संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी नवीनतम आँकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2050 तक भारत दुनिया का सबसे बड़ा श्रम बाजार बन जाएगा, जबकि विश्व में 18.8 प्रतिशत श्रम बल भारत से आते हैं। भारत को हमेशा से अपनी श्रम शक्ति को वैश्विक आर्थिक मजबूत देशों में शामिल करने का आधार माना जाता है यानी भारत को अपनी आबादी की शक्ति को ठोस उपयोग करने की जरूरत है।
संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के मुताबिक, आगामी 30 वर्षों में भारत वैश्विक श्रम बाजार के परिवर्तन से लाभ मिलेगा। भारत चीन से आगे निकलकर दुनिया का सबसे बड़ा श्रम बाजार बन जाएगा और भारतीय कार्यकर्ताओं का औसत वेतन केवल चीनी समकक्षों के 1/5- 1/4 तक रहा है। भारत की विशाल जनसंख्या व श्रम से प्रभावित होकर आगामी 30 वर्षों में भारत में आबादी की शक्ति धीरे-धीरे दिखेगी।
मोदी सरकार भारत की आर्थिक औद्योगिक पुनर्गठन को प्राप्त करने के लिये सख्ती रूप से "मेड इन इंडिया" की योजना को बढ़ावा देती है। साथ ही कर्मचारियों की प्रशिक्षण योजना का विस्तार भी इसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
अंजली