सन 1959 की 28 मार्च को तिब्बत के इतिहास की एक नयी शुरुआत मानी जाती है । उसी दिन तिब्बत में जनवादी रूपांतर, जिसका केंद्र था भू-दास मुक्ति, धूमधाम से शुरू किया गया था। चीनी केंद्र सरकार के नेतृत्व में तिब्बती जनता ने जनवादी रूपांतर का आन्दोलन शुरू कर सामंती दासत्व का खात्मा किया था। तिब्बत में दस लाख भू-दास और दासों ने अपने जीवन का मालिक बनने का सपना साकार किया था ।
तिब्बत में किये गये जनवादी रूपांतर आन्दोलन ने आदमी का भाग्य बदला। इसी रूपांतर ने मानवाधिकार की दृढ़ता से संरक्षित किया। फिल्म "दासत्व का खात्मा"में मुख्य पात्र त्सेरेन राम पुराने तिब्बत में एक जन्म दास थी। बचपन में वह गुलामी और भेदभाव से पीड़ित रहती थी। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व वाले जनवादी रूपांतर ने दासत्व की हथकड़ी को तोड़ दिया और त्सेरेन राम और दूसरे दास लोग भी "बात करने वाले जानवर" से देश के मालिक बन गये।
जनवादी रूपांतर करना तिब्बती जनता और इतिहास का अपरिहार्य विकल्प है, और वह भी तिब्बत में आर्थिक और सामाजिक उत्थान की गारंटी है। जनवादी रूपांतर से अभी तक के पचास वर्षों, खास तौर पर आर्थिक रूपांतर और खुलेपन के तीसेक वर्षों के तथ्यों को देखकर तिब्बती जनता को इस बात पर और अधिक समझ प्राप्त है। तिब्बत में जनवादी रूपांतर ने अंधेरे से प्रकाश, पिछड़ेपन से प्रगति और गरीबी से समृद्धि का नया युग स्थापित किया था।
तिब्बत में हुए भारी परिवर्तन का श्रेय कई पीढ़ियों के केंद्रीय नेताओं के ध्यान और प्रयासों तक आता है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की 18वीं राष्ट्रीय कांग्रेस की समाप्ति से महासचिव शी चिनफिंग के नेतृत्व वाली केंद्रीय कमेटी ने तिब्बत के आर्थिक और सामाजिक विकास और दीर्घकालिक सुस्थिरता के लिए भावी विकास की शानदार रूपरेखा बनायी है। अब तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में अर्थव्यवस्था का शीघ्र विकास, सामाजिक कार्यों की परिपूर्ण प्रगति, जन जीवन की उल्लेखनीय वृद्धि और समाज की सुस्थिरता कायम की गई है।
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के सुदृढ़ नेतृत्व में तिब्बती जनता अपनी नई यात्रा में और अधिक शानदार और गौरवशाली भविष्य का निर्माण कर सकेगी।
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