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संडे की मस्ती 2014-11-09
2014-11-12 15:22:56 cri

अखिल- आपका एक बार फिर स्वागत है इस चटपटे और लाफ्टर से भरे कार्यक्रम संडे की मस्ती में।

दोस्तों, दार्शनिक सुकरात दिखने में बहुत कुरुप थे। वह एक दिन अकेले बैठे हुए आईना हाथ में लिए अपना चेहरा देख रहे थे। तभी उनका एक शिष्य कमरे में आया; सुकरात को आईना देखते हुए देख उसे कुछ अजीब लगा। वह कुछ बोला नही सिर्फ मुस्कराने लगा। विद्वान सुकरात शिष्य की मुस्कराहट देख कर सब समझ गए और कुछ देर बाद बोले, "मैं तुम्हारे मुस्कराने का मतलब समझ रहा हूँ…….शायद तुम सोच रहे हो कि मुझ जैसा कुरुप आदमी आईना क्यों देख रहा है ?"

शिष्य कुछ नहीं बोला, उसका सिर शर्म से झुक गया।

सुकरात ने फिर बोलना शुरु किया, "शायद तुम नहीं जानते कि मैं आईना क्यों देखता हूँ"

शिष्य बोला, "नहीं "

गुरु जी ने कहा "मैं कुरूप हूं इसलिए रोजाना आईना देखता हूं"। आईना देख कर मुझे अपनी कुरुपता का भान हो जाता है। मैं अपने रूप को जानता हूं। इसलिए मैं हर रोज कोशिश करता हूं कि अच्छे काम करुं ताकि मेरी यह कुरुपता ढक जाए। "।

शिष्य को ये बहुत शिक्षाप्रद लगी। परंतु उसने एक शंका प्रकट की और बोला- " तब गुरू जी, इस तर्क के अनुसार सुंदर लोगों को तो आईना नहीं देखना चाहिए?"

सुकरात समझाते हुए बोले , "ऐसी बात नही! उन्हे भी आईना अवश्य देखना चाहिए! इसलिए ताकि उन्हे ध्यान रहे कि वे जितने सुंदर दिखते हैं उतने ही सुंदर काम करें, कहीं बुरे काम उनकी सुंदरता को ढक ना ले और परिणामवश उन्हें कुरूप ना बना दे।"

शिष्य को गुरु जी की बात का रहस्य मालूम हो गया। वह गुरु के आगे नतमस्तक हो गया।

दोस्तों, इस कहानी का भाव यह है कि सुन्दरता मन व भावों से दिखती है। शरीर की सुन्दरता तात्कालिक है जब कि मन और विचारों की सुन्दरता की सुगंध दूर-दूर तक फैलती है।

चलिए.. हम आपको एक ऐसा ओडियो सुनवाने जा रहे हैं, शायद इससे पहले कभी नहीं सुना होगा। यह ओडियो रेडियो मिर्ची के नावेद का है जिसने हमें सोचने पर मजबूर कर दिया। वाकई इससे हमारे समाज को जरूर सीख लेनी चाहिए।

(ओडियो)

(गाना-3)

मीनू- चलिए.. अब चलते हैं चटपटे हंसगुल्लों की तरफ, जहां सुनाए जाएंगे मजेदार चुटकुले

अखिल- रविवार के दिन पति देव थोड़ी देरी से उठे और उठते ही बोले, "आज तो बड़ी गर्मी है, ठन्डे-ठन्डे पानी से नहाया जाये"... (सीटी बजाते हुए बाथरूम में घुस गए)

नहाने के बाद पति अपने पत्नि से बोला: अरे सुनो ज़रा तौलिया देना।

पत्नी चिल्लाते हुए बोली: तुम्हारा हमेशा का ही यह काम है, बिना तौलिये के नहाने जाते हो। अब मैं नाश्ता बनाऊँ या तुम्हें तौलिया दूँ। चड्डी बनियान भी धो के नल पे टांग देते हो उसे भी मुझे ही उठाना पड़ता है। आज तक नहाने के बाद कभी वाइपर भी नहीं लगाया। फिर दूसरे चड्डी बनियान के लिए भी मुझे बुलाओगे। कल तो बाल्टी भी खली छोड़ दी थी तुमने। फिर जब बाहर निकलोगे तो पूरे घर में गीले पैरों के निशान बना दोगे। फिर उस पर मिटटी पड़ेगी तो सब जगह गन्दी हो जाएगी। एक बार नौकरानी उसपे फिसल गयी थी फिर 3 दिन तक नहीं आई थी। पता है मेरा क्या हाल हुआ था काम कर कर के।

