2008-01-04 11:50:31

लोका प्रिफैक्चर----तिब्बती इतिहास व संस्कृति का उद्गम स्थल

तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के लोका प्रिफैक्चर न्यानछिंग थांगकुला पर्वत और गांडिस पर्वत के दक्षिण, यालुजांबू नदी के नीचे व मध्य भाग में स्थित है, जो तिब्बत का सब से समृद्ध और गहरे इतिहास व संस्कृति वाला क्षेत्र माना जाता है । लोका प्रिफैक्चर में तिब्बत के इतिहास का प्रथम राज महल युंगपुलाखांग महल और प्रथम बौद्ध भवन छांगजचू मठ है । हमारे पिछले कार्यक्रम में शायद आप ने लोका प्रिफैक्चर के बारे में कुछ जानकारी हासिल की होगी, तो आज आप हमारे साथ वहां का विस्तृत दौरा करेंगे ।

तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में एक कहावत प्रचलित है कि तिब्बती लोगों का बुजुर्ग एक देव वानर है, जो तिब्बत के लोका प्रिफैक्चर में संन्यासी के रुप में रहता है । लोका प्रिफैक्चर की राजधानी चह तांग कस्बा है, तिब्बती भाषा में चहतांग का मतलब है वानरों के खेलने का मैदान ।

वास्तव में लोका प्रिफैक्चर में एक ओर तो यह प्राचीन कथा मशहूर है, और दूसरी तरफ़ प्राचीन तिब्बत का सब से प्रभावकारी राजवंश थूबो राजवंश भी यहां स्थापित हुआ था । तिब्बत के लोका प्रिफैक्चर के सांस्कृतिक अवशेष प्रबंधन ब्यूरो के निदेशक श्री गङत्वे नात्सो ने कहा:

"यालूंग नदी क्षेत्र थूबो राजवंश का उद्गम स्थल है । यहां अनेक राज महल, मठ और प्राचीन मकबरे सुरक्षित हैं । छुंगचे शाही कब्रिस्तान हमारे देश के महत्वपूर्ण सांस्कृतिक अवशेषों में से एक है । यहां राजा सोंगचान कानपू समेत थूबो के अनेक राजाओं के मकबरे हैं ।"

श्री गङत्वे नात्सो ने बताया कि लोका प्रिफैक्चर में सब से मशहूर ऐतिहासिक सांस्कृतिक अवशेष युंगपुलाखांग महल, छांगचू मठ और सांगये मठ हैं । युंगपुलाखांग महल तिब्बती इतिहास में प्रथम राज महल है, जिस की स्थापना ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी में प्रथम तिब्बती राजा न्येचिचानपू ने की थी।

युंगपुलाखांग राजमहल लोका प्रिफैक्चर की राजधानी चह तांग कस्बे से दस किलोमीटर दूर स्थित चाशित्सेर पर्वत पर स्थित है । तिब्बती भाषा में युंगपु का मतलब है हिरनी और ला का मतलब है पिछली टांग , जबकि खांग का अर्थ है राजमहल । क्योंकि चाशित्सेर पर्वत का आकार एक सुप्त हिरणी जैसा जान पड़ता है, इसलिये युंगपुलाखांग भवन हिरणी की पिछली टांगों पर स्थापित राजमहल के नाम से विख्यात हो गया है।

तिब्बती जाति के बीच युंगपुलाखांग भवन के निर्माण से जुडीं बहुत-सी मर्मस्पर्शी कहानियां आज तक लोगों की जुबान पर ताज़ा हैं । कहा जाता है कि थूफान यानी तिब्बत का प्रथम राजा चानफू स्वर्ग देवता का बेटा था । एक दिन जब वह स्वर्ग की सीढ़ियों से उतर कर यालूंग नदी की घाटी के चानथांग मैदान पर आया, तो स्थानीय चरवाहे उसे देखकर बेहद आश्चर्यचकित हुए और उसे अपना राजा बना लिया । फिर इन चरवाहों ने उसे अपने कंधों पर बिठाकर उसे न्येचिचानपू नाम दिया । तिब्बती भाषा में न्ये का मतलब है गला, चि का अर्थ है सिंहासन और चानपू का अर्थ है बहादुर राजा । अतः न्येचिचागपू का पूरा अर्थ है गले के सिंहासन पर बैठा वीर । इस के बाद तिब्बत के इतिहास में हरेक तिब्बती राजा को चानपू कहा जाने लगा । स्थानीय चरवाहों ने राजा न्येचिचानपू के सम्मान में युंगपुलाखांग राजमहल का निर्माण किया । आज युंगपुलाखान-भवन तिब्बती बौद्ध-धर्म की उप शाखा ह्वाग-धर्म के मठ के रुप में जाना जाता है । युंगपुलाखांग महल के प्रबंधन दल के प्रधान श्री फुपुतोची ने जानकारी देते हुए कहा:

"युंगपुलाखांग महल तिब्बत का प्रथम राज महल है । तिब्बत के प्रथम राजा न्येचिचानपु, राजा सोगचानकानपु और राजकुमारी वनछङ इसी महल में रहते थे । पोताला महल का निर्माण पूरा होने के बाद तिब्बत के प्रथम राजा न्येचिचानपु, राजा सोगचानकानपु और राजकुमारी वनछङ पोताला महल में रहने लगे और यहां युंगपुलाखांग महल को मठ के रूप में परिवर्तित किया गया । वर्तमान में युंगपुलाखांग महल तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की सांस्कृतिक अवशेष इकाई और राष्ट्र स्तरीय पर्यटन स्थल है ।"

