हाल ही में भारत के प्रमुख अंग्रेजी अखबार "हिन्दुस्तान टाइम्स" की वेबसाइट पर भारतीय नीति अनुसंधान केंद्र के अनुसंधानकर्ता श्रीनाथ राघवन का एक लेख प्रकाशित हुआ, जिसमें कहा गया कि भारत को चीन द्वारा प्रस्तुत एक पट्टी एक मार्ग के निर्माण में भाग लेना चाहिये ताकि वह एशिया में नयी संरचना बनाने के मौके से नहीं चूके ।
इस लेख में कहा गया है कि भारत और चीन ने हालिया समय में सिलसिलेवार रणनीतिक बातचीत करके द्विपक्षीय संबंधों के सुधार करने के लिए लाभदायक वातावरण तैयार किया । लेकिन इसके बाद घटित कुछ घटनाओं की वजह से दोनों देशों के बीच संबंधों को परीक्षा से गुजरना पड़ा । लेकिन भारत को इस बात पर स्पष्ट तौर पर समझ लेना चाहिये कि भारत और चीन दोनों के लिए नई अंतर्राष्ट्रीय स्थितियों में मजबूत और संबंधों में दूरदर्शिता बनाये रखना सही है ।
राघवन ने अपने लेख में यह आगे बताया कि चीन को अमेरिका के टीपीपी से हट जाने तथा एक पट्टी एक मार्ग रणनीति कायम होने के जरिये बेहतर वातावरण बन चुका है । भारत ने अभी तक चीन के इस अनुमोदन में भाग लेने की हामी नहीं भरी है, लेकिन भारत को मनमाने तौर पर नीतियां नहीं बनानी चाहिये । वास्तव में एशिया की आर्थिक व्यवस्था में गहरा परिवर्तन किया जा रहा है । भारत को वास्तविकता को स्वीकारना चाहिये ताकि नयी एशियाई संरचना रखने वाले मौके से नहीं चूके ।