आतंकी संगठन आईएस ने 23 जुलाई को अफ़गानिस्तान की राजधानी काबुल में आत्मघाती हमला किया, जिसमें कम से कम 80 लोग मारे गए, अन्य 231 घायल हुए हैं। अब तक यह अफ़गानिस्तान में आईएस द्वारा किया गया सबसे बड़ा आतंकी हमला है।
विश्लेषकों के अनुसार काबुल में इस खूनी हमले से यह जाहिर है कि अफ़गानिस्तान में आईएस की शक्ति दिन-ब-दिन बढ़ रही है। साथ ही अफ़गानिस्तान की सुरक्षा स्थिति भी और खराब हो रही है।
आतंकी हमले के बाद अफ़गान राष्ट्रपति अशरफ़ गनी अहमदज़ई ने सरकारी विभागों से फ़ौरन इसकी जांच करके हमलावरों को सज़ा देने का आग्रह किया। साथ ही उन्होंने 24 जुलाई को राष्ट्रीय शोक दिवस का ऐलान किया। अफ़गान प्रमुख प्रशासक कार्यालय और अफ़गानिस्तान स्थित संयुक्त राष्ट्र सहायक मंडल आदि संस्थानों ने भी इस हमले की कड़ी निंदा की।
हाल के कई वर्षों में आईएस लगातार अफ़गानिस्तान में अपनी शक्ति मजबूत कर रही है। कुछ सीमावर्ती प्रांतों और सरकार द्वारा बहुत मुश्किल से नियंत्रित क्षेत्रों में आईएस बहुत सक्रिय है। इसके दो कारण हैं:पहला, अफ़गानिस्तान लंबे समय में युद्ध से त्रस्त है, इसलिये केंद्र सरकार की वास्तविक नियंत्रण क्षमता बहुत सीमित है। दूसरा, युद्ध के कारण अफ़गानिस्तान का आर्थिक विकास पीछे रहा। जनता का जीवन स्तर कमज़ोर है, और शिक्षा का स्तर भी उन्नत नहीं है। इसलिये आतंकी संगठन आसानी से धर्म के बहाने उन्हें अपने जाल में फंसाकर उनका इस्तेमाल करते हैं।
(चंद्रिमा)