युंगपुलाखांग महल में अनेक सुन्दर भीत्ति चित्र संरक्षित हैं, जिन में तिब्बत के प्रथम राजा न्येचिचानपु की कहानी और तिब्बत के प्रथम काष्ठनिर्माण और प्रथम खेती योग्यभूमि की कहानी सुनाई गई है । इस के अलावा, इन भीत्ति चित्रों में तिब्बत के प्राचीन इतिहास की अनेक कथाएं भी शामिल हैं ।

युंगपुलाखांग महल के प्रबंधन दल के प्रधान श्री फुपुतोची ने जानकारी देते हुए कहा कि हर रोज़ इस महल का दौरा करने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों और तिब्बत के विभिन्न क्षेत्रों से आए बौद्ध धर्म के अनुयायियों की संख्या बेशुमार होती है । युंगपुलाखांग महल की सैर के दौरान हमारे संवाददाता की मुलाकात एक बेल्जियम यात्री सुश्री मसेला दे बोक से हुई । उन्होंने ने अपनी यात्रा के बारे में उत्साहपूर्ण आवाज़ में कहा:

"यहां बहुत सुन्दर है । आने से पूर्व हम ने सांगये मठ का दौरा किया। यह हमारी आज की यात्रा का दूसरा पड़ाव है ।"

सांगये मठ का इतिहास आज से एक हज़ार वर्ष से ज्यादा पुराना है । तिब्बती जाति के मठों में उस का इतिहास सब से पुराना है । सांगये मठ का प्रमुख भाग एक तीन मंजिला भवन है । जिस की प्रथम, दूसरी और तीसरी मंजिल पर अलग-अलग तौर पर तिब्बती शैली, चीनी हान शैली और भारतीय शैली का काष्ठ निर्माण हुआ है । सांगये मठ तिब्बत के थूपो राजवंश में सब से महान और सब से आलीशान काष्ठ निर्माण माना जाता था । इसी मठ में थूपो राजवंश के बाद तिब्बत के विभिन्न कालों में इतिहास, धर्म, काष्ठ निर्माण, भीत्ति चित्र और मूर्ति आदि अवशेष संरक्षित हैं । मठ के प्रमुख भवन की दीवार पर रंग-बिरंगो भीत्ति चित्र हैं, जिन की लम्बाई 92 मीटर है । इन भीत्ति चित्रों में पोलो खेल से जुड़े चित्रों को विश्व भर में इस प्रकार के खेलों में सब से प्राचीन रिकॉर्ड माना जाता है।

श्री तिंग शीश्यू चीन के भीतरी इलाके के शङ चङ शहर के निवासी हैं । तिब्बत की यात्रा करना उन का स्वप्न है । वे अपने कई दोस्तों के साथ अपनी कार चलाकर स्छ्वान की राजधानी छङंतु से तिब्बत के लोका प्रिफैक्चर आए । यहां के दृश्य देख कर व बहुत उत्तेजित हो उठे । पर्यटक तिंग शीश्यू ने कहा:

"यहां के दृश्य बहुत सुन्दर हैं । मुझे लगता है कि तिब्बत प्राचीन सांस्कृतिक अवशेषों के संरक्षण पर विशेष महत्व देता है ।"

मठ व राजमहल के अलावा, लोका प्रिफैक्चर का यालुंग क्षेत्र तिब्बती ऑपेरा का जन्मस्थान है । पांच सौ साल पूर्व थांगतुंग चेपु नामक भिक्षु जनता की सहायता के लिए एक पुल का निर्माण करना चाहता था । इस के लिए पैसों की आवश्यकता थी । इस लिए चंदा उगाहने के लिए उसने सात लड़कियों का एक दल गठित किया और तिब्बती ऑपेरा का प्रदर्शन करने लगे जिसे इस के बाद ही तिब्बती ऑपेरा कहा जाने लगा। पीढ़ी दर पीढ़ी कलाकारों के विकास के चलते आज तिब्बत ऑपेरा अनेक नाट्य संप्रदायों में बंटा हुआ है। पर सफ़ेद, पीले, नीले और काले मुखौटों वाले नाट्य रूप सर्वप्रमुख माने जाते हैं । लोका प्रिफैक्चर के नाइतुंग कांउटी के"जाशी श्वेपा"और छुंगचह कांउटी के"पिनतुनपा"नामक सफेद मुखौटे वाले ऑपेराओं का इतिहास बहुत पुराना है , और सारे तिबब्त में अत्यंत मशहूर हैं। हर वर्ष तिब्बत परम्परागत त्योहार श्वेतुन त्योहार में इसे सब से पहले प्रस्तुत किया जाता है ।

आज कल लोका प्रिफैक्चर विश्व के विभिन्न स्थलों के पर्यटकों को आकर्षित करता है । यहां के तिब्बती बंधु विभिन्न प्रकार के व्यापार करने लगे हैं, उन में जेड प्रोसेसिंग, तिब्बती आभूषण बनाना और विशेष खाद्य पदार्थ आदि शामिल हैं । तिब्बती संस्कृति के वातावरण में लोका प्रिफैक्चर के लोग और सुखमय जीवन की ओर बढ़ रहे हैं ।