वर्ष 2016 के 15 से 16 अक्तूबर तक ब्रिक्स देशों के नेताओं का 8वां शिखर सम्मेलन भारत के गोवा में आयोजित हुआ । इसके बाद चीन इस वर्ष की शुरूआत से ब्रिक्स देशों का अध्यक्ष देश बन गया है । आगामी सितंबर महीने में दक्षिणी चीन के श्यामन शहर में 9वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन आयोजन किया जाएगा । इसकी तैयारी करने के लिए ब्रिक्स देशों की पहली समन्वयक बैठक 23 फरवरी को चीन के नानचिंग शहर में संपन्न हुई । बैठक में चीनी स्टेट कांसुलर यांग च्ये छी ने इधर दस सालों के भीतर ब्रिक्स देशों के विकास का सिंहावलोकन करते हुए कहा कि ब्रिक्स देशों के बीच सहयोग करने की संरचना, नये उभरते देशों और विकासमान देशों के बीच सहयोग करने का एक चमकदार संकेत बन गया है । उन्होंने कहा, "इधर दस सालों के भीतर ब्रिक्स देश किसी अर्थशास्त्री की रिपोर्ट में निर्धारित निवेश की अवधारणा से निकलकर, विश्व में नये उभरते व विकासमान देशों के बीच सहयोग करने के चमकदार संकेत बन गये हैं । ब्रिक्स देशों के बीच सहयोग संरचना से विश्व स्थितियों तथा अंतर्राष्ट्रीय शक्तियों के परिवर्तन के अनुकूल है । और ब्रिक्स देशों की एकता अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के समान हितों के अनुकूल भी है । आज ब्रिक्स देश विश्व अर्थतंत्र को बढ़ाने, विश्व शासन का सुधार करने तथा अंतरराष्ट्रीय संबंधों के लोकतंत्रीकरण को बढ़ाने में महत्वपूर्ण शक्ति भी बन गये हैं ।"
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष संगठन के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2016 में ब्रिक्स देशों समेत नव उभरते बाजार देशों तथा विकासमान देशों द्वारा विश्व अर्थतंत्र के लिए योगदान दर 80 प्रतिशत तक जा पहुंची है । इसमें ब्रिक्स देशों की योगदान दर 50 प्रतिशत से ऊपर रहती है । लेकिन इसी के साथ-साथ विश्व अर्थतंत्र का आधार फिर भी अस्थिर है, आर्थिक भूमंडलीकरण के कार्यक्रम में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है और विश्व में राजनीतिक और आर्थिक स्थिति की अनिश्चितता भी स्पष्ट तौर पर बढ़ती जा रही है । जटिल व अस्थिर स्थितियों के सामने ब्रिक्स देशों को विश्वास कायम कर हाथ में हाथ डालकर विकास के मौके पकड़ने चाहिये ।
यांग च्ये छी ने कहा, "ब्रिक्स देश अब विश्व शासन के प्रतिभागियों से मार्गनिर्देशक की ओर बनते जा रहे हैं । ब्रिक्स देशों को विश्व के सामने मौजूद चुनौतियों का सामना करने में अपनी बुद्धिमता दिखानी चाहिए और हम ऐसा करने में समर्थ भी हैं । हमें दूसरे देशों के साथ-साथ मानव के समान भाग्य समुदाय की स्थापना कर एक संयुक्त रूप से निर्माण, उभय जीत व समान शेयर का विश्व शासन रास्ता खोजना चाहिये ।"
समन्वयक संरचना ब्रिक्स देशों के बीच में सहयोग को बढ़ाने का प्रमुख रास्ता है । समन्वयकों को ब्रिक्स देशों के शिखर सम्मेलन की राजनीतिक तैयारियां समाप्त करनी होगी । शिखर सम्मेलन के आयोजन से पहले कई समन्वयक बैठकों का आयोजन करना पड़ता है जिसमें ब्रिक्स देशों के सहयोग व शिखर सम्मेलन की तैयारियों पर विचार-विमर्श किया जाता है । नानचिंग शहर में आयोजित बैठक में ब्रिक्स देशों के समन्वयकों, चीन स्थित इन देशों के राजदूतों तथा ब्रिक्स विकास बैंक के प्रतिनिधियों के बीच"ब्रिक्स साझेदारी को गहराने और उज्ज्वल भविष्य खोलने"की थीम पर वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय स्थितियों, खासकर राजनीतिक, आर्थिक व सांस्कृतिक क्षेत्रों में सहयोग व रूपरेखा पर विचार विमर्श किये गये हैं । इन सवालों की चर्चा करते हुए दक्षिण अफ्रीका के अंतर्राष्ट्रीय संबंध व सहयोग विभाग के उप प्रधान, ब्रिक्स मामले पर समन्वयक अनिल सुखलाल ने कहा, "चीन द्वारा प्रस्तुत इस वर्ष के शिखर सम्मेलन की थीम सही है । ब्रिक्स देशों का आधार है सहयोग करना । ब्रिक्स देशों को दूसरे विकासमान देशों के साथ-साथ सहयोग कर विश्व के लिए योगदान पेश करना चाहिये । राष्ट्राध्यक्ष शी चिनपींग ने विश्व अर्थतंत्र मंच में कहा है कि समावेशी आर्थिक विकास संपन्न करना बहुत महत्वपूर्ण है ।"
रूस के ब्रिक्स मामले पर समन्वयक, उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने कहा कि चीन के अध्यक्ष देश बनने के दौरान ब्रिक्स देशों के बीच सहयोग को नये स्तर पर पहुंचाया जाएगा । और विश्व के सामने ब्रिक्स देशों का नया रुख दिखाया जाएगा । उन्होंने कहा, "चीन, विश्व शांति व सुरक्षा की रक्षा करने और विश्व अर्थतंत्र व व्यापार को बढ़ाने आदि व्यापक क्षेत्रों में नेतृत्वकारी भूमिका निभाएगा । चीन ने गत वर्ष जी-20 ग्रुप के शिखर सम्मेलन का सफलतापूर्ण आयोजन किया । विश्वास है कि चीन हांगचाओ शहर के जी-20 शिखर सम्मेलन में प्राप्त उपलब्धियों को ब्रिक्स देशों के दायरे में आगे बढ़ाएगा । चीनी नेता हमारे विश्वास का वचन है । मुझे विश्वास है कि चीन ब्रिक्स देशों के लिए और शानदार भविष्य की खोज कर सकेगा ।"