रूसी विदेश मंत्री सेर्गेई लावरोव और जर्मन विदेश मंत्री सिग्मार गाब्रिएल ने 9 मार्च को मास्को में कहा कि दोनों पक्ष समान रूप से इस बात के पक्षधर हैं कि यूक्रेन में स्थित पर्यवेक्षण दल में यूरोपीय सुरक्षा और सहयोग संगठन की क्षमता बढ़ायी जाएगी, और नए मिन्स्क समझौते के कार्यान्वयन की गारंटी के लिए अमेरिकी भूमिका निभाने के उचित तरीके का समर्थन किया जाएगा।
बता दें, कि अप्रैल 2014 में पूर्वी यूक्रेन में सशस्त्र मुठभेड़ हुई थी। इसी वर्ष सितंबर में यूक्रेन मुद्दे के त्रिपक्षीय संपर्क दल और पूर्वी यूक्रेन के गैर-सरकारी सश्स्त्र संगठनों के बीच मिन्स्क में युद्ध विराम समझौता संपन्न किया गया था। बावजूद इसके मुठभेंड़ पूरी तरह खत्म नहीं हुई थी।
फरवरी 2015 में नए मिन्स्क समझौते पर हस्ताक्षर हुए। संबंधित पक्षों के बीच पूर्वी यूक्रेन में राजनीतिक व्यवस्था को लेकर सहमति बनी। लेकिन समझौते को कारगर रूप से कार्यान्वयन नहीं किया गया।
रूसी विदेश मंत्रालय की सरकारी वेबसाइट के मुताबिक 9 मार्च को मास्को की यात्रा पर आए जर्मन विदेश मंत्री सिग्मार गाब्रिएल के साथ वार्ता के बाद लावरोव ने मीडिया से कहा कि दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने एक स्वर में माना कि यूक्रेन पर्यवेक्षण दल में यूरोप की सुरक्षा और सहयोग संगठन के कर्मचारियों की संख्या बढ़ानी चाहिए, इसके साथ ही इसी संस्था की कार्य क्षमता को उन्नत करना चाहिए। ताकि वह पूर्वी यूक्रेन के संघर्षरत क्षेत्र और स्थानीय तौर पर भारी हथियारों के भंडारण की स्थिति पर निगरानी कर सके।
नए मिन्स्क समझौते के कार्यान्वनय में अमेरिका की भूमिका की चर्चा करते हुए लावरोव ने कहा कि पूर्वी यूक्रेन मुद्दे के समाधान में रूस को नए मिन्स्क समझौते से जुड़े अन्य तीनों पक्षों के साथ संबंधों का समन्वय करना ज़रूरी है, बल्कि अमेरिका के साथ विचार विमर्श भी करना चाहिए। "मेरा विचार है कि संबंधित पक्षों को बिना शर्त के नए मिन्स्क समझौते का पालन करना चाहिए। इस लक्ष्य को बखूबी अंजाम देने के लिए किसी भी तरीके से अमेरिका की भूमिका को स्वीकार करना इस मुद्दे के समाधान के लिए लाभदायक है।" लावरोव ने यह कही।
(श्याओ थांग)