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पांचवां चीन अंतर्राष्ट्रीय (च्या यू गुआन) अंतर्राष्ट्रीय लघु फिल्मोत्सव उद्घाटित
2016-09-23 11:14:06 cri

22 सितंबर को चीन के दक्षिण-पश्चिम प्रांत गानसू के च्या यू गुआन शहर में एक अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सव उत्साह के साथ शुरु हुआ। इस फिल्म महोत्सव में अमेरिका, चीन और भारत के वृत्तचित्र निर्माता और निर्देशकों ने हिस्सा लिया ।

सुबह साढ़े आठ बजे पांचवें चीन अंतर्राष्ट्रीय लघु फिल्म उत्सव का उद्घाटन समारोह चीन की दीवार पर खुले आसमान के नीचे हुआ। इस अवसर पर कई गणमान्य अतिथि उपस्थित थे।

उपस्थित अतिथयों में कई देसी विदेशी फिल्म निर्माताओं के साथ कानसू प्रांत के प्रेस और पब्लिकेशन, फिल्म और टेलीविजन विभाग के उपनिदेशक तुंग कांग ने एक भाषण भी दिया, चीनी राष्ट्रीय कला संस्थान के अध्यक्ष लियान ची, कानसू प्रांतीय कमिटी के स्टैंडिंग कमिटी के सदस्य लियांग यानशुन, कानसू प्रांत के उप राज्यपाल श्या होंगमिन और कानसू पीपल्स पॉलिटिकल कन्सल्टेटिव कॉनफ्रेंस के उपाध्यक्ष ली छेनया उपस्थित थे।

इनके अलावा चीन के कई कलाकार और बुद्धिजीवी भी मौजूद थे जिनमें लियु श्याओली, ल्वी पिनतियान, जिया लेईलेई, तियान छिंग और नोबेल पुरस्कार प्राप्त मो युआन मौजूद थे। मो युआन ने इस अवसर पर अपने भाषण में कहा कि लघु फिल्म बनाना एक विधा है अपनी बात लोगों तक पहुंचाने की एक कला है, उन्होंने चीनी फिल्म निर्माताओं को कहा कि उन्हें अपनी फिल्म के माध्यम से चीनी संस्कृति को अच्छे तरीके से लोगों के सामने पेश करना चाहिए, जिससे लोगों में चीन की संस्कृति के प्रति और उत्साह जगे।

कई गणमान्य अतिथियों ने इस अवसर पर भाषण दिया। चीन में लघु फिल्मोत्सव को शुरु हुए अभी चार वर्ष ही हुए हैं, लेकिन इन चार वर्षों में ही समाज के हर वर्ग द्वारा इन फिल्मों को बहुत प्रोत्साहन मिला साथ ही देसी विदेशी स्तर पर इन फिल्मों को बहुत सराहा गया है। इसके साथ ही पांचवां फिल्म महोत्सव इसके उद्देश्यों को पूरा करने और रेशम मार्ग की आत्मा को खुद में आत्मसात करने में मददगार होगा, इसके साथ ही अलग अलग देशों के फिल्म निर्माताओं के अनुभव इस यात्रा को और आगे बढ़ाएंगे जिससे लघु फिल्म निर्माताओं को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।

दोपहर को च्या यू कुआन अंतर्राष्ट्रीय होटल में पांचवें चीन (च्या यू कुआन) अंतर्राष्ट्रीय होटल में भारतीय लघु फिल्मों का उद्घाटन समारोह हुआ, इसमें भारतीय दल में सुप्रसिद्ध डॉक्यूमेंटरी फिल्म निर्माता बप्पा रे, इरम गुफ़रान, मकरंद ब्रह्मे और प्रमोद पुसवाने मौजूद थे, इस दल का नेतृत्व भारत के सूचना और प्रसारण मंत्रालय के डायरेक्टरेट ऑफ फिल्म फेस्टिवल के सह निदेशक रिज़वान अहमद और सह निदेशक इंद्राणी बोस ने किया। जहां इरम इस फिल्म महोत्सव में श्याम बेनेगल पर अपनी फिल्म लेकर आई हैं वहीं बप्पा रे मध्य भारत की आदिवासी जनजाति के लोहा पिघलाने की उनकी हज़ारों वर्षों पुरानी तकनीक और उनके जनजीवन पर अपनी डॉक्यूमेंटरी लेकर मौजूद हैं। इनके साथ ही मकरंद ब्रह्मे संगीत पर बनी अपनी डॉक्यूमेंटरी के साथ आए हैं तो वहीं प्रमोद पुसवाने खिलाड़ियों के जीवन पर एक वृत्तचित्र के साथ इस महोत्सव में आए हैं। बातचीत के दौरान इन सभी फिल्म निर्माताओं ने बताया कि चीन इन्हें लघु फिल्मों के लिहाज से बहुत अच्छी जगह लगती है क्योंकि चीन भी भारत की ही तरह एक प्राचीन सभ्यता है और यहां पर बहुत सारे विविध विषय हैं जिनपर लघु फिल्में बनाई जा सकती हैं, फिल्मकार बप्पा रे ने बताया कि पद्मसंभव और कुमारजीव के साथ बौद्ध धर्म इन्हें बहुत आकर्षित करता है, साथ ही बप्पा समुद्री रेशम मार्ग पर भी फिल्म बनाना चाहते हैं जिसमें दक्षिण पूर्वी एशिया के कई देश शामिल हैं, बप्पा रे मसालों की भारत से दक्षिण पूर्वी एशिया की यात्रा साथ ही व्यापारियों के ज़रिये हिन्दुओँ के धार्मिक ग्रंथ रामायण मलेशिया, इंडोनेशिया, कम्बोडिया और थाईलैंड पहुंचने की यात्रा को लोगों के सामने अपनी फिल्मों के ज़रिये रखना चाहते हैं तो वहीं इरम ने बताया कि वो प्राचीन रेशम मार्ग पर ढेर सारा काम करना चाहती हैं, क्योंकि वो लोगों के दिखाना चाहती हैं कि आज के बरक्स प्राचीन समय में जब यातायात के संसाधन धीमे थे उस समय यात्री और व्यापारी लंबी यात्राओं के दौरान किस तरह का जीवन जीते थे और किन कठिनाईयों के साथ यात्रा करते थे। इरम चीन के अंतर्राष्ट्रीय लघु फिल्म महोत्सव को लेकर इतनी आशावान हैं कि उन्हें पूरा विश्वास है कि ऐसे उत्सवों से नए निर्माताओं को इतना प्रोत्साहन मिलेगा जिससे वो दौर भारत सहित एशिया में भी आएगा जब लोग टिकट खरीदकर भी वृत्तचित्रों को देखेंगे जैसा कि पश्चिम के देशों में हम आज देखते हैं। इन फिल्म निर्माताओं के अनुसार आने वाला समय डॉक्यूमेंटरी या वृत्तचित्रों के क्षेत्र में एक सुनहरा समय लाने में सफल रहेगा और लोगों का रुझान डॉक्यूमेंटरी फ़िल्मों की तरफ़ बढ़ेगा। आने वाले समय में दर्शकों तक विषय पर पूरी जानकारी मुहैया कराने में डॉक्यूमेंटरी फ़िल्में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।

पंकज श्रीवास्तव

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