त्वीश्ये तिब्बती जाति के एक नृत्य का नाम है, जिसमें पांवों से थिरकने से लोगों की खुशी व आनंद अभिव्यक्त किए जाते हैं। अभिनय के दौरान नृतक आम तौर पर छह तारों वाला गिटार बजाते हुए नाचते हैं।
"त्वीश्ये"शब्द में"त्वी"का तिब्बती भाषा में अर्थ होता है"ऊंचा या ऊपर"और"श्ये"का अर्थ होता है"संगीत"। तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के शिकाजे के तहत लाची, तिंगरी, आंरन तथा साक्या और आली प्रिफेक्चर यालुचांगबु नदी के ऊपरी भाग में स्थित हैं। वहां रहने वाले तिब्बती लोग खेतीबाड़ी से मिले फुर्सत के पलों में अक्सर एक साथ नाच-गाना करते हैं और जीवन के प्रति अपनी भावना व्यक्त करते हैं। इस तरह त्वीश्ये यानी ऊपर का संगीत के नाच-गान की विशेष शैली उत्पन्न हुई है। ऐतिहासिक सूत्रों के अनुसार त्वीश्ये नृत्य का इतिहास कोई एक हज़ार से अधिक वर्ष पुराना है। शिकाजे प्रिफैक्चर का लाची त्वीश्ये सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है।
लाची कांउटी के सांस्कृतिक कलात्मक केंद्र में लाची किसान कला मंडली के तिब्बती कलाकार तिब्बती पोशाक में थिरकते हुए नाचते हैं। जबरदस्त धुन, आदिम आवाज़, कलाकारों के चेहरे पर सुखमय मुस्कुराहट..... यह सब देखकर दर्शकों को तिब्बती जाति के इस विशेष संगीत नृत्य के सागर में डूबने में बहुत मज़ा आता हैं।
बताया जाता है कि इस कला मंडली के सभी सदस्य स्थानीय किसान और चरवाहे हैं। वे स्थानीय पारंपरिक त्वीश्ये नृत्य के माध्यम से जीवन के प्रति अपना प्यार और गुणगान करते हैं।
लाची कांउटी के स्थानीय किसान लाबा इस मंडली के निर्देशक हैं, जिन्हें राष्ट्रीय स्तर के त्वीश्ये उत्तराधिकारी के रूप में सम्मानित किया गया हैं। 67 वर्षीय लाबा 13 साल की उम्र से छह तारों वाला गिटार बजाना और त्वीश्ये नृत्य सीखने लगे थे। अब उन्हें न केवल स्थानीय त्वीश्ये नृत्य के विभिन्न धुनों और नृत्यों के रूप आते हैं, बल्कि आसपास कांउटी और क्षेत्र में लोकप्रिय हो रहे त्वीश्ये नृत्य की विशेषता के आधार पर उन्होंने 100 से अधिक नृत्यों की रचना भी की हैं। लाबा ने कहा:
"मैंने 13 वर्ष की उम्र से ही छह तारों वाला गिटार बजाना सीखना शुरु कर दिया था। उस समय मेरे पास कोई शिक्षक नहीं था और न ही मुझे कोई सीखाने वाला था। मैं गांव में नदी के तट पर बैठकर इसे बजाने का स्वयं अभ्यास करता था। बाद में मैं एक स्थानीय स्कूल में शिक्षक बन गया और छात्रों को सीखाने लगा। त्वीश्ये का प्रदर्शन करने के लिए तिब्बत से बाहर जाने की मेरी कभी कोई कल्पना नहीं थी। लेकिन इधर के सालों में हमारा देश साल दर साल समृद्ध होता जा रहा है। हमारे लाची त्वीश्ये नृत्य को देश के दूसरे इलाकों में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी दिखाने का मौका मिला है। हम ज्यादा से ज्यादा कोशिश करते रहेंगे, ताकि लाची त्वीश्ये को विरासत में ग्रहण करते हुए इसका पीढ़ी दर पीढ़ी विकास किया जा सके।"
लाची किसान कला मडंली के निर्देशक के रूप में लाबा बहुत गंभीरता के साथ दूसरे बच्चों को सीखाते हैं। वे कभी कभार खुद अभिनेता के रूप में मंडली के दूसरे सदस्यों के साथ नृत्य प्रदर्शन में हिस्सा लेते हैं। अभिनेता च्याला कला मंडली का सदस्य है, और लाबा के शिष्यों में से एक है। त्वीश्ये नृत्य के बारे में च्याला ने कहा:
