पिछले साल के 12 मई को दक्षिण पश्चिम चीन के स्छ्वान प्रांत की वनछ्वान काउंटी में जबरदस्त भूकंप आया, जहां चीन के अल्पसंख्यक जाति छ्यांग जाति के लोग सघन रूप से आबाद हैं। भूकंप से छ्यांग जाति के कुछ लोक-कलाकारों की मौत हुई और प्राचीन गांव नष्ट हुए हैं, जिस से छ्यांग जाति की परंपरागत संस्कृति पर गंभीर प्रभाव पड़ा है। भूकंप आए अब एक साल हो गया है। स्छ्वान प्रांत में छ्यांग जातिय संस्कृति का संरक्षण व पुनःनिर्माण काम कैसा है? आज के इस कार्यक्रम में हम आप को वहां की स्थिति देखने ले जाएंगे।
अभी जो गीत आप सुन रहे हैं, वह महिला गांव वासी सुश्री वांग जनफांग की आवाज में है । वांग जनफांग स्छ्वान प्रांत के यिंगश्यू कस्बे के यूचिसी गांव में रहती हैं। 44 वर्षीय वांग जनफांग छ्यांग जाति की हैं। वे न सिर्फ छ्यांग जाति के गीत अच्छे गा सकती हैं, बल्कि छ्यांग जाति के कढ़ाई काम में भी निपुण हैं, जैसाकि वे परम्परागत शैली के पगड़ी, कमरबंद व शाल आदि बहुत बनाती है। वे छ्यांग जाति के तरह-तरह के बेलबूटे जानती हैं। सुश्री वांग चनफांग ने खुद छ्यांग जाति की परंपरागत कढाई कला सीखी है, जिससे छ्यांग जातीय संस्कृति को विरासत के रूप में ग्रहण कर विकसित करने की आशा दिखाई पड़ी है। उन्हों ने कहाः
"मैंने छ्यांग जाति की परंपरागत संस्कृति कभी नहीं सीखी। सिर्फ हर रविवार को बूढ़ी लोग जब छांग जाति की परंपरागत कढाई कला की वस्तुएं बनाती हैं, तब मैं उन के पास जाकर देखती हूं और उन के काम को देखते हुए खुद उसी तरह बनाती हूं।"
छ्यांग जाति चीन की सबसे प्राचीनतम जातियों में से एक है, जिसका इतिहास 3000 साल से भी ज्यादा है। प्राचीन काल में छ्यांग जातिय लोग मुख्यतः उत्तर-पश्चिम चीन के सीमांत क्षेत्र में रहती थी, कालांतर में वे स्थानांतरित हो कर स्छ्वान प्रांत में आ बसे। उन्हें पहाड़ी ढलान पर पत्थर के मकान में रहना पसंद है, इसलिए उन्हें बादल में रहने वाली जाति कही जाती है। छ्यांग जाति की किलानुमा इमारत परंपरागत वास्तु तकनीक से बनायी गयी है, जो चीन, यहां तक कि सारी दुनिया के वास्तु निर्माण इतिहास में अपनी विशेष पहचान बना रखी हुई है। उन के कपड़े, नृत्य गान और वाद्य यंत्र भी अपनी जातीय विशेषता लिए हुए है।
स्छ्वान के वनछ्वान में भूकंप आने के बाद चीन के सरकारी व गैरसरकारी सांस्कृतिक अवशेषों की संरक्षण व अनुसंधान संस्थाओं ने शीघ्र ही भूकंप ग्रस्त क्षेत्र जाकर वहां के सांस्कृतिक अवशेषों को पहुंचे नुकसान की स्थिति का जायजा किया और इन के संरक्षण के सुझाव पेश किये। चीनी संस्कृति मंत्रालय आदि विभागों ने छ्यांग जातीय संस्कृति का पारिस्थितिकी संरक्षण प्रायोगात्मक क्षेत्र स्थापित किया और संरक्षण योजना जारी की । स्छ्वान व श्यानसी प्रांतों में छ्यांग जातीय लोगों के आबाद क्षेत्रों को संरक्षण दायरे में शामिल किया गया और इस काम में सांस्कृतिक अवशेषों व गैरभौतिक सांस्कृतिक विरासतों के उत्तराधिकारी लोगों को संरक्षण देने पर प्राथमिकता दी गयी। राष्ट्रीय वित्त से इन का समर्थन भी दिया गया।
चीनी उप संस्कृति मंत्री चो हफिंग ने कहा कि छ्यांग जाति की अपनी लिपि नहीं है। इसलिए संस्कृति का विरासत पीढ़ी दर पीढ़ी मौखित तौर पर सुरक्षित कर आगे बढ़ाया जाता है। हमें विरासत के उत्तराधिकारी लोगों को संरक्षण देने के काम को मजबूत करना और शिक्षा का स्थल कायम करना चाहिए और डिजिटल तकनीक से छ्यांग जाति की संस्कृति का प्रभाव बढ़ाना चाहिए। उन्होंने कहाः
"छ्यांग जातीय संस्कृति विरासत के उत्तराधिकारी लोगों द्वारा बनाए रखी गयी है और विकसित की जाती है। इसलिए विरासत के उत्तराधिकारी लोगों के संरक्षण पर प्रथमिकता देनी चाहिए। संरक्षण के जरिए विरासत ग्रहण व विकास करने वाली गतिविधियों में उन लोगों के काम को सुविधा दिलायी जाना चाहिए। इस के अलावा, संदर्भवस्तुओं व महत्वपूर्ण सामग्रियों का संग्रहण और संकलन करना भी चाहिए, ताकि छ्यांग जातीय संस्कृति का संरक्षण सुवय्वस्थिच व योजनाबद्ध से किया जा सके। हम डिजिटल संग्रहालयों के विषयों का विस्तार करेंगे और विशेष डेटा बैंक बनाएंगे तथा आधुनिक तकनीक से छ्यांग जातिय संस्कृति का संरक्षण करेंगे।"
