पश्चिमी हान राजवंश के उत्तरकाल में कुलीन लोग, उच्च अफसर और बड़े जमींदार ज्यादा से ज्यादा जमीन हड़पने लगे थे, जिससे अधिकाधिक उपजाऊ जमीन उनके हाथ आती गई और व्यापक किसान समुदाय भूमिहीन बनता गया। ये भूमिहीन किसान खानाबदोश होकर जगह-जगह मारे-मारे फिरने लगे या अपने को दासों के रूप में बेचने लगे। जैसे-जैसे सामाजिक अन्तरविरोध तीव्र से तीव्रतर होते गए, वैसे-वैसे किसान –विद्रोहों का तूफान प्रचण्ड रूप से उठता गया। फलस्वरूप, पश्चिमी हान राजवंश के शासन की नींव खोखली हो गई। छै ईसवी में हान राजघराने के रिश्तेदार वाङ माङ ने सम्राट फिङती से सत्ता छीन ली। 9 ईसवी में उसने शिन के नाम से एक नए राजवंश की स्थापना की। सामाजिक अन्तरविरोधों को शिथिल बनाने के हेतु उसने अफसरशाही व्यवस्था, मुद्रा-प्रणाली, भूमि-व्यवस्था, कराधान और सरकारी
इजारेदारी समेत अनेक क्षेत्रों में सुधार लागू किए। लेकिन उस के अधिकतर सुधार वास्तविकता के अनुरूप नहीं थे। इस के अलावा, सुधारों के मुद्दे बहुत पेचीदा होते थे और उनका नियमन करने वाले कानूनों में निरन्तर परिवर्तन भी होते रहते थे। इस सब के कारण जनता में असुरक्षा की भावना और पूरे समाज में अस्थिरता बढ़ती गई। गम्भीर सामाजिक संकट अपनी पराकाष्ठा पर पहुंच गया और अन्त में बड़े पैमाने के किसान-विद्रोह जगह-जगह फूट पड़े।