कुछ दिनों पहले पेइचिंग में आयोजित चीनी जन प्रतिनिधि सभा यानी एनपीसी की 12वीं राष्ट्रीय समिति के दूसरे वार्षिक पूर्णाधिवेशन में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के लोका प्रिफैक्चर की प्रतिनिधि ईशी चोगा ने हिस्सा लिया था। वह बहुत सीधी साधी हैं और स्थानीय तिब्बती नागरिकों का नेतृत्व कर समान रुप से समृद्धि साकार करने में लगी हुई है।
ईशी चोगा तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के लोका प्रिफैक्चर में सबसे बड़े मुर्गीपालन फार्म को संभालती है। उसने लोका प्रिफैक्चर की नाईतोंग कांउटी में कोंगसांग मुर्गीपालन सहकारिता संघ की स्थापना की, जहां पाले जाने वाले मुर्गा-मुर्गियों को लोका प्रिफैक्चर के पूरे बाज़ार में बेचे जाते हैं, और तिब्बत स्वायत्त प्रेदश की राजधानी ल्हासा के बाज़ार का 30 प्रतिशत कवर करता है। इस तरह इशी चोगा"मुर्गीपालन महिला चैंपियन"के नाम से अपने जन्मस्थान में मशहूर हैं।
40 वर्षीय ईशी चोगा का जन्म लोका प्रिफैक्चर के एक बड़े परिवार में हुआ। उनके 6 भाई-बहन हैं और उनमें से ईशी चोगा सबसे छोटी है। उन्हें याद है कि बचपन में उनका परिवार बहुत गरीब था। त्यौहार आने पर वे पड़ोसियों से कपड़े उधार मांग कर पहनते थे। वर्ष 1996 में ईशी चोगा तिब्बत छोड़ कर मध्य चीन स्थित हूपेई प्रांत की राजधानी वूहान चली गई थी और वहां अलग-अलग तरह के काम किये। इस शहर में ईशी चोगा की अपने पति से मुलाकात हुई और वर्ष 2003 में दोनों पति-पत्नि तिब्बत वापस लौट गये और मुर्गीपालन शुरू किया। इन बातों को याद करते हुए ईशी चोगा ने कहा:"वर्ष 2003 में मैंने 3 लाख युआन की राशि से मुर्गीपालन शुरु किया। लेकिन वर्ष 2004 में भाग्य ने साथ नहीं दिया, और कोई मुनाफ़ा नहीं हुआ। फिर वर्ष 2005 में मैंने दूसरों से पैसे उधार लेकर नई शुरूआत की। मेरे पति ने मेरा साथ दिया।"
वास्तव में ईशी चोगा के मुर्गीपालन के विकल्प के प्रति दोस्तों और रिश्तेदारों ने आशंका जतायी थी। उस समय नाईतोंग कांउटी में इस प्रकार के पशु-पक्षी पालने वाले 20 से अधिक परिवार थे। लेकिन इस प्रकार के व्यापार में कम आय होने के कारण कई लोगों ने इसे छोड़ दिया था। 3 लाख युआन की क्षति होने के बावजूद ईशा चोगा इस व्यवसाय पर डटी रही। अपनी दृढ़ भावना और पति के समर्थन से ईशी चोगा सबसे मुश्किल दौर से गुज़री थी।
वर्ष 2008 में लोका प्रिफैक्चर की सरकार और नाईतोंग कांउटी के कृषि व पशुपालन ब्यूरो के समर्थन से उन्होंने मुर्गीपालन सहकारिता संघ की स्थापना की और धीरे-धीरे प्रगति और समृद्धि की राह पर चलने लगी। इसे देखते हुए स्थानीय लोगों ने क्रमशः ईशी चोगा के मुर्गीपालन सहकारिता संघ में भाग लेने की इच्छा जताई। अभी तक इस संघ में कुल 2 हज़ार परिवार शामिल हो चुके हैं। शुरूआत में मुर्गियों की संख्या 200 हुआ करती थी, जो बढ़कर पिछले साल 17 लाख 50 हज़ार तक हो गई है। सहकारिता संघ मुर्गी पालने वाले सदस्य परिवारों को चार पहलुओं में सेवा देता है, जिसमें संयुक्त रुप से मूर्गी के चूजे देना, पक्षियों के रोग से बचाव करना, चारा देना और बेचना शामिल है। ईशी चोगा के इस सहकारिता संघ में भाग ले रहे 10 हज़ार से अधिक लोगों ने मुर्गीपालन से अपनी गरीबी का निदान किया और उनके जीवन स्तर में भी भारी परिवर्तन देखने को मिला।
