अखिल- स्वागत है एक बार फिर मस्ती से भरे शो संडे की मस्ती में...।
दोस्तों, खुशी के मारे पागल हो जाने वाली कहावत तो आपने सुनी होगी। ऐसे ही वाकये में एक व्यक्ति खुशी से पागल तो नहीं हुआ लेकिन अस्पताल जरूर पहुंच गया। हुआ यूं कि पेईचिंग में इस व्यक्ति को हाल ही में एक कंपनी में High Post और बहुत अच्छी salary वाली नौकरी मिली। वह सफलता हजम नहीं कर पाया। अपनी खुशी शेयर करने के लिए उसने अपने परिजनों और दोस्तों को एक शानदार पार्टी दी। पार्टी में उसने जमकर शराब पी। इसके बाद दोस्तों ने रोकने की कोशिश की लेकिन इसने एक नहीं सुनी और पीता रहा। थोड़ी देर बाद इसकी हालत इतनी बिगड़ गई कि अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। अब महाराज नौकरी पर जाने के बजाय छुट्टी लेकर अस्पताल में दिन गुजार रहे हैं।
मीनू- हां हां हां हा.....। बड़े ही मजेदार की बात बतायी आपने अखिल जी....।
अखिल- चलो मैं तुम्हें एक और मजेदार बात बताता हूं...।
फ्रांस की एक अदालत में 9 साल के एक कुत्ते को मालिक के हत्यारे को पहचानने के लिए कठघरे में बुलाया गया। टैंगों नाम के लैब्राडोर नस्ल के इस कुत्ते को मध्य फ्रांस के टोर्स की अदालत में हत्या के मामले की शुरुआत जांच के दौरान मालिक के संदिग्ध हत्यारे को पहचानने के लिए बुलाया गया था। अदालत ने संदिग्ध को एक बैट से कुत्ते को डराने को कहा ताकि टैंगो की प्रतिक्रिया समझ कर हत्यारे को पहचाना जा सके। इस परीक्षण को निष्पक्ष रखने के लिए टैंगो की तरह दिखने वाले नोरमन नाम के एक अन्य कुत्ते को भी अदालत में बुलाया गया। संदिग्ध से नोरमन को उसी तरह डराने को कहा गया लेकिन यह परीक्षण पूरी तरह विफल हो गया। हालांकि यह पहली बार नहीं है जब फ्रांस की किसी अदालत ने गवाही के लिए किसी कुत्ते को अदालत में बुलाने को मंजूरी दी है। पिछले महीने भी अदालत में एक कुत्ते को हत्या के दो संदिग्धों की तस्वीर दिखाकर उन्हें पहचानने की कोशिश की गई थी। अदालत में एक जानवरों के डॉक्टर को भी बुलाया गया था ताकि वह कुत्ते के हाव भावों को समझ सके। वर्ष 2008 में स्कूबी नाम के कुत्ते को पहली बार हत्या के संदिग्ध की पहचान के लिए अदालत में बुलाया गया था।
मीनू- हां हां हां हां.... अब कुत्ते अदालत में जाकर गवाही भी देने लगे है।
अखिल- हां हां हां हां... हां मीनू जी...। कुत्ता समझदार जानवर है। वह कुछ भी कर सकता है। आपकी साईकिल की रखवाली भी कर सकता है, गाड़ी भी चला सकता है, और कोर्ट में जाकर गवाही भी दे सकता है। हुआ ना कुत्ता समझदार जानवर...।
मीनू- जी बिल्कुल...।
अखिल- चलो...मैं अब एक मस्त कविता सुनाता हूं....। यह कविता खास उन पतियों को समर्पण है जिनकी पत्नियां अपने मायके नहीं जाती है...। सुनिए...।
कभी तो मायके जाओ ना पत्नी जी,
सुख का आभास कराओ ना पत्नी जी।
साथ रह-रह कर अब पक चुके हैं,
बाते सुन-सुन कर अब थक चुके हैं
पार्टियों मे जाने का दिल करता है,
ठंडे शावर मे नहाने का दिल करता है।
कभी तो मायके जाओ ना पत्नी जी,
सुख का आभास कराओ ना पत्नी जी।
सिगरेट-विगरेट और दो पैग लगाने का दिल करता है,
पुरानी कोई गर्लफ्रेंड से मिलने मिलाने का दिल करता है
कभी तो कुछ तरस खाओ ना पत्नी जी ...
कभी तो मायके जाओ ना पत्नी जी …
मेरे सपने सारे सुला दिये हैं,
मेरे अपने सारे भुला दिये हैं।
पुराने यार दोस्त सब छुड़ा दिये हैं,
कि रिश्ते-नाते सब तुड़ा दिये हैं।
ससुराल से भी मेरा रिश्ता तुडवाओ ना पत्नी जी ...
कभी तो मायके जाओ ना पत्नी जी,
कभी तो मायके जाओ ना पत्नी जी ...
(सभी दुखी पतियों के जनहित में जारी)
मीनू- हां हां हां हां.... अखिल जी... अब आपकी खैर नहीं...। जब आपकी पत्नी यह सुनेगी तब आपका क्या हाल होगा...।
अखिल- मैंने यह कविता तभी तो लिखी है...। चलिए.. दोस्तों.... अभी सुनते है एक बढिया गाना... उसके बाद शुरू हो जाएगा लाफ्टर का तड़का...।
(गाना-3)