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    पवित्र नामछो झील का दौरा
    2014-04-08 15:35:35 cri

    पहले हम आप के साथ इसी कार्यक्रम में बर्फिली छिंगहाई तिब्बत पठार पर अवस्थित तिब्बत में मठों व तिब्बती लामा बौद्ध धार्मिक संस्कृति जैसे मानविय सौंदर्यों का लुत्फ ले चुके हैं , असल में तिब्बत का प्राकृतिक सौंदर्य भी बेहद दर्शनीय है , जिस में आकाश से बातें करने वाली सीधी खड़ी चट्टानों के बीच खड़ी बड़ी झीलें अपनी विशेष पहचान बना लेती हैं ।

    एक दिन हम जिस समय कार पर सवार होकर पवित्र नामछो झील के लिये रवाना हुए , उसी समय छिट पुट वर्षा हो रही थी , कार के बाहर व्याप्त धुंधले वातावरण में तिब्बत की विशेष पठारीय तापमान से हमें ठंड लग रही थी । समुद्र की सतह से तीन हजार आठ सौ मीटर की ऊंचाई पर स्थित ल्हासा शहर में कई दिन ठहरने के बाद हमारी पठारीय तकलीफें धीरे धीरे दूर हो गयी है , पर जब हमारी कार समुद्र की सतह से पांच हजार दो सौ मीटर की ऊंचाई पर स्थित नालिकन नामक दर्रे के पास पहुंची , तो मेरे कानों व सिर में असहनीय दर्द एकदम होने लगा । ठीक इसी वक्त हमारी कार के ड्राइवर ने कहा कि जल्दी उतरकर नामछो झील का फोटा खिंचिये । फिर हम ने उन के इशारे की ओर नजर दौड़ायी , तो सामने मौजूद अद्भुत अनुपम सौंदर्य देखकर हम एकदम चमत्कृत रह गये । पर्वत के नीचे नीले पर्यावरण में एक विशाल शांतिमय झील झांक देती है और झील की चारों ओर खड़े श्रृंखलाबद्ध बर्फिले पर्वत की परछाई समतल झील में साफ साफ नजर आती है , यह रहस्यमय दृश्य देखकर मानों हम देवताओं के निवास स्थान में पहुंच गये हो ।

    तिब्बतियों की मान्यता में नामछो क्षेत्र देवताओं का निवास स्थान है । कहा जाता है कि नामछो झील में एक अप्सरा रहती है , झील में जिस बर्फिले पर्वत की परछाई दिखायी देती है , वह नामछो झील के उत्तर में स्थित थांगकुरा श्रृंखलाबद्ध पर्वत ही है और वह तिब्बतियों के दिल में सब से महान पर्वतीय देवता ही है और वह नामछो अप्सरा का पति भी है । अप्सरा का पति थांगकुरा एक बहुत खूबसूरत व होशियार देवता है , बहुत सी अप्सरायों को उसे प्रेम हो गया है । यह बात जानकर अप्सरा नामछो बेहद दुखी है और हर रोज आंसू बहाती रहती है , दिन बितने के साथ साथ नामछो झील का पानी नमकीन हो गया और नामछो झील तिब्बत में वह सब से बड़ी खार झील का रूप ले चुकी है , जो तिब्बत में समुद्र की सतह से सब से ऊंचे स्थान पर खड़ी हुई है ।

    तिब्बती बंधुओं की मान्यता में पवित्र नामछो झील का प्राण होता है और उस का जन्म भेष वर्ष में हुआ था । इसलिये तिब्बती पंचांग के अनुसार हर भेष वर्ष में हजारों लाखों तीर्थ यात्री नामछो झील का चक्कर लगाने की गतिविधियों में भाग लेते हैं । तीर्थ यात्रों में इस पवित्र झील का चक्कर लगाने की यह परम्परा आज तक भी बनी रही है कि वे सही दिशा में दंडवती करते हुए पवित्र नामछो झील का चक्कर लगाते हैं , ताकि अपनी पूरी जिंदगी में सुख चैन व सही सलामत उपलब्ध हो सके । झील के तट पर हमारे संवाददाता ने कुंगचोत्सथा नामक एक चरवाहे के साथ बातचीत की ।

    चरवारे कुंगचोत्सथा ने कहा कि तिब्बती पंचांग के अनुसार भेष वर्ष में 15 अप्रैल को हम अवश्य ही पवित्त नामछो झील का चक्कर लगाने आते हैं । पुरा चक्कर लगाने में कम से कम दसेक दिन लगते हैं । क्योंकि हमें विश्वास है कि इस वक्त बुद्ध स्वर्ग में झील के पास हमारी पूजा देख पाते हैं , ताकि हम अपनी मृत्यु के बाद स्वर्ग में जा सके । यह सौभाग्य की बात है कि मैं नामछो झील के पास रहता हुं , क्योंकि मुझे रोज रोज यह पवित्र झील देखने को मिलती है ।