पेईछ्वान काउंटी चीन में एकमात्र छ्यांग जातीय स्वायत्त काउंटी है। छ्यांग जाति की संस्कृति को विरासत के रूप में ग्रहण करने के लिए पेईछ्वान मिडिल स्कूल ने भूकंप के बाद छ्यांग जातीय संस्कृति के बारे में व्याख्यान बैठक आयोजित की और छ्यांग जातीय गीत कक्षा खोली। पेईछ्वान मिडिल स्कूल के अध्यापक श्री श्यू ने कहाः
"हम छ्यांग जातीय संस्कृति के बारे में पाठ्य पुस्तक बना रहे हैं। पाठ्यक्रम बनाने के बाद पूरे स्कूल में इस का प्रचार प्रसार किया जाएगा।"
हाई स्कूल में पढ़ रही सुश्री ली छ्वूहोंग ने इस तरह के व्याख्यान बैठक में भाग लिया है। व्याख्यान से उसे छ्यांग जातीय संस्कृति के बारे में बहुत से ज्ञान मिले। उसने कहा कि यह छ्यांग जातीय संस्कृति के विरासत के संरक्षण व प्रचार के लिए लाभदायक है। उसने कहाः
"मुझे लगता है कि अन्य लोगों को हमारी संस्कृति के बारे में और ज्यादा जानकारी होनी चाहिए। इससे विश्व संस्कृति भी और रंगबिरंगी होगी।"
वर्तमान में चीन में छ्यांग जाति की जन संख्या 3 लाख से ज्यादा है, जिसमें से 80 प्रतिशत से ज्यादा लोग स्छ्वान प्रांत के आबा तिब्बत व छ्यांग जातीय स्वायत्त प्रिफेक्चर की माऊ काउंटी, वनछ्वान काउंटी और म्येनयांग शहर की पेईछ्वान छ्यांग जाती स्वायत्त काऊंटी में रहते हैं। यह क्षेत्र गत 12 मई में आए जबरदस्त भूकंप से गंभीरता से ग्रस्त हुआ है। 8 तीव्रता वाले भूकंप से अधिकांश छ्यांग जातीय कस्बे व गांव तबाह हो गए। भूकंप के बाद पुनर्निर्माण व पुनर्वास के काम में छ्यांग जातीय विशेषता बनाए रखने पर बड़ा ध्यान देना सबसे महत्वपूर्ण काम है। आबा तिब्बत व छ्यांग जातीय स्वायत्त प्रिफेक्चर के उपाध्यक्ष श्री श्याओ योछे ने कहा कि छ्यांग जातीय संस्कृति के संरक्षण व पुनःनिर्माण का काम सुचारू रूप से चल रहा है। उन्होंने कहाः
"माऊ काउंटी, वनछ्वान काउंटी और ली काउंटी भूकंप से गंभीर रूप से ग्रस्त हुई हैं। हमने छ्यांग जातीय संस्कृति व छ्यांग जातीय विशेषता वाली वास्तु शैली को पुनर्निर्माण में संरक्षित किया है। बहुत से निर्माण कामों में हमने छ्यांग जातीय शैली का इस्तेमाल किया और जातीय संस्कृति के संरक्षण में हमने फैसला किया कि माऊ काउंटी में एक छ्यांग जातीय संस्कृति के संग्रहालय की स्थापना की जाएगी। अब इस का काम शुरू हो गया है।"
स्छ्वान प्रांत के निर्माण ब्यूरो ने छ्यांग जातीय संस्कृति के अनुसार आवास का निर्माण करने की विशेष योजना बनाई, जिस में स्थानीय निवासियों के परंपरागत रीति रिवाज के मुताबिक मकान की शैली तय की जाएगी। पेईछ्वान काउंटी के चीना छ्यांग जातीय गांव इस परियोजना में शामिल है। पिछले साल के भूकंप में वहां के अधिकांश मकान नष्ट हुए। अब इस भूमि पर एक छ्यांग जातीय विशेषता वाला नया गांव निर्मित हो गया है, जिसका नाम चीना छ्यांग गांव रखा गया है, छांग भाषा में चीना का अर्थ सुन्दर देवी निवास है।
इस गांव के निर्माण का जिम्मा उठाने वाले कस्बा उपाध्यक्ष श्री यांग श्याओख्वुन ने कहाः
"भूकंप से पहले स्थानीय लोगों का जीवन मुख्यतः कृषि व पशु चराने पर निर्भर रहता था। भूकंप के बाद नया गांव निर्मित हो गया है। अब वे पर्यटन उद्योग से जीविका चलाने के पक्षधर हुए हैं। हमारे यहां छ्यांग जाति के लोक गीत, नृत्य व कढ़ाई के काम बहुत अच्छे हैं और छांग जाति के खानपान भी आकर्षिक है, जो स्थानीय पर्यटन सेवा के विकास के लिए लाभदायक है।"
छ्यांग जातीय महिला सुश्री वांग जनफांग ने एक लोक गीत से अपनी मनःस्थिति अभिव्यक्त की है। गीत के बोल में कहा गया कि नया मकान सुविधाजनक, अच्छी फसल से सुख नसीब, मैं हजारों गीतों से खुशी व्यक्त करती हूं। सच है कि अब सभी लोग छ्यांग जातीय संस्कृति के विकास पर आशावान हैं। हमारी आशा है कि छ्यांग जातीय संस्कृति का नया उद्धार होगा और उस का फुल और सुन्दर खिल कर शोभा देगा।(ललिता)