दूसरा संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सम्मेलन 5 दिन चलने के बाद 27 मई को नेरोबी में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के मुख्यालय में संपन्न हुआ। सम्मेनल में समुद्री पर्यावरण में सुधार और वन्य जीव-जंतुओं एंव वनस्पतियों के अवैध व्यापार पर लगाम संबंधी 25 प्रस्तावों और कार्य-योजनाओं को पारित किया गया, ताकि 'पेरिस समझौते ' एवं 2030 तक सतत विकास के कार्यक्रम के क्रियान्वयन को बढ़ावा मिले।
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक आचिम स्टेनर ने समापन-समारोह के बाद एक वक्तव्य जारी कर कहा कि पर्यावरण मानव-जाति के विकास में एक केंद्रीय मसला है। उन्होंने उम्मीद जताई कि सम्मेलन में प्राप्त उपलब्धियों को विभिन्न देशों में हकीकत में तबदील किया जाएगा और इससे वैश्किव स्तर पर सतत विकास को बढावा मिलेगा।
सम्मेलन में यह तय किया गया है कि संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम वित्तपोषण के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढाएगा और विभिन्न देशों खासकर विकासशील देशों को पेरिस-समझौते को लागू करने की उनकी शक्ति के निर्माण में समर्थन देगा।
सम्मेलन ने समुद्री पर्यावरण अनुकूल परिस्थिति के संरक्षण के बारे में भी एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के आकलन के अनुसार इस समय पूरी दुनिया के समुद्री क्षेत्रों में 52 खरब छोटे-बड़े प्लास्टिक कचरे तैर रहे हैं, जो समुद्री वातावरण एवं जैविक विविधताओं के लिए खतरनाक हैं। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम विभिन्न देशों के साथ मिलकर समुद्र में तैर रहे इन कचरों को साफ करने की नीति की समीक्षा करेगा, जिससे कि उचित एवं ठोस कार्य-योजना बनाई जाए।
सम्मेलन में रासायनिक कचरों, रेतों, धूलों, खाद्य अपशिष्ट और सशस्त्र मुठभेड़ से जुड़ी पर्यावरण वाली समस्याओं पर भी प्रस्ताव पारित किए गए।