ह्वेई योंग की पत्नि की हस्तलिपि
लम्बे समय तक पठार में रहने से लोग पठरीय बीमारी से परेशान रहते हैं। दूसरे सैनिकों के बराबर ह्वेई योंग भी पठारीय रोगों से मुकाबला करता है। नाथुला दर्रा क्षेत्र में बरसात का मौसम ज्यादा लम्बा होता है, लोग रुमेटी गठिया से पीड़ित होते हैं। इसके साथ ही सूर्य के यूवी रोशनी(Ultraviolet light) से लोगों की आंखों को भी नुकसान पहुंचता है। इसकी चर्चा में ह्वेई योंग ने कहा:"हवा और रेतीला ज्यादा होने और यूवी रोशनी तेज़ होने के कारण लोगों की आंखों को काफी नुकसान पहुंचता है। कई लोग आंखों की बीमारियों से परेशान रहे हैं। कहते हैं कि पठारीय क्षेत्र से रवाना होकर धीरे-धीरे रोग ठीक होते हैं।"
जीवन स्थिति बहुत गंभीर होने के बावजूद सैनिक ह्वेई योंग फिर भी संतुष्ट है। सीमा की रक्षा करने से मातृभूमि की रक्षा करने का उसका सपना साकार हो गया है। इसी दौरान उसे अपना जीवन साथी भी मिल गया है। कुछ वर्ष पहले उत्तर पश्चिमी चीन के शान्नशी प्रांत स्थित जन्मस्थान वापस लौटते वक्त ह्वेई योंग की मुलाकात अपनी पत्नि ल्यू फ़ांग से हुई। पत्नी ने कहा था कि उसे सैनिक सबसे अधिक पसंद हैं। शादी के बाद पति-पत्नी के बीच मिलने का समय कम रहा, छुट्टियों के समय ह्वेई योंग जन्मस्थान वापस लौटता है और पत्नी कभी-कभार नाथुला दर्रे पर आती है। ह्वेई योंग ने कहा कि पहली बार यहां आते वक्त पत्नी ने देखा कि चौकी की स्थिति अत्यंत गंभीर है। इसके साथ ही उसे पठारीय रिएक्शन से भी डर लगता था। पत्नी ने पति से यहां छोड़कर भीतरी इलाके के जन्मस्थान वापस लौटने को कहा। लेकिन चौकी में कई दिनों तक ठहरने के बाद पत्नी को सीमा रक्षा सैनिकों की बात समझ आ गई और फिर वह भी अपने पति को प्रोत्साहित करने लगी।
हालांकि सामान्य लोगों की तरह वह अपनी पत्नी से अक्सर नहीं मिल सकता है। हफ्ते में एक-बार दोनों के बीच फ़ोन पर बातें होती हैं। एकचिट्ठी भेजने के बाद करीब 30 से 40 दिनों तक एक जवाबी पत्र मिलता है। ह्वेई योंग को कभी-कभी पत्नी की याद सताती है। उसने कहा कि उसने और उसकी पत्नी ने एक रोमांटिक वादा किया है। हर रात को एक साथ चांद को देखना। चीन में कहावत है कि चांदनी लोगों की याद पहुंचती है। ह्वेई योंग और पत्नी को आशा है कि चांद को देखने से वे दोनों एक-दूसरे को यादों में मिल सकते हैं।