पति (मन में सोचते हुए ): साला नहा कर गलती कर दी।

मीनू- हां हाँ हां हां.. बेचारा पति...।

अखिल- मीनू जी, यह हर पति के साथ ऐसा होता है। चलिए.. अगला जोक सुनाता हूं।

एक बार तीन दोस्त थे। तीनो को एक ही लड़की पसंद आ गयी तो तीनो ने फैंसला किया कि वे तीनो एक साथ लड़की को प्रोपोज़ करेंगे और लड़की का फैंसला आखिरी फैंसला होगा। तीनों दोस्त लड़की के पास पहुंचे।

पहला दोस्त: मैं तुम्हारे लिए अपनी जान दे सकता हूँ।

लड़की : वो तो सब कहते हैं।

दूसरा दोस्त: मैं तुम्हारे लिए चाँद तारे तोड़ सकता हूँ।

लड़की: पुराना डायलाग है।

तीसरा दोस्त बड़ी हिम्मत करके लड़की के पास आया और बोला, "मैं तुम्हारी ACTIVA में रोज 3 लीटर पेट्रोल डलवाऊंगा।"

यह सुन कर लड़की की आँखों में आँसू आ गए और बोली, "पागल इतना चाहता है मुझ को।"

मीनू- हां हां हां... पेट्रोल की कीमतें आसमान छू रही है... लड़की को और क्या चाहिए...।

अखिल- हां हां हां... अगला जोक सुनिए। संता सुबह-सुबह डीटीसी की बस से ऑफिस जा रहा था। उसके बगल वाली सीट पर एक महिला अपने बच्चे के साथ बैठी हुई थी। महिला के हाथ में टिफिन था जिसमें हलवा रखा हुआ था। वह बच्चे को हलवा खिलाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन बच्चा खाना नहीं चाहता था, नखरे कर रहा था।

महिला बार-बार बच्चे से कह रही थी, बेटा, जल्दी से हलवा खा लो, नहीं तो मैं इसे बगल में बैठे अंकल को दे दूंगी। बच्चे को शायद भूख नहीं थी इसलिए वह टिफिन की तरफ देख भी नहीं रहा था। महिला बार-बार वही बात दोहरा रही थी, जल्दी से खा लो, वरना हलवा अंकल को दे दूंगी।

जब काफी देर हो गई तो संता बोला, बहनजी, आपको जो फैसला करना है, जल्दी कीजिए। आपके हलवे के चक्कर में मैं 4 स्टॉप आगे आ गया हूं।

मीनू- हां हाँ हाँ हाँ.... यह भी काफी फन्नी जोक था।

अखिल- दोस्तों, अब हमारा जाने का वक्त हो चला है... अगले हफ्ते हम फिर लौटेंगे इसी समय, इसी दिन अपनी मस्ती की पाठशाला लेकर। हम हमेशा यही कामना करते हैं कि आप सभी हर दिन हंसते रहें, मुस्कराते रहें, और ढेर सारी खुशियां बांटते रहें। क्योंकि आप तो जानते ही हैं कि Laughing is the best medicine यानि हंसना सबसे बढ़िया दवा है। तो Always be happy.... हमेशा खुश रहो.....और सुनते रहो हर रविवार, सण्डे की मस्ती। आप हमें लेटर लिखकर या ई-मेल के जरिए अपनी प्रतिक्रिया, चुटकुले, हंसी-मजाक, मजेदार शायरी, अजीबोगरीब किस्से या बातें भेज सकते हैं। हमारा पता है hindi@cri.com.cn। हम अपने कार्यक्रम में आपके लैटर्स और ईमेल्स को जरूर शामिल करेंगे। अभी के लिए मुझे और लिली जी को दीजिए इजाजत। गुड बॉय, नमस्ते।


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