तिब्बत की चर्चा करते हुए लोगों के मन में एकदम तिब्बती बौद्ध धर्म के बारे में विचार आता है। यह सच है कि तिब्बती बौद्ध धर्म तिब्बतियों का प्रमुख विश्वास है। लेकिन कम लोग जानते हैं कि तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के छांगतु प्रिफेक्चर में शांगयानचिंग नामक गांव में तिब्बती बौद्ध धर्म के विभिन्न संप्रदायों का समृद्ध विकास के चलते पूरे तिब्बत में एकमात्र कैथोलिक चर्च सुरक्षित भी है, जहां कई सौ कैथोलिक रहते हैं।
चीन की सभ्यता और मां समान नदी के रूप में ह्वांग हो यानी पीली नदी, छांगच्यांग नदी यानी यांत्सी नदी और छह एशियाई देशों से गुज़रने वाली लान छांगच्यांग नदी (एशिया के दूसरे देशों में इसे मेकोंग नदी भी कहा जाता है) का उद्गम स्थल छिंगहाई तिब्बत पठार पर स्थित है। तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के छांगतु प्रिफेक्चर तीन नदियों वाले क्षेत्र में बसा हुआ है, जहां आधी सदी में विभिन्न धर्म के लोग मेल-मिलाप से रहते आए हैं। हाल में हमारे संवाददाता ने छांगतु प्रिफेक्चर में शांगयानचिंग गांव स्थित कैथोलिक चर्च का दौरा किया।
शांगयानचिंग गांव छांगतु प्रिफेक्चर की मांगखांग कांउटी के नाशी जिले स्थित है, जो राजमार्ग नम्बर 214 के पास है। यानचिंग कैथोलिक चर्च इसी गांव में है, यहां पश्चिमी और तिब्बती वास्तु निर्माण कला दोनों का मिश्रण दिखता है। चर्च के भीतर सजावट गोथिक शैली की है, छत पर《बाइबिल》के विषय के भित्ति चित्र हैं, वहीं चर्च के बाहर तिब्बती नागरिक मकानों की शैली नज़र आती है। इस प्रकार की सजावट देखकर बाहर आने वाले लोगों को बड़ी उत्सुकता होती है। तिब्बती बौद्ध धर्म की लोकप्रियता वाले स्थान में बाहर से आए धर्म यानी कैथोलिक धर्म का कैसे समान विकास हुआ ?यानचिंग कैथोलिक धर्म प्रबंधन समिति के प्रधान लूरनडी कहते हैं:
"वर्ष 1865 से वर्ष 1930 के बीच इस चर्च की स्थापना और प्रबंधन फ्रांसीसी पेरिस मिशनरी संघ किया करता था। वर्ष 1930 से वर्ष 1949 तक फ्रांसीसी मिशनरी संघ ने इसे स्विट्जरलैंड के कॉन्वेंट को दे दिया, इसी दौरान स्विट्जरलैंड का कॉन्वेंट इसका प्रबंधन करता था। यानचिंग कैथोलिक चर्च का प्रबंधन उसकी स्थापना से लेकर वर्ष 1949 तक विदेशी मिशनरी द्वारा किया जाता था। वर्ष 1949 के बाद संबंधित प्रबंधन बंद हुआ। वर्ष 1982 में इसे पुनः खोला गया। अब पूरे शांगयानचिंग गांव में 650 कैथोलिक रहते हैं। उनमें मुख्य तौर पर तिब्बती जाति के हैं। तिब्बतियों के अलावा नाशी जाति और हान जाति के लोग भी शामिल हैं।"