इधर के वर्षों में चीन और रूस के बीच पर्यटन-क्षेत्र में सहयोग फला-फूला है। चीन रूस का सब से बड़ा पर्यटन-बाजार हो गया है। रूस जाने वाले चीनी यात्रियों की संख्या लगातार तीसरे वर्ष बढ गई है। लेकिन तुलनात्मक तौर पर चीन आने वाले रूसी यात्रियों की संख्या में इजाफा होने की बड़ी गुजाइशी है। कैसे दोनो देशों के पर्यटन-बाजार को संतुलित किया जाए, यह मुद्दा दोनों देशों के पर्यटन-जगतों के मुहंबाए खड़ी साझा चुनौती है।
रूस की राजधानी मास्को के बीचोंबीच जमीन के नीचे 65 मीटर की गहराई में शीत-युद्ध के काल में बना एक प्रतिरक्षा संस्थापन है, जिसे नम्बर 42 भूमिगत बंकर पुकारा जाता है। वास्तव में वह पूर्व सोवियत संघ का एक भूमिगत कमांड सेंटर और आश्रय था। इस समय वह 'शीत-युद्ध संग्रहालय' और थीम वाले रेस्ट्रां के रूप में बदल गया है। कुछ समय पहले इस संग्रहालय ने चीनी यात्रियों को आकर्षित करने का अपना लक्ष्य पेश किया और 'दोस्ताना चीन' वाला विषय इसमें शामिल किया। संग्रहालय के प्रधान Andrey Kaseev ने कहा कि नम्बर 42 भूमिगत बंकर 'लाल पर्यटन' परियोजना का एक भाग हो सकता है, जिससे कि रूसी इतिहास में रूचि लेने वाले चीनी यात्रियों को आकर्षित किया जाए।
'हम ने चीनी यात्रियों के लिए विशेष परियोजना बनाई है, इसके लिए चीनी में निर्देशक-निशानियां और संबंधित परिचय-पत्र भी बनवाई हैं।'