ईशी चोगा के सहकारिता संघ में पाली हुई मुर्गियां बुनियादी तौर पर स्थानीय बाज़ारों की मांग को पूरा कर सकते हैं। इनकी मांग न केवल स्थानीय बाज़ारों में होती है, बल्कि देश भर के दूसरे स्थानों में भी बड़ी मांग होती हैं। शांगहाई शहर और युन्नान प्रांत जैसे क्षेत्रों के अनेक व्यापारियों ने सहकारिता संघ से मुर्गी आपूर्ति के लिए अनुबंध किया हैं। मुर्गी बाज़ार के विस्तार के बारे में ईशी चोगा के पास अपनी योजना भी है। उन्होंने उसका परिचय देते हुए कहा:"मैनें खुद के ट्रेडमार्क का आवेदन किया था, जो मेरा ही नाम है। अभी मेरा विचार पेइचिंग, शांगहाई, छङतु और वूहान जैसे बड़े शहरों के बाजार में प्रवेश पाने का है। हमारे सहकारिता संघ में उत्पादित प्रति अंडे का दाम 5 युआन है। एक किलो चिकन का दाम 250 युआन के आसपास है।"
वर्ष 2013 में इशी चोगा के सहकारिता संघ में पाले चिकन की संख्या 2 लाख से अधिक थी। इस साल उनकी योजना स्थानीय पहाड़ी क्षेत्र में रहने वाले किसानों को मुर्गीपालन और अंडे उत्पादन को प्रोत्साहन देना है। सहकारिता संघ मुर्गियों के चूज़े और चारा खरीदने के पैसे देता है। मुर्गियों के चूज़े थोड़े बड़े होने के बाद मुर्गीपालन किसान इन्हें सहकारिता संघ से खरीदते हैं। ईशी चोगा ने बताया कि पहले तिब्बत छोड़कर चीन के भीतरी क्षेत्र में काम करने के दौरान उन्हें दूसरों से मदद मिली थी। मुर्गीपालन सहकारिता संघ की स्थापना के बाद शुरुआत में उन्हें मुश्किलों का सामना भी करना पड़ा था। हाल में कुछ स्थानीय तिब्बती किसानों को इस तरह की मुसिबतों में फंसे देखकर, ईशी चोगा को उनकी सहायता करने की इच्छा है। उन्होंने अपने मुर्गीपालन फ़ार्म में तकनीकी प्रशिक्षण कक्षाएं भी खोली हैं, ताकि स्थानीय किसान प्रशिक्षण लेने के बाद अपनी मुर्गीपालन तकनीक को उन्नत कर सके। ईशी चोगा ने कहा:"स्थानीय किसान हमारे फ़ार्म से नि:शुल्क प्रशिक्षण ले सकते हैं। उनके तकनीक सीखने, खाने-पीने और रहने के सभी खर्च नि:शुल्क है। यहां तक कि हम कभी-कभार कुछ किसानों के घरों में तकनीशियन भी भेजते हैं।"
स्थानीय किसानों को सहायता देने के साथ-साथ ईशी चोगा विश्वविद्यालय में पढ़ रहे गरीब विद्यार्थियों की भी मदद करती हैं। वे गांव वालों को खेती योग्य मशीन और ट्रैक्टर खरीदने के पैसे उधार देते हैं, किसानों और चरवाहों के नए रिहायशी मकान बनवाने में मदद करती हैं। इनके अलावा वे बेरोज़गार युवाओं को रोज़गार पाने में भी सहायता करती हैं। इस तरह लोग स्नेह से ईसी चोगा को"स्थानीय लोगों की प्रधान"कहकर पुकारते है। ईशी चोगा को यह उपनाम बेहद पसंद है। उन्होंने कहा कि एक तिब्बती बौद्ध धर्म के अनुयायी के रुप में वे ज्यादा से ज्यादा लोगों और गरीबों की मदद करना चाहती हैं। उनके विचार में दूसरों को सहायता देना बुद्ध की पूजा करने के बराबर है।
