चीन के हथियार और सैन्य सामान की चर्चा करते हुए आपको शायद नई पीढ़ी वाले पूर्व चेतावनी देने वाले विमान, कैरियर एयरक्राफ्ट या रणनीतिक न्यूक्लियर मिसाइल की याद आएगी। वे न सिर्फ देश की रक्षा और प्रतिष्ठा की सुरक्षा करने वाले हथियार हैं, बल्कि चीनी उद्योग विनिर्माण शक्ति का प्रतीक हैं। इन महत्वपूर्ण साज़ो सामान के पीछे बड़ी संख्या वाले अनामी सैन्य उद्योग के तकनीशियन हैं। वे सुदूर क्षेत्र में स्थित सैन्य कारखाने में एकाकी भरा जीवन बिताते हैं, पर वे अपने कार्य पर गर्व करते हैं क्योंकि वे देश के लिए योगदान दे रहे हैं। आज हम उनमें से एक तकनीशियन की कहानी सुनाएंगे। उनका नाम है शु लीपिंग, जो मिसाइल और रॉकेट पर बारूद नक्काशी करते हैं। ठोस ईंधन इंजन रणनीतिक और रणनीतिक मिसाइल का सबसे महत्वपूर्ण भाग है और मानव सहित अंतरिक्ष यान का केंद्रीय भाग भी है। उसके निर्माण के लिए एक हज़ार से अधिक प्रोसेसर की जरूरत है। इनमें से एक काफी अहम काम इंजन के ठोस ईंधन की सूक्ष्म रूप से नक्काशी करना है। ठोस ईंधन का मुख्य तत्व बारूद है, सो यह एक अत्यंत खतरनाक काम है। अगर थोड़ी सी चिनगारी निकली, तो ईंधन में आग लग जाएगी और विस्फोट होने की आशंका सबसे गंभीर होगी। शु लीपिंग दिन भर बारूद के पास काम करते हैं। इस काम के खतरे की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा, काम के समय हमें बारूद छूना पड़ता है। जब वह जलता है, तो तापमान दो तीन हज़ार डिग्री तक बढ़ सकता है और जलने की गति बहुत तेज होती है। कार्य स्थल पर तरह तरह के बाहर निकलने वाले रास्ते हैं, लेकिन ऑपरेटर के लिए बाहर भागने का मौका बहुत कम होता है। शू लीपिंग चीनी अंतरिक्ष विज्ञान और तकनीकी ग्रुप के चौथे अनुसंधान केंद्र के नंबर 7416 कारखाने के उच्च स्तरीय तकनीशियन हैं। उनका काम सूक्ष्म रूप से बारूद की नक्काशी करना है, जिसका प्रयोग मिसाइल इंजन के ठोस ईंधन में होता है। ईंधन की सतह को सपाट करने के लिये डिजाइन के आकार और साइज के एकदम अनुरूप होनी चाहिए, जो तय कर सकता है कि मिसाइल सटीक रूप से निर्धारित ट्रैक पर उड़कर निशाने पर पहुंचेगी या नहीं। चीन के कई रणनीतिक और युक्तियुक्त मिसाइल और ठोस ईंधन वाले रॉकेट के इंजन में बारूद नक्काशी शू लीपिंग जैसे तकनीशियन करते हैं। ठोस ईंधन वाले इंजन में बारूद की सतह की सबसे बड़ी भूल-चूक सिर्फ 5 माइक्रोन मीटर है। लेकिन शू लीपिंग इस हद तक काम कर सकते हैं कि बारूद के सतह की भूल-चूक सिर्फ 2 माइक्रोन मीटर के अंदर ही रहती है, जो दो ए चार साइज़ वाले फोटोस्टेट वाले कागज से भी पतले हैं।