दक्षिणी रूस की वोल्गा नदी के निचले हिस्से में एक डेल्टा-क्षेत्र बहुत समृद्ध है, जहां कृषि एवं विनिर्माण-उद्योग दोनों बहुत विकसित हैं और इसी के साथ-साथ प्राकृतिक दृश्य भी बहुत खूबसूरत हैं। रूस की मातृनदी—वोल्गा यहां से बहकर समुद्र में जा मिलती है। खास बात यह है कि यह क्षेत्र 1000 सालों से अधिक समय पहले भी विश्वविख्यात प्राचीन रेशम मार्ग का एक हिस्सा था। बाद में उसने एक नगर का रूप ले लिया और लोगों ने उसे Astrakhan का नाम दिया। कुछ समय पहले हमारे संवाददाता ने इतिहास के पदचिंह पर चलते हुए इस रमणीक प्राचीन नगर का दौरा किया।
Astrakhan नगर के स्थानीय इतिहास वाले संग्रहालय में हमारे संवाददाता ने देखा कि चीनी मिट्टी के बहुत से बर्तन प्रदर्शित हैं, जिनमें अनेक टूटे-फूटे से हैं और यहां तक कि कई बर्तन टुकड़ियों के रूप में हैं, तो भी हरेक बर्तन पर शुभंकर जैसे ड्रैगन, फीनिक्स और शुभ बादल चित्रित हैं। ऐतिहासिक ग्रंथों के अनुसार ईस्वीं 7वीं सदी से 10वीं सदी तक उत्तरी रेशम मार्ग Astrakhan में होकर आगे चलता था। स्थानीय इतिहास के विशेषज्ञ Radmila Tarkova ने जानकारी दी कि यह मार्ग चीन की पीली नदी के मध्य भाग से उत्तर की ओर चलकर मंगोलियाई पठार और दक्षिणी साइबेरियाई मैदान से होकर मध्य एशिया में दो भागों में बंटा था। एक भाग दक्षिण-पश्चिम में फारस की ओर चला और दूसरा भाग यूराल पर्वत को पारकर वोल्गा के निचले हिस्से में जा मिला। यह भाग आज का Astrakhan ही है। इस भाग का अंत ब्लैक सी के तट पर है। Radmila Tarkova ने कहाः
' लोगों को प्राचीन रेशम मार्ग के बारे में समझ अलग-अलग स्तरों पर है। विभिन्न कालों में रेशम मार्ग में विभिन्न बदवाल हुए हैं। असल में वो सचमुच ऐसा एक सीधा मार्ग नहीं है, जो एक बिंदु से सीधे दूसरे बिंदु तक चला हो। सच में कहें, तो वह ऐसा मार्ग है, जो जालों और शाखाओं पर आधारित हो। इस मार्ग की कई शाखाएं ठीक हमारे यहां से होकर आगे चलती थी। हो सकता है कि उनका अस्तित्व इससे कहीं पहले हो चुका हो। '