    नामछो झील के पास एक चाशी प्रायद्वीप है , इस प्रायद्वीप पर स्थापित बहुत से मठों में नामछो व न्येनछिंग थांगकुरा के तिब्बती लामा बौद्ध धार्मिक अवतारों की मूर्तियां रखी हुई हैं । चरवाहे कुंगचोत्सथा ने इस का परिचय देते हुए कहा कि क्योंकि नामछो झील की चारों तरफ भौगोलिक पर्यावरण अत्यंत पैचीदा है , इसलिये बहुत तीर्थ यात्री चाशी प्रायद्वीप को सात चक्कर लगाने का विकल्प करते हैं । कारण है कि चाशी प्रायद्वीप को सात चक्कर लगाने का फासला नामछो झील का एक चक्कर लगाने के फासले के बराबर है , चाशी प्रायद्वीप लगाने में तीर्थ यात्रियों की निष्ठा बुद्ध भी महसूस कर पाते हैं ।

    नामछो झील के बारे में और एक कथा स्थानीय वासियों में प्रचलित भी है । सुना जाता है कि नामछो झील एक अंदरूनी समुद्र है , चंद्रमा में आने वाले परिवर्तन के साथ साथ झील में लहरों का उतार चढाव नजर आता है , उस का रंग भी समय के साथ साथ विविधतापूर्वक बदला जाता है , कभी कभार हरा भरा नजर आता है और कुछ समय नीला भी दिखता है । स्थानीय चरवाहों के अनुसार हर वर्ष के मई व जून में का नजारा आता है , उस समय झील पर बेशुमार भेड़ बकरियां व गायं दिखते हैं , भेड़ बकरी का आकार प्रकार साधारण बकरी जितना बड़ा है , जबकि गायं साधारण गायों से तीन चार गुने से बड़ा है और बालों का रंग सफेद व काला होता है ।

    इस के अतिरिक्त नामछो झील की चारों ओर चार चश्मा भी उपलब्ध हैं । कहा जाता है कि ऐसे चश्मे में स्नान करने से बहुत से रोगों का इलाज किया जाता ही नहीं , बल्कि अपने पापों की धुलाई जा सकती है ।

    नामछो का रमणीय प्राकृतिक दृश्य विश्व के विभिन्न देशों व क्षेत्रों के पर्यटकों को आकर्षित कर लेता है । झील के पास हमारे संवाददाता की मुलाकात चीन के थाईवान से आये एक दंपति से हुई । वे हर वर्ष की ग्रीष्मकालीन छुट्टियों में घूमने बाहर जाते हैं , अभी तक वे चीन की मुख्य भूमि के बहुत क्षेत्रों का दौरा कर चुके हैं । हमारे संवाददाता के साथ अपनी तिब्बत यात्रा की चर्चा में श्री चंग हुंग छ्वान ने कहा

    गत वर्ष में छिंगहाई तिब्बत रेल मार्ग पर यातायात शुरू होने के बाद मेरा मन तिब्बत जाने को कर रहा है । पहले हम ने पत्र पत्रिकाओ व टीवी कार्यक्रमों में तिब्बत के बारे में बहुत कुछ जान लिया है , यहां आने के बाद अपनी आंखों से देख लिया , यहां सचमुच बहुत सुंदर है ।

    एक जापानी पर्यटक ने हमारे संवाददाता से नांमछो झील के बारे में अपना अनुभव बताते हुए कहा

    नामछो झील ने मुझ पर जो छाप छोड़ रखी है , वह बेहद सराहनीय है और अविस्मरणी भी है । यह कोई आकस्मिक बात नहीं है कि स्थानीय लोग इस झील को पवित्र झील के रूप में मानते हैं , यह झील लोगों को एक बहुत रहस्यमय आभास देती है ।

    गत वर्ष में छिंगहाई तिब्बत रेल मार्ग और लिनची हवाई अड्डे को काम में लाने से विश्व के विभिन्न क्षेत्रों के पर्यटकों को तिब्बत का दौरे करने के लिये और अधिक सुविधाएं उपलब्ध करायी गयी हैं और तिब्बत में आने वाले पर्यटकों की संख्या में बड़ी हद तक वृद्धि हुई है । 2007 के पूर्वार्द्ध के तिब्बती पर्यटन बाजार की चर्चा करते हुए तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के पर्यटन ब्यूरो के बाजार विकास विभाग के प्रभारी चाओ शू च्वान ने कहा

    चालू वर्ष के जनवरी से जुलाई तक तिब्बत के पर्यटन कार्य का तेज गति से विकास हुआ , तिब्बत आने वाले पर्यटकों की संख्या 17 लाख से अधिक हो गयी है , जो गत वर्ष की समान अवधि से 75 प्रतिशत अधिक है और आय करीब दो अरब 50 करोड़ य्वान तक पहुंची ।

    रहस्यपूर्ण बर्फिली तिब्बती पठार विश्व के विभिन्न देशों व क्षेत्रों के पर्यटकों का आकर्षण का केंद्र रहा है । विश्वास है कि तिब्ब्ती पर्यटन बाजार के विकास के चलते तिब्बती जनता और अधिक पर्यटकों की अगवानी के लिये पूरी तैयारी कर पायेगी । दोस्तो , यदि आप को मौका या अवकाश का समय मिलेगा , तो इस पवित्र स्थल का दौरा करने जरूर जायेंगे और एक अलग अनुभव हासिल कर लेंगे ।

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