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    "मैदान नृत्य"से पारंपरिक तिब्बती संस्कृति के मिली जीवन शक्ति
    2014-12-05 19:49:09 cri

    मुक्ति मैदान में नाचने आए त्वोछी और त्सेरिन च्वोगा जैसे व्यक्ति बेशुमार है। स्थानीय निवासियों के उत्साह की चर्चा करते हुए छांगतु प्रिफेक्चर के संस्कृति ब्यूरो के निदेशक लोसोंग निमा ने कहा:

    "गत वर्ष अगस्त महीने के अंत में छांगतु मुक्ति मैदान का निर्माण पूरा हो चुका था और नागरिकों के लिए खोला जाता है। तभी से अब तक रोज़ शाम को आठ बजे स्थानीय निवासी मैदान में एकत्र होकर छांगतु क्वोच्वांग नृत्य, मांगखांग श्वानची नृत्य और तिंगछिंग रअबा नृत्य नाचते हैं। शुरू में हमारे संसकृति ब्यूरो ने उन्हें सिखाने के लिए कुछ नर्तक भेजे थे। धीरे-धीरे लोगों को नाचने में आनंद आने लगा और वो उत्साह से भर गए। आम तौर पर मैदान में पांच या छह सौ लोग होते हैं और सप्ताहांत में नाचने वालों की संख्या करीब एक हज़ार तक पहुंचती है। मुझे याद है कि गत वर्ष सर्दियों में तापमान शून्य से 15 डिग्री नीचे था। मैदान में लोगों की भीड़ भी होती थी। इसके बाद भी हमारे संस्कृति ब्यूरो नियमित समय पर नृत्य की नई धुनें बदलते हैं और कभी कभार नाचने वालों के प्रशिक्षण के लिए व्यावसायिक नृतकों को मैदान में भेजते हैं।"

    मैदान नृत्य के माध्यम से आम लोग अच्छी तरह शारीरिक अभ्यास करते हैं। इसके साथ ही उल्लेखनीय बात यह है कि छांगतु की पारंपरिक संस्कृति में मूल्यवान खजाने के रूप में क्वोच्वांग, श्वानची और रअबा जैसे नृत्य नाचने से स्थानीय परम्परागत संस्कृति को सबसे बड़ी विरासत में लेते हुए विकसित किया जा रहा है। छांगतु प्रिफेक्चर के संस्कृति ब्यूरो के निदेशक लोसोंग निमा ने कहा:

    "सांस्कृतिक संरक्षण के क्षेत्र में कहा जाए, तो ऐसा तरीका जीवित तरीका कहा जाता है। न कि स्थिर तरीका।"

    मैदान नृत्य के अलावा श्रेष्ठ लोक नाच गान को विरासत में ग्रहण करने और इसका संरक्षण करने के लिए छांगतु प्रिफेक्चर ने"एक, दस, सौ, हज़ार, और दस हज़ार"नाम की परियोजना लागू की है। इसका परिचय देते हुए छांगतु संस्कृति ब्यूरो के निर्देशक लोसोंग निमा ने कहा:

    "छांगतु प्रिफेक्चर में हर साल एक बड़े पैमाने वाला सांस्कृतिक और कलात्मक अभिनय गतिविधि का आयोजन होता है, इशका लक्ष्य ये है कि कांउटी स्तर के ऊपर की श्रेष्ठ लोक प्रतिभाओं की खोज की जा सके। 11 कांउटियों में वार्षिक तौर पर सांस्कृतिक और कलात्मक अभिनय गतिविधि का आयोजन किया जाता है। जिससे जिला स्तरीय श्रेष्ठ उत्तराधिकारियों को प्रशिक्षण मिल सके। 138 जिले और कस्बों में हर साल अपने-अपने एक सांस्कृतिक और कलात्कम अभिनय गतिविधि आयोजित किया जाता है, जिससे आधारभूत स्थलों में श्रेष्ठ उत्तराधिकारियों को खोज की जा सके। 1198 गांवों में लोक अभिनय मंडली की स्थापना की जाती है, जिससे 3 से 5 वर्षों में 10 हज़ार लोग नृत्य-गान के उत्तराधिकारियों को प्रशिक्षित कर सकें। स्थानीय लोगों के मैदान नृत्य को बहुत उत्साह से देखा जाए, तो मुझे लगता है कि इस परियोजना को बखूबी अंजाम देने में कोई सवाल नहीं पैदा नहीं होगा। इसके अलावा छांगतु प्रिफेक्चर के स्कूलों में लोग नृत्य गान से जुड़ी कक्षाएं भी खोली गई हैं। हम श्रेष्ठ उत्तराधिकारियों को स्कूलों में नियमित प्रशिक्षण के लिए भेजते हैं। इस तरह धीरे-धीरे हमारे छांगतु प्रिफेक्चर में पारंपरिक लोक संस्कृति के संरक्षण में त्री-आयामी व्यवस्था स्थापित हुई है।"

    पारंपरिक नृत्य-गान जातीय संस्कृति के विकास का परिणाम है, आम लोग इसके संस्थापक हैं। इस तरह आम लोग अपनी पारंपरिक संस्कृति के विकास और संरक्षण करने वाले हैं। मैदान नृत्य जैसे विशेष तरीके से छांगतु प्रिफेक्चर में पारंपरिक संस्कृति का सच्चे मायने में जीवित रूप से संरक्षण किया जा रहा है।


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