अमेरिका के जाने-माने वकील ब्रूस फेन ने हाल में कहा कि अमेरिका अंतरराष्ट्रीय मामलों में दोहरे मामदंड अपनाता रहा है। उसे अंतरराष्ट्रीय कानून के बारे में अन्य देशों को नसीहत देने का अधिकार नहीं है।
फेन ने कहा कि लंबे समय से अमेरिका अन्य देशों को अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करने के लिए बाध्य करता है, लेकिन खुद अंतरराष्ट्रीय नियमों के बंधनों से छुटकारा पाने की कोशिश करता है। यह पूरी तरह दोहरा मापदंड है।
हाल ही में दक्षिण चीन सागर मध्यस्थता मामले को लेकर फेन ने कहा कि मध्यस्थता न्यायालय स्थायी एजेंसी नहीं है। यह अस्थायी रूप से स्थापित की गयी है और मध्यस्थों को भी अस्थायी रूप से नामित किया गया है। इस दौरान सिर्फ फिलीपींस का एकतरफा पक्ष रखा गया। पूर्ण मध्यस्थता मामला राजनीतिक मुद्दा है।
मध्यस्थता न्यायालय द्वारा घोषित दक्षिण चीन सागर मध्यस्थता मामले के तथाकथित फैसले के बाद अमेरिका ने कहा कि यह फैसला कानूनी रूप से बाध्यकारी और चीन व फिलीपींस से फैसले का पालन करने की उम्मीद जताई। इस पर फेन कहा कि अमेरिका संयुक्त राष्ट्र की समुद्री कानून संधि का हस्ताक्षरकर्ता देश नहीं है। उसे अन्य देशों को नसीहत देने का अधिकार नहीं है।
(नीलम)