समय मुझे मां की याद आती है।"

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