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    आधूनिक जमाने में तिब्बती चिकित्सा की दक्षिणी शाखा का विकास
    2014-10-03 10:48:54 cri

    तिब्बती चिकित्सा की दक्षिणी शाखा देगे कांउटी में उत्पन्न हुई, जिसे उत्तरी शाखा के साथ तिब्बती चिकित्सा के इतिहास में दो अहम भाग माना जाता है। तिब्बती चिकित्सा के ये दो भाग《चार चिकित्सा ग्रंथ》के आधार पर स्थापित हुए हैं। तिब्बती चिकित्सा के डॉक्टर वूचिन तानचङ के विचार में तिब्बती चिकित्सा के दक्षिणी शाखा और उत्तरी शाखा के बीच ज्यादा बड़ा फर्क नहीं है, जिनका विकास अलग-अलग तौर पर अपने-अपने क्षेत्र के प्राकृतिक वातावरण और स्थानीय लोगों की भिन्न-भिन्न शारीरिक स्थितियों के आधार पर किया गया है। वूचिन तानचङ ने परिचय देते हुए कहा:

    "वास्तव में तिब्बती चिकित्सा के दक्षिण और उत्तर भागों के बीच ज्यादा फर्क नहीं है। दक्षिणी शाखा वास्तविक इलाज पर ज्यादा ध्यान देती है, जबकि उत्तरी शाखा सैद्धांतिक ज्ञान पर अधिक तव्ज्जों देती है। इन दोनों भागों का मूल《चार चिकित्सा ग्रंथ》ही है। उत्तरी शाखा के संस्थापक का जन्म तिब्बत के शिकाज़े में हुआ, जबकि दक्षिण शाखा के संस्थापक का जन्म लोका क्षेत्र में हुआ। बाद में उनके शिष्यों ने दक्षिणी शाखा के तिब्बती चिकित्सा को खांगपा क्षेत्र में प्रसारित किया। उत्तरी और दक्षिणी शाखाएं अलग-अलग जलवायु क्षेत्र में स्थित है, इस तरह उनके बीच रोगियों का इलाज करने, दवाइयां बनाने और औषधियों को पहचानने जैसे क्षेत्रों में थोड़ा फ़र्क मौजूद हैं। लेकिन ज्यादा फ़र्क नहीं है।"

    खांगपा तिब्बती बहुल क्षेत्र में रहने वाले स्थानीय लोग रोग के इलाज में तिब्बती चिकित्सा पर ज्यादा विश्वास करते हैं। इस वजह से इसी क्षेत्र में तिब्बती चिकित्सा का विकास जोरदार हो रहा है। डॉक्टर वूचिन तानचङ देगे तिब्बती चिकित्सा व औषधि अनुसंधान केंद्र के अधीन तिब्बती चिकित्सा अस्पताल में कार्यरत हैं। यह अस्पताल स्थानीय क्षेत्र में बहुत लोकप्रिय है, जिसके द्वारा स्वनिर्मित कई दवाइयां बीमारियों के इलाज में बहुत कारगर है। इसकी चर्चा में तिब्बती चिकित्सा के डॉक्टर वूचिन तानचङ ने कहा:

    "हमारे तिब्बती चिकित्सा अस्पताल द्वारा स्वनिर्मित 135 किस्मों वाली दवाइयों की पुष्टि सछ्वान प्रांतीय दवा निगरानी विभाग ने की थी। इनके अलावा हमारा अस्पताल 200 से अधिक किस्म की सामान्य दवाइयां बनाने में भी सक्षम है।"

    बताया जाता है कि हाल के वर्षों में लगातार विकास के चलते सछ्वान प्रांत के कानची तिब्बती स्वायत्त प्रिफैक्चर में तिब्बती चिकित्सा का औद्योगिक श्रृंखला कायम हुई। वर्तमान में इस प्रिफैक्चर में चीनी पारंपरिक चिकित्सा और तिब्बती चिकित्सा से संबंधित औषधि बनाने वाले 15 उद्योग मौजूद हैं, जबकि औषधियों और दवाइयों से जुड़े व्यापार करने वाले उद्योगों की संख्या 364 है।

    लगातार सुधार और खुलेपन के चलते विदेशी संस्कृति बड़ी संख्या में चीन में प्रवेश हुआ। तिब्बती चिकित्सा की दक्षिणी शाखा पर भी असर पड़ा। ज्यादा से ज्यादा लोग, विशेषकर युवा लोग पश्चिमी चिकित्सा पर विश्वास करने लगे हैं। उनके विचार में पश्चिमी चिकित्सा प्रगतिशील है, बीमारियों के इलाज में पश्चिमी दवाइयों की शीघ्र ही कारगरता दिखाई देती है। इसके प्रति तिब्बती चिकित्सा के डॉक्टर वूचिन तानचङ ने अपना अलग विचार प्रकट करते हुए कहा:

