तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के छांगतु प्रिफैक्चर के उत्तर भाग में लेईवूछी कांउटी में ईरी घाटी स्थित है, जहां आदिम प्राकृतिक सौंदर्य पूरी तरह सुरक्षित है। घाटी के नज़दीक ईरी जिले में हमारे संवाददाता की मुलाकात बुजुर्ग ल्वोत्वो से हुई।
62 वर्षीय ल्वोत्वो का जन्म ईरी घाटी में हुआ था। आम समय में वह जौ उगाने और याक पालने का काम करता है। वसंत और गर्मियों में पहाड़ी क्षेत्र में कोर्दिसेप्स (cordyceps) की खुदाई करता है। ध्यान रहे, कोर्दिसेप्स चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में एक साल एक बार पैदा होने वाली एक विशेष किस्म की जड़ी-बूटी है, जो गर्मियों में घास के रूप में और सर्दियों में कीड़े के रूप में दिखती है। उक्त तरीकों से बुजुर्ग ल्वोत्वो के परिवार में प्रति व्यक्ति औसतन आय 4 हज़ार से अधिक है। ल्वोत्वो ने कहा कि इधर के वर्षों में उनके जीवन में काफी बदलाव आया है, इससे वे संतुष्ट है। तिब्बती बुजुर्ग ल्वोत्वो ने कहा:
"दस साल पहले की तुलना में अब हमारे जीवन में जमीन आसमान का अंतर आ चुका है। देश ने आवास परियोजना लागू करने के लिए हमें भत्ता दिया है, सरकार की सहायता के आधार पर हम ने सुन्दर नए मकानों का निर्माण किया। पहले हमारे यहां राजमार्ग नहीं था। केंद्र सरकार ने मार्ग निर्माण के लिए पूंजी लगाई। वर्तमान में कृषि उत्पादन में भी बदलाव हुआ है। हम मशीन से जौ की बुवाई करते हैं।"
ईरी घाटी उंचे पर्वतों और गहरी घाटी के बीचोंबीच स्थित है, जहां लोगों के घर एक दूसरे से बहुत दूर हैं। ल्वोत्वो के मकान की छत पर सौर ऊर्जा बोर्ड देखे जाते हैं। बताया जाता है कि पिछले साल देश ने तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में"स्वर्ण सूर्य परियोजना"लागू की, इसके तहत बिजली न मौजूद होने वाले क्षेत्रों में नागरिकों को 20 हज़ार युआन मूल्य वाले सौर ऊर्जा बोर्ड दिए गए। इनसे स्थानीय किसानों और चरवाहों की बुनियादी तौर पर बिजली की मांग पूरी हो गई। परिवार के इस नए"सदस्य"की चर्चा में ल्वोत्वो बहुत खुश हैं। उन्होंने कहा:
"गत वर्ष सरकार ने हमें सौर ऊर्जा बोर्ड दिए। इससे हम बिजली का प्रयोग करने लगे। अब हमारे घर में दो बिजली उपकरण उपलब्ध हैं, एक का प्रयोग घी-तेल बनाने के लिए करते हैं। दूसरा टीवी है। टीवी में 50 से अधिक चैनलों देख सकते हैं, प्रोग्राम बहुत रंगबिरिंगे होते हैं। मुझे खांगबा स्टार टीवी और तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के टीवी चैनल के प्रोग्राम ज्यादा पसंद हैं।"
ल्वोत्वो के साथ हुई बातचीत में वर्तमान जीवन के प्रति उसकी संतुष्टि महसूस की जा सकती है। लेकिन स्थानीय सरकार के कर्मचारियों से हुई बातचीत में उनकी चिंताओं का पता चलता है। ईरी जिले के शीर्ष नेता ल्यू फ़ङ ने हमारे संवाददाता से कहा कि ईरी घाटी बहुत लम्बी है, जहां कई तरह की वनस्पतियां हैं, घाटी के दोनों तटों पर बहुत ऊंचे पर्वत हैं। पहाड़ के ऊपर से नीचे तक नदी के पानी ने झरना का रूप ले लिया है। इसके साथ ही ईरी घाटी में जानवरों की किस्में और हॉट स्प्रिंग जैसा संसाधन भी प्रचुर हैं। यहां तिब्बती जनता के जुबान पर हज़ारों वर्षों तक राजा गेसार की कथाएं भी बहुत लोकप्रिय हैं। ईरी घाटी क्षेत्र में पर्यटन संसाधन प्रचुर हैं, लेकिन इससे स्थानीय किसानों और चरवाहों को ज्यादा लाभ नहीं मिला है। वर्तमान में गांव वासियों की अतिरिक्त आय में हुई वृद्धि प्राकृतिक स्थिति से बाधित होती है। पर्यटन के जरिए गांव वासियों की आय को बढ़ाने के लिए सरकार ने नीति बनाई है। इसकी चर्चा में ल्यू फ़ङ ने कहा:
"हमारे यहां जौ का उत्पादन कम होता है। जौ की पुरानी किस्मों में सुधार करने के लिए हम नई किस्मों के जौ का निर्यात करते हैं। लेकिन प्रति हेक्टेयर खेती योग्य भूमि में मात्र एक हज़ार पांच सौ किलो. से कम जौ उत्पादित होता है। यह उत्पाद साल भर में खाने के लिए पर्याप्त नहीं होता। वहीं पशुपालन क्षेत्र में प्रति व्यक्ति के पास गायों की औसतन संख्या तीन से कम है। इस तरह हम ईरी घाटी के प्राकृतिक सौंदर्य और हॉट स्प्रिंग के जरिए पर्यटन व्यवसाय का विकास करना चाहते हैं।"