सिरिसेना ने कहा कि श्रीलंका-चीन मैत्री का इतिहास बहुत पुराना है। दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंध की स्थापना के बाद के लेकर अब तक चीन ने अर्थतंत्र, कृषि, विज्ञान, तकनीक, शिक्षा, रक्षा मामला जैसे क्षेत्रों में श्रीलंका का भारी समर्थन किया और बड़ी सहायता दी। हम इसके प्रति चीन के आभारी हैं। मैंने राष्ट्रपति का पद संभालने के बाद राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग के साथ कई बार मुलाकात की। हम दोनों ने द्विपक्षीय संबंध के विकास पर कई सहमतियां भी हासिल कीं। श्रीलंका चीन के साथ संबंधित परियोजनाओं के विकास को सक्रिय रूप से आगे बढ़ाना चाहता है, और विभिन्न क्षेत्रों में वास्तविक सहयोग को लगातार गहराने को भी तैयार है। चीन की बड़ी चिंता वाले मुद्दों पर श्रीलंका पहले की ही तरह चीन के रुख का समर्थन करता रहेगा।
वहीं, छांग वानछ्वान ने राष्ट्रपति सिरिसेना तक राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग का अभिवादन पहुंचाया और कहा कि इस वर्ष चीन और श्रीलंका के बीच कूटनीतिक संबंध स्थापना की 60वीं वर्षगांठ है। वर्तमान में दोनों देशों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग सुचारु रुप से आगे बढ़ रहा है, जिससे द्विपक्षीय संबंध के विकास को भी बढ़ावा मिला है। चीन अपने मूल हितों वाले मुद्दे पर श्रीलंका के समर्थन का आभारी है। श्रीलंका 21वीं सदी में समुद्री रेशम मार्ग का महत्वपूर्ण तटीय देश है। चीन श्रीलंका के साथ मिलकर समान विकास करना चाहता है, ताकि दोनों देशों की जनता को लाभ मिल सके।
(श्याओ थांग)