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    बर्फीले पठार में सैनिक ह्वेई योंग और उसका प्यार
    2014-04-27 19:35:53 cri

    हमारे संवाददाता ह्वेई योंग के साथ

    ह्वेई योंग उत्तर पश्चिमी चीन के शान्नशी प्रांत के रहने वाले हैं। 17 वर्ष की आयु में वह चीनी जनमुक्ति सेना में सैनिक बने। 11 साल पहले वह तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की यातोंग कांउटी स्थित नाथुला दर्रे पर आए और एक सीमा रक्षा सैनिक बने।

    नाथुला दर्रा यातोंग कांउटी और सिक्किम को ज़ोड़ने वाला क्षेत्र है, जो समुद्र तल से 4300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहां सिल्क रोड यानी रेशम मार्ग के दक्षिणी भाग का एक प्रमुख हिस्सा था, साथ ही चीन और भारत के बीच थलीय व्यापार का प्रमुख मार्ग भी । तिब्बती भाषा में नाथुला का अर्थ है हवा और तेज़ बर्फ़ वाला क्षेत्र। यहां तैनात चीनी सीमा रक्षा सैनिकों को गंभीर भौगोलिक और जलवायु स्थिति का सामना करने के साथ-साथ अकेलापन सहना पड़ता है। 17 वर्षीय युवा ह्वेई योंग नाथुला दर्रे पर आए और पिछले 11 सालों में यहां रह रहे हैं। आखिर कौन सी ताक़त है, कौन सी चीज़ है जो इतने लंबे समय तक उन्हें रहने के प्रेरित करती रही है? सीमा रक्षक के रूप में उनका जीवन कैसा रहा? हमारे संवाददाता के साथ साक्षात्कार में ह्वेई योग ने कहा कि नाथुला दर्रे पर पहुंचने के तुंरत बाद जीवन बहुत मुश्किल और चुनौती भरा लगता था। भीतरी इलाके के जीवन की तुलना में यहां बहुत मुश्किल होती है। विशेषकर ऊंचे-ऊंचे पठार पर रहना भीतरी क्षेत्र के मैदान से आए लोगों के लिए बहुत मुश्किल होता है। ह्वेई योंग कहते हैं कि यहां आने के बाद दो दिन तक रोज़ नाक से खून बहता था। वहीं दूसरी तरह की परेशानियां भी कम नहीं थी। सच कहें, तो शुरू में ह्वेई योंग को यहां आने पर पछतावा हुआ, लेकिन एक सीमा रक्षा सैनिक की ड्यूटी पूरी करते हुए वह नाथुला दर्रे पर तैनात रहा। इसकी चर्चा में सैनिक ह्वेई योंग ने कहा:"चौकी पर सीमा की रक्षा करते वक्त मैं बहुत उत्साहित रहता हूं, रक्षा के काम में तैनात रहना हम सैनिकों की जिम्मेदारी है। एक तरफ़ यहां हम जीवन का अभ्यास कर सकते हैं, और दूसरी तरफ़ मातृभूमि और देशवासियों की रक्षा करना बहुत गर्व की बात है। रात को यहां का मौसम बहुत ठंडा होता है। घर के बाहर खड़े होकर हम रक्षा का काम करते हैं। यह मेरे लिए बड़ी जिम्मेदारी का काम होता है। दूसरे लोग गर्मागर्म बिस्तर में सोते हैं, लेकिन हम यहां खड़े रहते हैं। वास्तव में दोनों के बीच भारी फ़र्क मौजूद है। लेकिन मैंने सोचा कि सिर्फ़ हम यहां खड़े होकर रक्षा करते हैं, तो दूसरे लोग आराम से अपने घरों में सुरक्षित सो सकते हैं। इस बात पर मुझे बड़ा गर्व होता है।"

    पिछले 11 सालों में इस तरह की जिम्मेदारी का अहसास, ह्वेई योंग को मजबूती प्रदान करती है। इन वर्षों में वह विभिन्न क्षेत्रों में अपने शरीर को मजबूत करने में लगे हैं। अब ह्वेई योंग समुद्र तल से 4300 मीटर ऊंचे स्थल पर लगातार 3 किलोमीटर दौड़ सकता है। मिडिल स्कूल की डिग्री हासिल करने के बावजूद ह्वेई योंग अंग्रेज़ी सीखने में लगा है। उसने कहा कि अंग्रेज़ी के माध्यम से वह सीमा पर भारतीय सैनिकों और लोगों के साथ बातचीत कर सकता है।

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