चीनी लोगों की मान्यता के अनुसार पक्षियों का राजा अमर पक्षी था , एक दिन अमर पक्षी जन्म दिवस मना रहा था , जंगल के सभी पक्षियां बधाई देने आ पहुंची , लेकिन मात्र चमगाढ़ नहीं आया । अमर पक्षी को बड़ा गुस्सा आया, उस ने चमगाढ़ को बुला कर उस पर नाराजगी प्रकट की , तुम मेरा प्रजा है , पर यह हिम्मत कैसी आयी कि मेरे जन्म दिवस पर भी नहीं आया । चमगाढ़ ने अपना दोनों पांव दिखाते हुए कहा , मेरे शरीर में जानवर के पांव होते है , मैं पशु -राज्य का प्रजा हूं । आप के पक्षी -राज्य को मुझ पर शासन करने का अधिकार नहीं है । कुछ दिन के बाद पशु राज्य के राजा छी लिन का जन्म दिवस आया , छी-लिन एक काल्पिक जानवर है , जो चीनी लोक मान्याता के अनुसार जानवरों का राजा है । उस के जन्म दिवस पर बधाई देने के लिए सभी जानवर जंगल में आए , लेकिन चमगाढ़ का सूरत फिर नहीं दिखा । छी लिन ने उसे बुला कर फटकारा कि तुम मेरा प्रजा है , तो ऐसी हिम्मत हो कि मेरे जन्म दिवस पर भी बहुत घमंडी निकला हो । चमगाढ़ ने पंख फड़फड़ा कर कहा कि मेरे पंख होते हैं , मैं पक्षी -राज्य का प्रजा हूं , आप के पशु -राज्य का क्या अधिकार है कि मुझे बधाई देने आने का हुक्म दे । एक दिन अमर पक्षी और छी लिन आपस में मिले थे . बातचीत में चमगाढ़ की घटना की चर्चा आयी , तो दोनों को पता चला था कि चमगाढ़ दोनों तरफ झूठ बोलता था । अमर पक्षी और छी लिन ने आह
भर कर कहा , अब समाज में नैतिकता कितनी कमजोर हुई है , ऐसी चीज भी पैदा हो गई है , जो न जानवर का है , ना ही पक्षी का । उस के साथ हम कुछ कर नहीं सकते ।
इस नीति कथा का मतलब है कि समाज में ऐसा द्विमुख लोग रहता है , जो मानव के साथ मानव की बातें करता हो और शैतान के साथ शैतान की बातें । उस का कोई सिद्धांत नहीं है । पर देर सबेरे उस के असली चेहरे का पर्दाफाश होता है ।