वर्ष 2013 में ईशी चोगा को चीनी जन प्रतिनिधि सभा की 12वीं राष्ट्रीय समिति का प्रतिनिधि चुना गया था। वे इसे बेहद गंभीर जिम्मेदारी और मिशन समझती हैं। छिंगहाई तिब्बत पठार से आई एक सामान्य एनपीसी प्रतिनिधि के नाते रोज़ाना कार्य के शेष समय में ईशी चोगा स्थानीय तिब्बती लोगों की रायों और सुझावों को इक्ट्ठे करने में ध्यान देती हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने अभी-अभी समाप्त हुए 12वीं चीनी एनपीसी के वार्षिक पूर्णाधिवशन में भाग लिया था। पूर्णाधिवेशन में हिस्सेदारी के पूर्व उन्होंने पूर्ण रुप से सर्वेक्षण और अनुसंधान कार्य किया और स्थानीय तिब्बतियों के सुझाव और राय लेते हुए पूर्णाधिवेशन में भाग लिया। मौजूदा एनपीसी के वार्षिक पूर्णाधिवेशन में अपने प्रस्तावों की चर्चा में ईशी चोगा ने कहा:"ल्हासा में पशुओं-पक्षियों के कारोबार के लिए एक बड़े पैमाने पर बाज़ार की स्थापना की जाए। यह मेरे प्रस्तावों में से एक है। इस बाज़ार में उद्योग, वाणिज्य, टैक्स और स्वास्थ्य जैसे विभाग शामिल होने की जरुरत है। सरकार एकीकृत रुप से इसका प्रबंधन कर सकेगी। मुझे यह प्रस्ताव बेहद पसंद है क्योंकि ऐसे बाज़ारों की स्थापना करना बहुत ज्यादा स्थानीय लोगों का समान विचार है।"
ईशी चोगा ने परिचय देते हुए कहा कि तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में गाय-बकरों के कारोबार के लिए एक बड़ा बाज़ार मौजूद है, लेकिन पक्षियों के लिए बड़ा बाज़ार नहीं है। उन्हें आशा है कि बड़े बाज़ार की स्थापना से पशु-पक्षी के उत्पादों के दामों का अच्छी तरह प्रबंधन किया जा सकेगा, और पशु-पक्षी पालने वाले किसानों और चरवाहों की आय में उन्नति सुनिश्चित की जा सकेगी।
तिब्बती पंचांग का नया साल आ गया है। तिब्बती लोगों ने अभी-अभी अपने परंपरागत नववर्ष की खुशियां मनाईं। नए साल की योजना और अपने स्वप्न की चर्चा करते हुए एनपीसी की तिब्बती प्रतिनिधि ईशी चोगा ने कहा:"हम अपने मुर्गीपालन फ़ार्म का विस्तार करना चाहते हैं। मुझे लगता है कि हमें सरकार पर निर्भर रहने के साथ साथ अपने आप पर भी ज्यादा निर्भर रहना चाहिए। हमने कंपनी जमा किसान जमा सहकारिता संघ वाली प्रणाली के जरिए व्यापार करते हैं। मुझे आशा है कि हमारे चिकन का ब्रांड पूरे तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में मशहूर होगा। वर्तमान में मेरी सबसे बड़ी उम्मीद यह है कि स्थानीय किसान और चरवाहे शीघ्र ही समृद्ध होंगे। उनके समृद्ध जीवन को आगे बढ़ाने में योगदान करना मेरा सबसे बड़ा स्वप्न और सबसे बड़ी अभिलाषा है।"