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    भारत-चीन का 'बंदर'फुल कनेक्शन!
    2016-02-09 18:22:07 cri

    चीन में नए साल का आगाज हो गया है। चीनी चंद्र मास के अनुसार 8 फरवरी से चीनी नए साल की शुरुआत हुई और ये चीनी परंपरा के अनुसार बंदर वर्ष है। बम, पटाखों और आतिशबाजियों के बीच इस साल चीन में बंदर का साल मनाया जा रहा है और इस जश्न को मनाने में चीन अकेला नहीं है, बल्कि पूरी दुनिया इसे हर्षोल्लास के साथ मना रही है।

    चीन के 'बंदर राजा' अपने पड़ोसी देश भारत के साथ सांस्कृतिक संबंधों का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है। भारत केवल सबसे ज्यादा बंदरों की संख्या के लिए मशहूर नहीं है बल्कि बंदर के रूप में पूजे जाने वाले भगवान हनुमान की पौराणिक कहानियों और सांस्कृतिक कथाओं के लिए भी काफी चर्चित है।

    अब चूंकि बंदर का साल है इसलिए भारत और चीन, दोनों देशों के पास आपसी समझ और विश्वास को मजबूत बनाने का अच्छा-खासा बहाना भी है। उदाहरण के लिए, मई 2015 की बीजिंग यात्रा के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिल्मों के सह-निर्माण पर समझौता किया, जिसमें श्वानजांग को प्राथमिकता दी गई। इस फिल्म को चीनी चंद्र मास के दौरान पर्दे पर उतारने की योजना है।

    ह्वेन त्सांग, थांग राजवंश (618-907) में एक प्रसिद्ध साधु थे, जो 17 साल की भारत की तीर्थयात्रा से 629 ईसवी में बौद्ध सूत्रों के 657 संस्करणों के साथ लौटे। मिंग राजवंश (1368-1644) के दौरान उनकी पश्चिम की तीर्थयात्रा के जरिये भारत-चीन को जोड़ने वाले प्राचीन रेशम मार्ग को पहली बार सक्रिय बनाने की कल्पना की गई। पश्चिम की इस यात्रा में वूखोंग यानि बंदर राजा ने श्वानजांग के रक्षक की भूमिका निभाई। इसके अलावा बंदर राजा ने बाकी तीन पात्रों- चू वूनंग (या सूअर), शा वूचिंग (या रेतात्मा) और पायलोंग (या सफेद ड्रैगन, जो एक सफेद घोड़े के रूप में काम करता है) की भी रक्षा की।

    चीन में 12 पशुओं को साल का प्रतीक माना जाता है। इस तरह 12 वर्षों के चक्र को 12 पशुओं में बांटा गया है- चूहा, बैल, बाघ, खरगोश, ड्रैगन, सांप, घोड़ा, बकरा, बंदर, मुर्गा, श्वान और सुअर। वर्ष 2016 चीनी परंपरा के अनुसार बंदर वर्ष है। बंदर न सिर्फ 12 चीनी पशु राशियों में 9वें स्थान पर आता है, बल्कि बौद्ध धर्म और हिंदू धर्म के साथ-साथ कई एशियाई धर्मों की कला में भी एक प्रमुख प्रतीक माना जाता है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि चीन की पौराणिक कथा का पात्र सुन वुखोंग का चरित्र भारतीय पौराणिक महाकाव्य रामायण के हनुमान से प्रेरित हो सकता है। हालांकि कुछ भी निश्चित न हो पाने के बावजूद भी ये दोनों बहुत लोकप्रिय बंदर पात्रों के तौर पर विकसित हुए। और तो और कोई इनके इतने करीबी सांस्कृतिक जोड़ को नकार नहीं पाया।

    पश्चिम की तीर्थयात्रा और रामायण, दोनों को ही कई फिल्मों, टीवी धारावाहिकों, एनिमेशन और ओपेरा के तौर पर दर्शाया गया है और यही वजह है कि बंदर राजा आज भी युवा पीढ़ी के बीच उतना ही प्रचलित है। इस तरह से दोनों पड़ोसी देशों के बीच एक नजदीकी रिश्ता प्रतिबिंबित होता है।

    साल 1835 में प्रकाशित हुई अपनी पुस्तक 'भारत-चीन और लाल सागर के तट पर' में रॉबर्ट इलियट ने बताया कि कैसे भारत में बंदरों को पूजा जाना बेहद चौंकाने वाला है और कैसे दो ब्रिटिश जवानों ने एक बंदर पर गोली चलाई, तो यह देख गुस्साई भीड़ से अपनी जान बचाने के लिए उन्हें जमुना नदी में कूदना पड़ा।

    हालात आज भी नहीं बदले, शहरी हो या ग्रामीण भारत, आज भी बंदर को मारा जाना समस्या के हल के रूप में नहीं देखा जाता। और वहीं दूसरी ओर बंदर के साल को चीन के साथ-साथ बाकी देशों में बड़े धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। इसे चीन के सांस्कृतिक संबंध का प्रतीक माना जा सकता है। इसलिए बंदर चीन और भारत के रिश्तों को और करीबी और मजबूत बनाने वाले महत्वपूर्ण तत्वों में से एक बन सकता है।

    (अखिल पाराशर)

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