राजपूत स्तरीय विनाशक जहाज़ भूतपूर्व सोवियत संघ द्वारा काशिन दो विनाशक ज़हाज़ के आधार पर निर्मित किया गया है।प्रथम ज़हाज़ ने वर्ष 1980 में नौ सेना में सेवा शुरु की, जबकि अंतिम जहाज ने वर्ष 1988 में सेवा शुरु की। भारतीय नौ सेना ने उक्रैन की मदद से इस ज़हाज़ का नया रुपांतरण करने की योजना बनायी। अब इस तरह के ज़हाज़ों की संख्या पांच है, जिन के नम्बर डी 51 से डी 55 तक हैं।
इस बार नम्बर डी 54 रक्षक ज़हाज़ चीन में नौ सेना की 60वीं जयंती में आयोजित गतिविधियों में भाग ले रहा है। इस ज़हाज़ की लम्बाई 146.5 मीटर है, चौड़ाई 15.8 मीटर है, डिसप्लैसमैंट 3950 टन है।यह ज़हाज़ एक घंटे में 35 नॉट तक जा सकता है।ज़हाज़ पर कुल मिलाकर 320 सैनिक व अफसर हैं। इस ज़हाज़ पर तोपों, टारपीडो लांच ट्यूब, रॉकेट प्रक्षेपण यंत्र, मिसाइल प्रक्षेपण यंत्र और हैलिकॉप्टर आदि यंत्र हैं।