इस साल चीन व श्रीलंका के बीच राजनयिक संबंध स्थापना की 60वीं वर्षगांठ है और दोनों देशों द्वारा रबर-राइस समझौते के हस्ताक्षर की 65वीं जयंती भी। चीन स्थित पूर्व श्रीलंकाई राजदूत बर्नार्ड गुनातिलके ने सीआरआई पत्रकार के साथ साक्षात्कार में कहा कि श्रीलंका व चीन का मैत्रीपूर्ण इतिहास बहुत पुराना है। मई महीने में पेइचिंग में आयोजित होने वाला एक पट्टी एक मार्ग अंतर्राष्ट्रीय सहयोग शिखर मंच दोनों देशों के चतुर्मुखी सहयोग को और गहरा करेगा और श्रीलंका को विकास का नया मौका देगा।
उन्होंने कहा कि हाल में चीन श्रीलंका का दूसरा बड़ा पर्यटक स्रोत देश है। बड़ी संख्या में चीनी पर्यटक श्रीलंका आये और उन्होंने श्रीलंका को और ज्यादा वाणिज्यिक मौके भी दिये हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि श्रीलंका समुद्री रेशम मार्ग का एक अहम हब है। एक पट्टी एक मार्ग का आह्वान श्रीलंका को विकास का अच्छा मौका दे सकेगा, साथ ही दोनों देशों की जनता और घनिष्ट आवाजाही भी कर सकेगी। 2016 में चीन प्रथम बार श्रीलंका का सब से बड़ा व्यापारी साझेदारी और आयात का स्रोत देश बना। दोनों के बीच व्यापारी रक्म 4.56 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंची है। साथ ही चीन श्रीलंका के सब से अहम निवेश देशों में से एक भी है। श्रीलंका की अनेक प्रमुख बुनियादी संरचनाओं का निर्माण भी चीन से अलग नहीं हो सकता है। कोलंबो बंदरगाह जैसी परियोजनाओं के निर्माण को भी एक पट्टी एक मार्ग पहल से लाभ मिला है।
चीन व श्रीलंका के भविष्य के विकास के प्रति उन्होंने भरोसा जताया। उन्होंने कहा कि श्रीलंका में तमाम चीनी पर्यटकों के आने से दोनों देशों की जनता के बीच आवाजाही व्यस्त रहेगी। दोनों देशों के संबंध और मजबूत होंगे।
(श्याओयांग)