    "पठारीय लोगों का अभी-अभी पश्चिमी चिकित्सा के साथ संपर्क कायम हुआ हैं। वास्तव में पठार में पश्चिमी चिकित्सीय विकास का इतिहास मात्र 40-50 साल पुराना है। मेरा विचार है कि पश्चिमी चिकित्सा और तिब्बती चिकित्सा की अपनी-अपनी अलगा विशेषता है। इधर के सालों में मैंने कई रोगियों का इलाज किया है, इसी दौरान मेरे द्वारा प्राप्त अनुभवों से देखा जाए, तो विकट बीमारी के इलाज और ओपरेशन के क्षेत्र में पश्चिमी चिकित्सा का प्रयोग किया जाना बेहतर है, लेकिन लम्बी बीमारी और असाध्य बीमारी के इलाज में तिब्बती चिकित्सा ज्यादा उपयोगी होती है।"

    सामाजिक और आर्थिक विकास के चलते लोगों पर ज्यादा से ज्यादा दबाव पड़ने लगा है। प्राकृतिक वातावरण से हुए नुकसान, वायु प्रदुषण जैसे कारणों से कई लोग अजीबोगरीब बीमारियों से ग्रस्त हो गये हैं, मसलन्"शहरी बीमारी"और"आधूनिक बीमारी"इत्यादि। बड़े-बड़े अस्पतालों में इस प्रकार की बीमारियों का सही प्रकार से इलाज न होने के बाद ज्यादा से ज्यादा रोगी तिब्बती चिकित्सा के जरिए अपनी बीमारियों का इलाज करवाना चाहते हैं। तिब्बती चिकित्सा के डॉक्टर वूचिन तानचङ ने जानकारी देते हए कहा कि उनके कार्यरत अस्पताल में हर दिन देश भर से बहुत से रोगी इलाज के लिए फोन करते हैं। उन्होंने कहा:

    "हाल में भीतरी इलाके के कुछ रोगियों को इंटरनेट के माध्यम से हमारे अस्पताल की जानकारी मिल जाती हैं। वे फोन करके तिब्बती दवाइयां और औषधियां मंगवाते हैं। इस प्रकार वाले रोगियों की संख्या अधिक हैं। हर दिन हमारे अस्पताल में ऐसे फोन आते रहते हैं और हम हर रोज डाक द्वारा उन रोगियों को दवाइयां भेजते हैं।"

    तिब्बती चिकित्सा की दक्षिणी शाखा की दवाइयों और औषधियों की लोकप्रियता लगातार बढ़ती जा रही है। इस प्रकार वाले गैर-भौतिक सांस्कृतिक अवशेष के संरक्षण करने की जरूरत है।

    तिब्बती चिकित्सा की दक्षिणी शाखा की दवाइयां और औषधियां आम तौर पर जानवरों और वनस्पतियों से बनाई जाती हैं। खांगपा तिब्बती बहुल क्षेत्र में जड़ी-बुटियों का संसाधन प्रचूर है। इसके संरक्षण के लिए स्थानीय सरकार ने कई कदम उठाए हैं, जिनमें से जड़ी-बुटि संसाधनों का संरक्षण करना, जंगली जड़ी-बुटियां उगाना, कृत्रिम औषधियों के पालन केन्द्र का निर्माण करना, जंगली जड़ी-बुटियों का कृत्रिम तौर पर उगाना, विशेष औषधियों के उत्पादन केन्द्र का निर्माण करना और जंगली जड़ी-बुटियों का वैज्ञानिक व सुव्यवस्थित रुप से इक्ट्ठा करना आदि शामिल हैं। इसका लक्ष्य है कि औषधियों व जड़ी-बुटियों का अनवरत विकास व प्रयोग किया जा सकना।

    तिब्बती चिकित्सा के डॉक्टर वूचिन तानचङ ने कहा कि पारंपरिक तिब्बती चिकित्सा का अनुसंधान लगातार मज़बूत किया जा रहा है। इसके चलते तिब्बती चिकित्सा और औषधियों से जुड़े ज्यादा से ज्यादा सुयोग्य व्यक्ति सामने आते हैं। इस तरह तिब्बती चिकित्सा की दक्षिणी शाखा का विकास अवश्य ही लगातार आगे विकास होता रहेगा। विश्वास है कि नए युग में तिब्बती चिकित्सा की दक्षिणी शाखा के विकास में ज्यादा जीवन शक्ति मिलेगी।


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