"मैं 14 साल पहले व्यवस्थित रूप से त्वीश्ये सीखना शुरू किया था। वास्तव में मुझे बचपन से ही इस प्रकार का नृत्य करना आ गया था। मैंने स्कूली जीवन में गुरु लाबा से नृत्य सीखा था। मैं नृत्य पेश करने के लिए पेइचिंग, हांगकांग, छङतु, क्वांगचो और हूनान जैसे स्थलों का दौरा कर चुका हूं। मैं अब धुन के साथ तुरंत नाचने में निपुर्ण हूँ।"
वर्ष 2007 में चीनी केंद्रीय टीवी के वसंतोत्सव सांस्कृतिक समारोह में लाची किसान कला मंडली ने पहली बार त्वीश्ये नृत्य का प्रदर्शन किया। इसके बाद इस मंडली ने क्रमशः तीसरी राष्ट्रीय अल्पसंख्यक जातियों की सांस्कृतिक प्रदर्शनी, 15वें गोल्डन मुर्गा फिल्म पुरस्कार के उद्घाटन समारोह, मातृभूमि में हांगकांग की वापसी की 10वीं जयंती जैसे गतिविधियों में हिस्सा लिया। इस वर्ष मई महीने में एशिया में सहयोग और विश्वास बहाली के उपायों(सीआईसीए) के संबंध में चौथे शिखर सम्मेलन के दौरान मंडली के सदस्यों ने विभिन्न देशों के राष्ट्राध्यक्षों और शासनाध्यक्षों के सामने अपनी प्रस्तुति दी। लाची कांउटी के संस्कृति और रेडियो ब्यूरो की प्रधान तुनचू यांगला ने कहा कि लाची त्वीश्ये तिब्बत के बाहर मशहूर हो रहा है। इससे स्थानीय किसानों को बहुत अच्छा लगता है। क्योंकि पूरे लाची क्षेत्र में सीसीटीवी के वसंतोत्सव समारोह और सीआईसीए शिखर सम्मेलन के सांस्कृतिक समारोह में शामिल होने वाले एकमात्र लोक कला लाची त्वीश्ये ही है। तुनचू यांगला ने कहा कि बडे पैमाने वाली गतिविधियों में भाग लेने से लाची त्वीश्ये के विकास को भी बढ़ावा मिला है। उन्होंने कहा:
"पहले सिर्फ़ कांउटी स्तरीय अभिनय मंडली हुआ करता था। लोक नृत्य का व्यवस्थित रूप से संरक्षण नहीं किया गया था। लेकिन हाल में हमारी कांउटी में हर एक गांव में इस पर ध्यान दिया जाता है। किंडरगार्टन से प्राइमरी स्कूल और मिडिल स्कूल तक, विद्यार्थियों को त्वीश्ये नृत्य सीखने पर जोर दिया जाता है। इसके अलावा स्थानीय सरकार गांव में गैर-पेशेवर कलाकारों की टीम की स्थापना को प्रोत्साहन देती है। तिब्बत में बड़े-छोटे त्योहार की संख्या बहुत अधिक है। इन त्योहारों के दौरान प्रदर्शन का प्रमुख तरीका त्वीश्ये नृत्य करना ही है। हर वर्ष अगस्त महीने में लाची में त्वीश्ये सांस्कृतिक उत्सव आयोजित किया जाता है। प्रत्येक जिले और कस्बे में संबंधित प्रतियोगिता आयोजित होती है, इसी दौरान स्थानीय लोग एक दूसरे से सीखते हैं।"
लाची किसान कला मंडली के निर्देशक लाबा ने कहा कि वे बुढ़े होने के बावजूद भी हमेशा अपने साथ छह तारों वाला गिटार रखते हैं। हर दिन रात को सोने से पहले वे अवश्य ही कोई न कोई धुन बजाते हैं। उन्हें आशा है कि जिंदगी भर वे त्वीश्ये से संबंधित अपना सारा ज्ञान अगली पीढ़ी को दे सकेंगे, ताकि तिब्बती जाति के इस नृत्य को स्थाई तौर पर विरासत में ग्रहण करते हुए विकसित किया जा सके।
गौरतलब है कि वर्ष 2008 में लाची त्वीश्ये औपचारिक तौर पर चीनी राष्ट्रीय गैर-भौतिक सांस्कृतिक विरासत की सूचि में शामिल हुआ। अब त्वीश्ये सीखने, प्रदर्शन करने वालों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। विश्वास है कि भविष्य में तिब्बती जाति की इस प्रकार वाली कला का और विकास होगा।